देश-दुनिया

ये फिर कैसा मातम?

डॉ बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों इजरायल की सुरक्षा सेना(आडीएफ) द्वारा दुनिया के कुख्यात इस्लामी आतंकवादी संगठन ‘हिजबुल्ला’ के सरगना सैयद हसन नसरुल्लाह और सहयोगियों को लेबनान की राजधानी बेरूत के उपनगर दाहिये स्थित अड्डे/ भूमिगत बंकर पर भारी बमबारी कर मार दिये जाने पर जहाँ मुस्लिम मुल्कों विशेश रूप से शिया फिरके/सम्प्रदाय बहुल ईरान समेत कई देशों के शिया मुसलमानों को गहरा सदमा लगा है और इनमें बड़े पैमाने पर मातम/शोक मनाया गया, वहीं इजरायल उसके समर्थक देश के साथ सुन्नी मुसलमान बहुल सीरिया, सऊदी अरब, मिस्र, बहरीन, लेबनान में उसकी मौत पर जश्न। लेकिन हैरानी और अफसोस की बात यह रही है कि अपने देश के विभिन्न राज्यों के अलग-अलग नगरों में जिस तरह बड़ी संख्या शिया मुसलमानों द्वारा काले कपड़े पहन, छाती पीटते हुए,फलस्तीनी झण्डा लहराते हुए तो कहीं नसरुल्ला की तस्वीरें तथा हाथों में मोमबŸा लेकर मातम मनाने के साथ इजरायल और अमेरिका विरोधी न केवल उŸोजक नारे लगाए गए,बल्कि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिका के राश्ट्रपति जो बाइडन के तस्वीरें तथा पुतले भी जलाए। इन्होंने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर, बड़गाम, लद्दाख के कारगिल, दिल्ली के जोरबाग, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, अमेठी, सुल्तानपुर, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर, तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद,मुम्बई आदि में जुलूस निकाल कर ‘एक नसरुल्ला मारोगे,हर घर से नसरुल्ला निकलेगा‘,‘हिजबुल्ला के मुजाहिदों हम तुम्हारे साथ है,फलस्तीनों के मुजाहिदों हम तुम्हारे साथ हैं’, ‘फलस्तीन जिन्दाबाद ’जैसे नारे भी लगाए। मस्जिदों में तकरीरे कर इजरायल,अमेरिका की जमकर मजम्मत की । यह तब जबकि नसरुल्ला न तो भारत का नेता और न उसका कोई भारत से रिश्ता-नाता ही था। ऐसे में इन मुसलमानों का एक दहशतगर्द के लिए हमदर्दी जताना कहाँ तक सही है?
फिर जहाँ विश्वभर के 60 से अधिक देश ‘हिजबुल्ला‘ को एक दहशतगर्द संगठन और उसके सरगना सैयद हसन नसरुल्लाह को ‘दहशतगर्द’ मानते हैं, वहीं भारत समेत दुनियाभर के शिया मुसलमान इजरायल को फलस्तीनियों को हत्यारा एवं मुसलमानों को सबसे बड़ा दुश्मन तो मानते हैं पर गाजा प्टटी के आतंकवादी संगठन ‘हमास’ के 7 अक्टूबर, 2023 के इजरायल पर अचानक किये हमले को जायज ठहराते आए है। इसमें उसके दहशतगर्दों द्वारा 1200 बेकसूर इजरायलियों की बेरहमी से मार डालने के साथ 250 से ज्यादा का अपहरण लिया गया था। सन् 1995में संयुक्त राज्य अमेरिका(यूएसए) को अन्तरराश्ट्रीय आतंकवादी संगठन घोशित किया। फिर 2013 में यूरोपीय संघ ने हिजबुल्ला की सैन्य विंग ऐसा ही घोशित किया।इसके पश्चात् ‘गल्फ सहयोग परिशद्’ खाड़ी देश का संगठन है जिसके सदस्य सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात,कतर, ओमन, बहरीन है। यह संगठन आर्थिक,राजनीतिक और सैन्य सहयोग देने हेतु गठित किया गया है।इसने भी हिजबुल्ला को दहशतगर्द संगठन माना है। दरअसल, ये लोग सैयद हसन नसरुल्लाह और उसके गिरोह हिजबुल्ला से जुड़े लोगों को ‘मुजाहिद’/धर्मरक्षक मानते आए हैं। शिया समुदाय नसरुल्लाह को इजरायल और पश्चिमी देशों के खिलाफ शियाओं की शक्ति का प्रतीक मानते थे। इस सारे घटनाक्रम को देखते हुए यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि एक ओर इस्लाम के अनुयायी अपने मजहब को इन्सानियत,अमन और भाईचारे का हिमायती/पैरोकार मानते हैं और अपने देश में गंगा-जमुना तहजीबी और हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे की दुहाई भी देते हैं,फिर इनमें किसी ने भी आजतक पाकिस्तान, जम्मू-कश्मीर समेत बांग्लादेश में हिन्दुओं के उत्पीड़न, उनकी हत्या, महिलाओं से उनके हममजहबियों द्वारा बलात्कार किये जाने पर जुबान तक नहीं खोली है। यहाँ तक कि इन्होंने इराक में इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन आइ0एस0के दहशतगर्दो द्वारा शियाओं के सभी जियारात/धार्मिक स्थलों को जमींदोज किये जाने या पाकिस्तान में शियाओं पर हमलाओं और उनकी हत्याओं की मजम्मत/मुखालफत तक नहीं की गई है। इससे स्पश्ट है कि ये तभी अपनी जुबान खोलते या मजम्मत/मुखालफत करते हैं जब उनके हममजहबियों पर गैर मजहब के लोग/मुल्क हमला करता है।