देश-दुनिया

कब खत्म होगी फिरकापस्ती की ये जंग ?

डाॅ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों संयुक्त अरब अमीरात के आबूधाबी(यू.ए.ई.)के हवाई अड्डे के निकट मुसपफा इलाके में स्थित एक सरकारी कम्पनी के तेल भण्डार पर खड़े तीन ट्रक टैंकरों में कुछ मिनट के अन्तर से विस्फोट में तीन लोग मारे गए और छह लोग घायल भी हुए। उनमें दो भारतीय और एक पाकिस्तानी थे, वैसे यह ड्रोन हमला किसी मुल्क ने नहीं, बल्कि मुस्लिम मुल्कों की फिरकापस्ती की दुश्मनी और उनके जंग का नतीजा है। इसे शिया ‘हाउती विद्रोहियों’ ने अंजाम दिया है, जो ईरान समर्थित हंै। हाउती विद्रोही कई वर्षों से यमन में कब्जे के लिए जग कर रहे हैं। इन्होंने यमन की राजधानी सना समेत बड़े इलाके पर उनका कब्जा भी किया हुआ है। वहाँ पर सरकार सेना के साथ सऊदी अरब के नेतृत्व वाली सुन्नी मुस्लिम देशों के सेनाएँ हाउती विद्रोहियों से लड़ रही हंै। सुन्नी मुस्लिम मुल्कों के इस सैन्य गठबन्धन में यू.ए.ई. भी सम्मिलित है। यू.ए.ई. के सैनिकों ने हाल ही में यमन के तेल क्षेत्र में हाउती विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई छेड़ी हुई है। वैसे भी हाउती विद्रोही सऊदी अरब में अक्सर ड्रोन और मिसाइलों से हमले करते रहते हैं और यू.ए.ई पर भी हमले की धमकी भी देते आए हैं। कुछ सूत्रों के अनुसार 2018 में उन्होंने आबूधाबी हवाई अड्डे पर ड्रोन से हमला किया था, अब यह तेल भण्डार पर ड्रोन हमला उनका इन्तकाम/प्रतिकार है। हालाँकि इस्लाम शान्ति और आपसी भाईचारे का सन्देश देता है, किन्तु एक लम्बे अर्से से इस्लाम के दो मुख्य फिरके ‘शिया’ और ’सुन्नी’में पूरे ‘इस्लामिक वल्र्ड’ पर अपना-अपना प्रभुत्व जमाने की जंग छिड़ी हुई है, जिसमें अब तक लाखों मुसलमानों की जानें जा चुकी हैं और अरबों रुपए की सम्पत्ति भी बर्बाद हो चुकी है। जंग की तपिश झेल रहे मुल्कों के लाखों लोग अपनी जान बचा कर कई यूरोपीय मुल्कों और अमेरिका में पनाह लेने को मजबूर हैं। ताजुब्ब की बात यह है कि इसके बावजूद दुनिया के मुस्लिम मुल्कों के सबसे बड़े संगठन ‘मुस्लिम देशों का सहयोग संगठन‘
(आ.ेआइ.सी.) ने भी इनके बीच सुलह कराके जंग खत्म कराने की अभी तक कोशिश नहीं की है। दरअसल, यूँ तो मुसलमानों के अनेक फिरके हैं, जो कुछ मुल्क में एक साथ,तो कुछ में अलग रहते हैं। वैसे मुसलमानों के दो बड़े फिरके ‘शिया’ और ‘सुन्नी’ ही हैं। दुनिया के मुस्लिम मुल्क भी शिया और सुन्नी की बुनियाद पर दो गुटों में बँटे हुए हैं, इनमें से कुछ मुल्कों में जहाँ शियाओं की आबादी ज्यादा हैं,तो दूसरों में सुन्नियों की। विडम्बना यह है कि जहाँ कुछ मुल्कों की अधिक आबादी तो शिया मुसलमानों की है,किन्तु उनके हुक्मरान सुन्नी फिरके हैं। ऐसे ही कुछ देशों के रहने वाले सुन्नी फिरके की आबादी ज्यादा हैं, पर उनके शासक शिया हैं।
