वानस्पतिक औषधियाँ

शान्त चिकित्सक है – सेमल

डाॅ.अनुज कुमार सिंह सिकरवार
अप्रैल आते ही वनों, बाग-बगीचों,पार्क और सार्वजनिक मार्गों पर लगे सेमल के वृक्ष बड़े-बड़े लाल-लाल फूलों से लद जाते हैं, जिन्हें देखकर दूर से ही इस पेड़ को आसानी से पहचान जाता है। इसे औषधीय गुणों और सजावट के उद्देश्य से लगाया जाता है। सेवल औषधीय गुणों से परिपूर्ण है। इस कारण कुछ लोग सेमल को ‘शान्त चिकित्सक’(साइलैण्ट डाॅक्टर)भी कहा जाता है।
सेमल के फूल, फल, छाल आदि कई रोगों से मुक्ति प्रदान कराते हैं। आयुर्वेद में सेमल के वृक्ष को औषधीय गुणों से भरपूर होने की मान्यता दी गई है। सेमल औषधियुक्त वृक्ष के अलग-अलग स्वरूप में उपयोग से पेचिश, गिल्टी या ट्यूमर, कब्ज, कमर दर्द ,दूध बढ़ाने, खाँसी आदि का उपचार में प्रयुक्त किया जाता है।
यह वृक्ष महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं होता। इसके पत्ते रक्तशोधन का अत्यन्त श्रेष्ठ माध्यम हैं,जबकि जड़ को ‘ल्यूकोरिया’ की बहुत अच्छी औषधि माना गया है।
वैसे तो सेमल के पेड़ स्वतः ही जगलों में जगह-जगह पनप जाते हैं, लेकिन इन्हें नदियों के आसपास आसानी से देखा जा सकता है। अधिक तापमान वाले इलाकों में सेमल का पौधा लगाया जाता है।
अप्रैल में सेमल पर फूल खिलते हैं, तदोपरान्त इस पर केले के आकार के फल लगते हंै। इस फल में बीज रेशों से युक्त होते हैं। इन रेशों को तकियों में रुई के स्थान पर भरा जाता है। ऐसे तकिये रुई की तुलना में कहीं अधिक नरम होते हैं। सेमल का पौधा लगाने के लिए करीब दो फीट गहरा गड्ढा खोदें और उसमें गोबर की खाद के साथ मिट्टी मिलाकर भरें। इसमें पौधा लगाकर पानी का हल्का छिड़काव करें। शुरुआत के दो हफ्ते तक नियमित सिंचाई करनी चाहिए। उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में सेमल आय का जरिया बन गया है। ग्रामीण सेमल से एक मौसम में 30 से 40 हजार रुपए तक कमा लेते हैं। सेमल के फल की सब्जी और अचार बनाया जाता है, जिस कारण यह बाजार में आसानी से बिक जाता हैै। आयुर्वेदिक औषधि निर्माता भी इसे खरीदते हैं।
सेमल के विभिन्न अंगों का उपयोग-
1. सेमल के ताजे फल को देसी घी तथा सेंधा नमक के साथ सब्जी बनाकर खाने से महिलाओं में होने वाले ल्यूकोरिया रोग को उपचार किया जाता है।
2.सेमल की पत्तियों के डण्ठल का काढ़ा बनाकर दो चम्मच पीने से अतिसार, दस्त में रहत मिलती है।
3. सेमल वृक्ष की छाल को पीसकर लेप लगाने से शरीर पर बने गहरे घाव/जख्म भी शीघ्र भर जाते हैं।
4. पेचिश के उपचार हेतु सेमल के फूल के ऊपरी छिलकों को रात में पानी में भिगों ने बाद सुबह मिश्री के साथ मिलाकर पीएँ। इससे बहुत आराम मिलता है।
5. शरीर में कहीं सूजन या गाँठ के उपचार के लिए सेमल के पत्तों को पीसकर मरहम लगाने पर या बाँधने से बहुत लाभ होता है और गाँठ धीरे-धीरे कम होती जाती है।
6. सेमल की छाल या पत्तियों को पीसकर चेहरे के कील-मुँहासों पर लगाने से यह निशान सहित गायब हो जाते हैं।

Live News

Advertisments

Advertisements

Advertisments

Our Visitors

0145652
This Month : 4441
This Year : 82945

Follow Me