इसके विपरीत जब मुस्लिम मुल्क या व्यक्ति एक-दूसरे पर जुल्म ढहाये या जंग करे, तो खामोश रहते हैं। यही वजह है कि कश्मीर घाटी में सदियों से साथ-साथ रहते आए हिन्दुओं की बर्बर हत्याओं, उनकी महिलाओं से बलात्कार किये जाने पर कश्मीरी शियाओं न सिर्फ तमाशबीन बने रहे, बल्कि इस्लामिक कट्टरपंथियों के मददगार भी रहे। ऐसे में उनके पलायन और उन पर हुए जुल्मों पर आँसू बहाना या छाती पीटना/स्यापा करने की उम्मीद करना ही फिजूल है। खैर अब थोड़ी चर्चा हसन नसरुल्ला की कर लें।
गत 27 सितम्बर को जब इजरायल द्वारा ‘हिजबुल्ला‘ के अड्डे 20मीटर नीचे भूमिगत बंकर पर अमेरिकी लड़ाकू विमान एफ-35 से 80टन के बमों की बरसा कर जिस तरह तबाह कर मार हसन नसरुल्ला को डाला,उसके बारे में किसी ने भी ख्वाब में नहीं सोचा। इस से पहले 31जुलाई को ‘हमास’ के प्रमुख इस्माइल हानिया की ईरान की राजधानी तेहरान में संदिग्ध इजरायली हमले में मौत हुई थी। नसरुल्ला की मौत का सबसे गहरा आघात ईरान को लगा, जिसके हिजबुल्ला,हमास,हूती समेत कई दहशतगर्द गिरोह खड़े किये हैं,ताकि अपने दुश्मन इजरायल से आमने-सामने की जंग की बजाय अपने गुर्गों से हैरान-परेशान,हराया और तबाह किया जा सके। नतीजा ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने दुनिया मुसलमानों से एकजुट होकर इजरायल का मुकाबला करने का आह्वान किया है, 57मुस्लिम देशों के ‘इस्लामिक सहयोग संगठन’(ओआसी)की बैठक आहूत की गई।फिर जैसे ही हसन नसरुल्ला की मौत की खबर आयी,तो जम्मू-कश्मीर के विधानसभा के प्रचार के दौरान पीडीपी की अध्यक्ष/पूर्वमुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भारी गम जताते हुए अपनी चुनावी प्रचार एक दिन के लिए रोका दिया।ऐसा ही नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं सहित औरों ने भी किया।यही वजह कई दिनों कश्मीर घाटी पर शिया समुदाय काले कपड़े पहनकर छाती पीटकर बिलख-बिलख कर रोते रहे, जैसा उनका अपना नहीं रहा।लेकिन इनमें से कभी भी किसी ने ऐसे सैन्य अधिकारी,सैनिक,पुलिस कर्मी की मौत पर गम का इजहार नहीं किया,भले ही उनका हममजहबी क्यों न रहा हो, जो पाकिस्तान सैनिक,उसके भेजे घुसपैठिये से जुझते हुए शहीद हुआ हो। फिर ये लोग यकूब मेनन, अफजल गुरु,बुरहान वानी जैसे दहशतगर्दों के लिए मातम और बड़ी संख्या में उनके जनाजों में शामिल होकर पहले भी ऐसा ही दिखाया चुके है,वे किसके साथ हैं। इससे इनके असल किरदार का समझना मुश्किल नहीं है? असल में ये किसे अपना मानते है और किसके साथ हैं?जब भी इनके असल किरदार पर उंगली उठायी जाती है,तब ये लोग संविधान की आड़ लेते आए हैं,जबकि इसके रचयिता डॉ भीमराव आम्बेडकर ने इस समुदाय के बारे में बहुत पहले ही लिखा था कि इनके लिए मुल्क से बढ़कर मजहब है। दूसरे शब्दों में इस्लाम कभी सच्चे मुसलमान को भारत को अपनी मातृभूमि और हिन्दू को सगा मानने की इजाजत नहीं देगा। उनके कथन की देश के विभाजन से लेकर अब तक कई बार पुश्टि भी चुकी है। इस हकीकत को मुसलमान अच्छी तरह से समझते और मानते हैं,कोई दूसरा न समझे,तो इसमें उनकी कहाँ गलती है?
सम्पर्क-डॉ बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003,मोबाइल नम्बर-9411684054

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