राजनीति

अली अकबर ने बेनकाब किये जेहादी

डाॅ.बचनसिंह सिकरवार
गत दिनों मशहूर मलयालम फिल्म निर्देशक अली अकबर द्वारा भारत के चीफ आॅफ डिफेन्स स्टाफ(सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 13 सैन्य अधिकारियों के शहीद होने पर इण्टरनेट कुछ इस्लामिक कट्टरपन्थियों के खुशियाँ मनाने और उनके लिए अपशब्द/अभद्र टिप्पणियाँ किये जाने पर इस्लामिक धर्मगुरुओं और राजनीतिक दलों के नेताओं की खामोशी से क्षुब्ध होकर इस्लाम का परित्याग किये जाने का निर्णय अत्यन्त साहसिक और उन कट्टरपन्थी मुसलमानों को आईना दिखाते हुए उन्हें बेनकाब कर दिया है, जो सेक्युलर मुखौटे के पीछे इस मुल्क में रहते हुए यहाँ दारुल इस्लाम में तब्दील करने में जुटे हुए हैं। यह सोच, विचारधारा और मानसिकता बहुत ही खतरनाक और इन्सानियत के भी खिलाफ है। हकीकत यह है कि इन सैन्य अधिकारियों के शहीद होने पर देश कई हिस्सों में अनेक इस्लामिक कट्टरपन्थी अपने-अपने तरीके से खुशियाँ मनाने में पीछे नहीं रहे हैं, जिनके खिलाफ अब पुलिस कार्रवाई करने जा रही है। निश्चय ही अब निर्देशक अली अकबर के इस कदम से दूसरे राष्ट्रवादी,देशभक्त मुसलमानों का हौसला बढ़ेगा,वे उनके नक्श कदम पर चलते हुए बेखौफ होकर मुल्क के दुश्मनों की मुखालफत को आगे आएँगे।उन्होंने यह साबित कर दिया कि देश के मुसलमान भी अपने देश की सुरक्षा की चिन्ता करते हैं। वे भी उसे दूसरे भारतीयों की इस देश से बहुत प्यार करते हैं।
वैसे इस मामले में 58 वर्षीय अपनी पहली फिल्म में के निर्देशन के लिए केरल राज्य फिल्म पुरस्कार विजेता तथा 20 से अधिक मलयाली फिल्मों के निर्देशन कर चुके अली अकबर ने इस्लाम छोड़ने का फैसला अचानक भावावेश में नहीं लिया है, बल्कि खूब सोच- विचार कर लिया है। इसी 8 दिसम्बर को चीफ आॅफ डिफेन्स स्टाफ जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 14 सैन्य अधिकारियों के साथ वेंलिगटन स्थिति सैन्य काॅलेज में जा रहे थे, जहाँ सीडीएस जनरल रावत को सैन्य छात्रों को सम्बोधित करने जा रहे थे, लेकिन उनका हेलिकोप्टर कुन्नूर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इसमें जनरल रावत सहित 13 सैन्य अधिकारियों शहीद हो गए। इण्टरनेट पर इस दुर्घटना से सम्बन्धित समाचार और रिपोर्टों के नीचे इस्लामिक कट्टरपन्थियों द्वारा स्माइली इमोटिकांस डालने और उनके लिए अपशब्द/अभद्र टिप्पणियाँ देखकर उन्हें बहुत अफसोस हुआ। अली अकबर को उम्मीद थी कि इस्लाम के सबसे ऊँचे धर्मगुरु और इस्लामिक नेता देशद्रोहियो की इन बेजां हरकतों की खुलकर मुखालफत करने को आगे आएँगे।जिन्होंने एक बहादुर सैन्य अधिकारी का अपमान/तौहीनी की है,लेकिन ये लोग हमेशा की तरह खामोश रहे। निर्देशक अली अकबर को उनका यह रवैया बेहद नागवार लगा।इसे मंजूर नहीं किया जा सकता।अब मेरा मजहब से मेरा भरोसा खत्म हो गया। इसके बाद 10दिसम्बर को निर्देशक अली अकबर ने इण्टरनेट पर वीडियो पोस्ट डालकर ऐलान किया, ‘‘ आज मैं जन्म से मिले एक कपड़े को फेंक दिया है। मैं आज से मुसलमान नहीं हूँ। मैं एक भारतीय हूँ। मेरा ये फैसला उन लोगों को जवाब जिन्होंने भारत के खिलाफ इस इमोजी को पोस्ट किया है। मैं अब इन राष्ट्र विरोधी तŸवों के साथ खड़ा नहीं हो सकता।’’