मुंशी प्रेमचंद भाग 1 हमारे स्कूलों और कॉलेजों में जिस तत्परता से फीस वसूल की जाती है, शायद मालगुजारी भी उतनी सख्ती से नहीं वसूल की जाती। महीने में एक दिन नियत...
Author - Rekha Singh
===== हुआ”तमाशा”पूर्ण,चूर्ण और जीर्ण हुईं प्रत्याशा. जस के तस हालात,लोक में शंसय और निराशा. शंसय और निराशा का दुर्योग छद्म छल कारी . जनता के...
परिवेश घात-प्रतिघात बगावत को पुनिआतुर ! कूटनीति निष्णात चचा-पापा सब चातुर ! चातुर-आतुर व्यस्त न्यस्त संकीर्ण तृषातुर ! हुआ कोष्ठ काठिन्य त्रिदोषज पथ्य भयातुर ...
????????????? कुटिल’कुचाली’ढीठता’लड़ी परस्पर जंग, जीत हार तय करेगी लोकतंत्र का ढंग. लोक तंत्र का ढंग छद्म छल लालच व्यापक, मानवीय हीनता वोध के...
अवसाद लिए एकांतवास, व्याकुलता जीवन की संध्या. सहचर सानिध्य विकर्षण से, नश्वर कल्पना वोध वंध्या. * प्रियतम का वोध हृदय से है, स्थूल जगत की क्या सत्ता ? अदृश्य...
जन्मदिन पर विशेष डॉ.बचन सिंह सिकरवार राजेन्द्र रघुवंशी ने अपने जीवन काल में एक साथ लेखक, पत्रकार, कहानीकार, उपन्यासकार, कवि, व्यंग्यकार, अभिनेता, नाट्यकार...
अलंकार अध्याय 3 जब थायस ने पापनाशी के साथ भोजशाला में पदार्पण किया तो मेहमान लोग पहले ही से आ चुके थे। वह गद्देदार कुरसियों पर तकिया लगाये, एक अर्द्धचन्द्राकार...
अलंकार अध्याय 2 थायस ने स्वाधीन, लेकिन निर्धन और मूर्तिपूजक मातापिता के घर जन्म लिया था। जब वह बहुत छोटीसी लड़की थी तो उसका बाप एक सराय का भटियारा था। उस सराय...
मुंशी प्रेमचंद अध्याय 1 उन दिनों नील नदी के तट पर बहुतसे तपस्वी रहा करते थे। दोनों ही किनारों पर कितनी ही झोंपड़ियां थोड़ीथोड़ी दूर पर बनी हुई थीं। तपस्वी...
मुंशी प्रेम चंद सारे शहर में सिर्फ एक ऐसी दुकान थी, जहॉँ विलायती रेशमी साड़ी मिल सकती थीं। और सभी दुकानदारों ने विलायती कपड़े पर कांग्रेस की मुहर लगवायी थी।...