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अपने भक्तों के सभी मनोरथ सिद्ध करते हैं गिरिराज गोवर्धन : आचार्य मृदुल कृष्ण गोस्वामी महाराज

(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)

वृन्दावन।छटीकरा रोड़ स्थित मृदुल वृन्दावन धाम में द भागवत मिशन फाउंडेशन एवं भागवत परिवार समिति (रजि.) दिलशाद गार्डन,दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे अष्टदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा एवं श्रीगुरू पूर्णिमा महोत्सव के पांचवें दिन विश्वविख्यात भागवत रत्न आचार्य गोस्वामी मृदुल कृष्ण महाराज ने देश-विदेश से आए विभिन्न भक्तों-श्रृद्धालुओं को श्रीगिरिराज लीला प्रसंग की कथा श्रवण कराते हुए कहा कि गिरिराज गोवर्धन महाराज साक्षात भगवान श्रीकृष्ण के ही प्रतिरूप हैं।उनमें और श्रीकृष्ण में कोई भेद नहीं है।वस्तुत: भगवान श्रीकृष्ण ने प्रकृति का संरक्षण करने के लिए ही गिरिराज पूजा की लीला की थी।जिससे कि लोग प्रकृति के महत्व को जानें और उसकी उपयोगिता का सही से पालन करें।
आचार्य गोस्वामी मृदुल कृष्ण महाराज ने कहा कि ब्रज की पावन भूमि पर त्रिदेव पर्वत रूप में विद्यमान हैं। जो कि बरसाना में ब्रह्मगिरि (ब्रह्मदेव), नंदगांव में नंदीश्वर पर्वत (महादेव) एवं गोवर्धन में गिरिराज पर्वत (भगवान विष्णु) के स्वरूप हैं।इनकी पूजा व परिक्रमा करने से व्यक्ति के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।इसीलिए गिरिराज गोवर्धन महाराज
ब्रजवासियों के इष्टदेव हैं।
इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की अत्यंत नयनाभिराम और चित्ताकर्षक झांकी के दर्शन कराए गए।साथ ही गिरिराज गोवर्धन को 56 भोग लगा कर उसका प्रसाद वितरित किया गया।
इस अवसर पर प्रख्यात साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, प्रमुख समाजसेवी दासबिहारी अग्रवाल, महोत्सव के मुख्य यजमान श्रीमती हिना-विकास अग्रवाल, श्रीमती श्याम लता-कुसुम पाल शर्मा, श्रीमती अरुणा शर्मा, आचार्य किशोर कुमार शर्मा, डॉ. राधाकांत शर्मा, आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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