उनसे पहले केरल के ही प्रख्यात पुरातत्त्वविद् और सेवानिवृत्त भारतीय पुरातत्त्व सेवा अधिकारी डाॅ. के.के.मुहम्मद ने श्रीरामजन्मभूमि/बाबरी मस्जिद का उत्खनन ैमें हिस्सा लिया था, जिसमें निकले तमाम अवशेषों के आधार पर इस स्थान पर मन्दिर होना स्वीकार किया। उनके द्वारा उपलब्ध पुरातत्त्विकों प्रमाण उक्त विवाद के निर्णय लेने में महŸवपूर्ण सिद्ध हुए थे। उनकी पुस्तक नाम ‘‘मैं भारतीय हूँ।’’ फिल्म निर्देशक अली अकबर राष्ट्रवादी हैं। ये ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक’(आरएसएस)से जुड़े रहे हैं,लेकिन बाद में उन्होंन सभी पदों से त्यागपत्र दे दिया था।
दरअसल, ये इस्लामिक कट्टरपन्थी भारत में रहते हुए इसे अपना नहीं मानते। उन्हें हर वह शख्स अपना दुश्मन नजर आता है, जो इस देश को सुदृढ़ और शक्तिशाली बनाने में जुटा है। इन लोगों को मुल्क की तरक्की भी नहीं सुहाती। वैसे इस्लामिक कट्टरपन्थियों द्वारा मुल्क विरोधी ऐसी हरकत कोई पहली बार नहीं की है। अपने देश में इस्लामिक कट्टरपन्थी द्वारा अक्सर पाकिस्तानी क्रिकेट टीम की जीत पर आतिशबाजी करने और पटाखे चलाना और पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाना आम बात हो गई है। जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों द्वारा पाकिस्तान और दुनिया के सबसे बड़े खूंखार इस्लामिक कट्टरपन्थी ‘इस्लामिक स्टेट’(आइ.एस.) के झण्डे लहराते पाकिस्तान जिन्दाबाद, हिन्दुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी करने वालों की कभी मजम्मत नहीं की, पर अपने बचाव उन कार्रवाई करने पर सरकार की आलोचना करने और मानवाधिकार की दुहाई देने में जरा भी कोताही नहीं की। केन्द्र सरकार के जम्मू-कश्मीर से सम्बन्धित 370 और 35ए हटाये जाने के निर्णय को सही मानते हुए जब देश के ज्यादातर खुशियाँ मना रहे थे, तब से अबत इस्लामिक कट्टरपन्थी उसे गलत बताते हुए मातम मना रहे हैं, क्योंकि ऐसा होने से उनका इस सूबे को दारुल इस्लाम बनाकर इसे पाकिस्तान को सौंपने का ख्वाब ख्वाब ही रह गया है। ऐसे ही जब देश लोग देश में बम विस्फोट कर और दंगे भड़का गैर मुसलमानों की जान लेने,उनके छल-कपट,जबरदस्ती मतान्तरण कराये जाने पर भी ये इस्लामिक मजहबी रहनुमा अक्सर खामोश ही रहते हैं।
अब मलयाली फिल्म निर्देशक अली अकबर द्वारा इस्लामिक कट्टरपन्थियों/जेहादियों को बेनकाब किये जाने से उनका खफा होना लाजिमी है,वे उन्हें अपना जानी दुश्मन और कौम का गद्दार भी माने-समझें, तो ताजुब्ब नहीं होगा। अली अकबर ने अपने इस पोस्ट में मुस्लिम यूजर्स को जमकर फटकार लगायी है,जिन्होंने जनरल बिपिन रावत के कलिए गलत भाषा का इस्तेमाल की। सच कहें तो उन्होंने इस्लामिक कट्टरपन्थियों के चेहरे पर चढ़े सेक्युलर होने के मुखौटे को उतार कर देश और इन्सानियत के लिए बहुत बड़ा काम किया है, जिसकी जितनी तारीफ की जाए कम होगी और जमकर हो भी रही है। उम्मीद की जाना चाहिए कि देश के बाकी वतनपरस्त मुसलमान भी अली अकबर की राह को चुनेंगे।

सम्पर्क-डाॅ.बचनसिंह सिकरवार, 63ब गाँधी नगर,आगरा-282003मो.नम्बर-9411684054

 

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