उदाहरण के रूप में ईरान में कोई 90 फीसदी आबादी शिया मुसलमानों की है, जिन्हें सुन्नी मुसलमानों के जेहादी दहशतगर्द संगठन ‘इस्लामिक स्टेट’(आइ.एस), अलकायद, तालिबान आदि मुसलमान ही नहीं मानते हैं। इस देश में महज 5 प्रतिशत सुन्नी मुसलमान हैं। बाकी यहूूदी, ईसाई, जूरास्थ्रयन’(पारसी), ईरान ने हाल के दौर में शिया तथा सुन्नी दोनों तरह के दहशतगर्द संगठनों का समर्थन किया है ,जहाँ लेबनान में उसने शिया आतंकवादी संगठन ‘हिजबुल्ला’ का समर्थन दिया ,तो फिलीस्तीन में सुन्नी जेहादी संगठन ‘हमास’ को,इसकी वजह उसका गैर मुस्लिम/यहूदी मुल्क इजरायल से जंग करना है। सीरिया सुन्नी बहुल देश है, किन्तु सत्ता में शिया शासक ‘बशद अल असद है, जिन्हें ईरान का पूरा समर्थन प्राप्त है। ईरान कई देशों से लड़ाके भर्ती कर भेज रहा है। बहरीन यह भी शिया बहुल मुल्क है,जहाँ शासक सुन्नी मुसलमान हैं। इराक शिया बहुल है, लेकिन सत्ता सुन्नी मुसलमानों सद्दाम हुसैन के हाथ में रही । 2003 को इराक युद्ध की समाप्ति के बाद ईरान ने अपना राजनीतिक प्रभुत्व बढ़ाने के लिए कई मुल्कों में शिया मिलिशिया समूह बन गए।
यमन में सऊदी अरब नेतृत्व वाले सैन्य गठजोड़ को खिलाफ ईरानी ने ’हाउती मिलिशिया’ को समर्थन दे रहा है। ईरान ने ‘अल बद्र’ और ‘ महदी आर्मी’ जैसे शिया मिलिशिया खड़े किये हुए हैं। इसके पीछे उसका मकसद शिया बहुल इराक में अपना प्रभाव बढ़ाना है। ऐसे ही सऊदी अरब सुन्नी मुल्क है,जो शियाओं के खिलाफ लड़ रहे जेहादी सुन्नी आतंकवादी संगठनों की हर तरह से सहायता करता आया है। अफगानिस्तान सुन्नी बहुल है,पर इसमें शिया समेत कुछ दूसरे फिरके मुसलमान भी रहते आए है,लेकिन यहाँ सत्तारूढ़ सुन्नी जेहादी संगठन ‘तालिबान’ उन्हें मुसलमान न मानते हुए उन पर तरह-तरह के जुल्म ढहा रहा है। बड़ी संख्या में ये लोग देश छोड़कर पड़ोसी मुल्कों में शरण ले चुके हैं। पाकिस्तान में भी बड़ी आबादी सुन्नी मुसलमानों की है, जो शिया मुसलमानों को दोयम दर्जा का मानता है तथा अहमदियों को तो वह मुसलमान ही नहीं मानता है। अब जहाँ 21जनवरी को खूंखार इस्लामिक दहशतगर्द संगठन आइ.एस.के दहशतगर्दों द्वारा तड़के इराक की राजधानी बगदाद के उत्तरी इलाके में उसकी सेना की बैरकों पर हमला कर 11सैनिकों को मार दिया,क्योंकि वे शिया मुसलमान थे,वहीं 21जनवरी को ही सऊदी अरब के नेतृत्व वाले सैन्य गठबन्धन ने 17जनवरी को हाउती विद्रोहियों द्वारा संयुक्त अरब अमीरात के आबूधाबी(यू.ए.ई.)के हवाई अड्डे के पास तीन ट्रक टैंकरों पर ड्रोन हमले के खिलाफ बदले की कार्रवाई करते हुए यमन के उत्तरी शहर होदेदामें हाउती विद्रोहियों चलायी जारी जेल को निशाना बनाकर हवाई हमले किये,इसमें 100से अधिक कैदी हताहत हुए हैं।इस हमले में संचार केन्द्र को निशाना बना गया,जिससे यमन में इण्टरनेट व्यवस्था उपलब्ध करायी जाती है। अब देखना यह है कि मुस्लिम मुल्कों के बीच जारी फिरकापस्ती की इस जंग को खत्म करने की पहल कब और कौन करने का आगे आता है? सम्पर्क- डाॅ. बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर, आगरा- 282003 मो.नम्बर-9411684054

 

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