कार्यक्रम

सन्त श्रीपाद बाबा महाराज का त्रिदिवसीय 24वां समाराधन महोत्सव प्रारंभ

वृन्दावन। मोतीझील स्थित श्रीराधा उपासना कुंज स्थित ब्रज अकादमी के कैम्प कार्यालय में ब्रज के प्रख्यात सन्त श्रीपाद बाबा महाराज का त्रिदिवसीय 24वां समाराधन महोत्सव विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ प्रारंभ हो गया है।
महन्त बाबा सन्त दास जी महाराज ने कहा कि श्रीपाद बाबा महाराज ब्रज चेतना के उन्नायक थे। वह ब्रज संस्कृति के उन्नयन हेतु सदैव कृत संकल्पित रहे। उन्होंने ब्रज अकादमी की स्थापना ब्रज संस्कृति के उन्नयन एवं संरक्षण हेतु की थी।
ब्रज अकादमी की सचिव साध्वी डॉ. राकेश हरिप्रिया ने कहा कि श्रीपाद बाबा महाराज ब्रज में एक ऐसी समग्र भागवत संस्कृति को विकसित व प्रचलित करना चाहते थे जो देश, काल एवं वर्ग सम्प्रदायों से ऊपर विश्व मानव को स्वीकार हो।
ब्रज अकादमी के समन्वयक एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि श्रीपाद बाबा महाराज ब्रज अकादमी के द्वारा शाश्वत भारती विश्व विद्यालय एवं शाश्वत विद्यापीठ की स्थापना करना चाहते थे।जो कि सैकड़ों वर्षो से पूर्व के ऋषि-मुनियों और संतो के द्वारा प्रदत्त आध्यात्मिक चेतना को सुरक्षा व गति प्रदान करने वाला हो। ब्रज अकादमी के निदेशक एवं एस.एन. मैडीकल कॉलेज के पूर्व मैडीसन विभागाध्यक्ष डॉ. बीबी माहेश्वरी ने कहा कि श्रीपाद बाबा महाराज ने यमुना शुद्धिकरण के लिए दिल्ली से आगरा तक कई पदयात्राएं एवं आंदोलन किये। गौसेवा के लिए भी वे सदैव प्रतिबद्ध रहे। उन्हीं के प्रयासों से उत्तर प्रदेश शासन ने कई एकड़ भूमि धौरेरा में गौचारण हेतु ब्रज अकादमी को आवंटित की थी।
स्वामी महेशानंद सरस्वती ने कहा कि श्रीपाद बाबा महाराज सन्त समाज के मसीहा थे। सभी सम्प्रदायों के सन्त उन्हें अत्यंत आदर व सम्मान देते थे। उनका व्यक्तित्व इतना महान था कि सारी उपाधियां, पद व सम्मान उनके सम्मुख बौने थे। वह एक व्यक्ति नही अपितु संस्थाओं की भी संस्था थे।
सन्त सेवानंद ब्रह्मचारी ने कहा कि श्रीपाद बाबा महाराज के लिए ब्रज वसुन्धरा, ब्रज संस्कृति और ब्रज चेतना उनके जीवन की प्राण थी। ब्रज के माधुर्य, रस प्रवाह एवं साहित्य के संरक्षण, उन्नयन व पुनरोत्थान के लिए उन्होंने अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया।अखंडानंद आश्रम के अध्यक्ष सच्चिदानंद सरस्वती ने कहा कि श्रीपाद बाबा महाराज शिक्षा, संस्कृति, पर्यावरण एवं आध्यात्मिक चेतना के प्रति पूर्णत: समर्पित रहे। वह अपने इन संकल्पों को पूरा करने के लिए आजीवन पूरी शिद्दत के साथ जुटे रहे।
इस अवसर पर डॉ. चन्द्रप्रकाश शर्मा, अश्वनी माथुर, श्रीलाल स्याल, रामदत्त मिश्रा, विमला देवड़ा, राधाकांत शर्मा, पिंकी माथुर आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
समाराधन महोत्सव में प्रथम दिन श्रीविष्णुनाम अर्चन, सुंदर कांड का संगीतमय सस्वर गायन किया गया। रात्रि की श्रीहित आदर्श लीला मण्डल द्वारा रासाचार्य स्वामी राधावल्लभ शरण महाराज के निर्देशन में रासलीला का अत्यंत नयनाभिराम व चित्ताकर्षक मंचन हुआ। महोत्सव का संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।

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