कार्यक्रम

हिन्दू समाज को एक सूत्र में पिरोने वाले थे स्वामी श्रीरामानंदाचार्य महाराज : सुतीक्ष्णदास देवाचार्य महाराज

वृन्दावन।वंशीवट क्षेत्र स्थित श्रीनाभापीठ सुदामा कुटी में श्रीरामानंदीय वैष्णव सेवा ट्रस्ट के द्वारा चल रहे अनन्तश्री विभूषित जगद्गुरु स्वामी श्रीरामानंदाचार्य महाराज के दस दिवसीय जयंती महामहोत्सव के अंतर्गत श्रीमज्जगद्गुरु द्वाराचार्य श्रीनाभापीठाधीश्वर स्वामी सुतीक्ष्णदास देवाचार्य महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि जगद्गुरु स्वामी श्रीरामानंदाचार्य महाराज ने विभिन्न मत-मतांतरों एवं पंथ-संप्रदायों में फैली हुई वैमनस्यता को दूर करने के लिए समस्त हिन्दू समाज को एक सूत्र में पिरोया।साथ ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम को अपना आदर्श मानकर श्रीराम भक्ति के सरल मार्ग को प्रशस्त किया।
अयोध्या के प्रख्यात संत प्रेमशंकरदास महाराज रामायणी व योगी रामानंददास महाराज ने कहा कि जगद्गुरु स्वामी श्रीरामानंदाचार्य महाराज ने सभी को प्रभु भक्ति और जन सेवा का संदेश दिया।उन्होंने अनेक धार्मिक स्थलों की रक्षा एवं मठों व आश्रमों की स्थापना की,जो कि श्रीरामानंद सम्प्रदाय के प्रमुख केंद्र हैं। उन्ही के प्रभाव से वैरागी साधु समाज “अनि” के रूप में संगठित हुआ और जगह जगह उसके अखाड़ों की स्थापना हुई।
महोत्सव के समन्वयक डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व श्रीराम कथा मर्मज्ञ पंडित अशोक व्यास रामायणी ने कहा कि जगद्गुरु स्वामी श्रीरामानंदाचार्य महाराज अपने तारक मंत्र की दीक्षा वृक्ष पर चढ़कर सामूहिक रूप से दिया करते थे।ताकि वो सभी के कानों में पड़ सके और सभी का कल्याण हो सके।
क्योंकि सतयुग में महापुरषों की आयु लम्बी हुआ करती थी।इसलिए महाराजश्री ने 159वर्ष तक अपना शरीर धारण कर लोगों का कल्याण किया।साथ ही भारतीय धर्म व संस्कृति को संगठित किया।
इस अवसर पर श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज, श्रीमहंत अमरदास महाराज, श्रीमहंत राघवदास महाराज, डॉ. रमेश चंद्राचार्य महाराज, भागवताचार्य विपिन बापू, युगल तिवारी,युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा,भरत शर्मा, मोहन शर्मा, नंदकिशोर अग्रवाल, अवनीश शास्त्री, सौमित्र दास, डॉ. अनूप शर्मा, भक्तिमती वृंदावनी शर्मा, रसिक शर्मा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संचालन संत रामसंजीवन दास शास्त्री ने किया।
दोपहर को मथुरा के प्रख्यात श्रीसिद्ध विनायक रामलीला संस्थान के द्वारा स्वामी आनंद चतुर्वेदी के निर्देशन में मनु सतरूपा, रावण जन्म व रावण दिग्विजय लीला का अत्यंत नयनाभिराम व चित्ताकर्षक मंचन किया गया।रात्रि को प्रख्यात रासाचार्य स्वामी श्रीचंद्र शर्मा की रासमंडली के द्वारा रासलीला का मनोहारी मंचन हुआ।
डॉ. गोपाल चतुर्वेदी
9412178154

Live News

Advertisments

Advertisements

Advertisments

Our Visitors

0107020
This Month : 2341
This Year : 44313

Follow Me