कार्यक्रम

भागवत, संस्कृत, व्याकरण के परम विद्वान गोलोकवासी डॉ. शिवकरण पाण्डेय “गुरुजी” का 82वां जन्मोत्सव धूमधाम से सम्पन्न

(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)

वृन्दावन।परिक्रमा मार्ग स्थित सुखधाम आश्रम में भागवत के मूर्धन्य विद्वान गोलोकवासी डॉ. शिवकरण पाण्डेय “गुरुजी” का 82वां जन्मोत्सव पीपाद्वाराचार्य जगद्गुरु बाबा बलरामदास देवाचार्य महाराज के पावन सानिध्य में अत्यन्त श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ संपन्न हुआ।सर्वप्रथम आचार्य नेत्रपाल शास्त्री व राजेंद्र शास्त्री एवं समस्त शिष्य परिकर के द्वारा गोलोकवासी डॉ. शिवकरण पाण्डेय “गुरुजी” के चित्रपट का वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पूजन-अर्चन करके दीप प्रज्वलित किया गया।तत्पश्चात मंगलाचरण के साथ सन्त विद्वत संगोष्ठी का आयोजन सम्पन्न हुआ।जिसकी अध्यक्षता करते हुए पण्डित राजाराम मिश्र “गुरुजी” ने कहा कि गोलोकवासी डॉ. शिवकरण पाण्डेय ज्ञान, भक्ति तथा प्रेम के मूर्तिमान स्वरूप थे।उन्हें अनेकों ग्रंथ कंठस्थ थे।
जानकी वल्लभ मंदिर के अध्यक्ष जगद्गुरु स्वामी अनिरुद्धाचार्य महाराज व श्रीनाभापीठ सुदामा कुटी श्रीमहंत अमरदास महाराज ने कहा कि गोलोकवासी डॉ. शिवकरण पाण्डेय की सादगी, सहजता, सरलता और उनके मृदुल व्यवहार की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है।वो अत्यंत मृदुभाषी और प्रसन्न चित्त थे।
प्रख्यात साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं प्रमुख समाजसेवी पण्डित बिहारीलाल वशिष्ठ ने कहा कि गोलोकवासी डॉ. शिवकरण पाण्डेय के त्याग, परिश्रम, भागवत की शिक्षा, व ज्ञान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है। उनके विषय में कुछ भी कहना सूर्य को दीपक दिखाने के समान है।
आचार्य नेत्रपाल शास्त्री व आचार्य राजेंद्र महाराज ने कहा कि हमारे सद्गुरदेव गोलोकवासी डॉ. शिवकरण पाण्डेय को रामानुज संप्रदाय के होते हुए भी सभी संप्रदायों का ज्ञान था।नाम, रूप, लीला, धाम में उनकी पूर्ण निष्ठा थी।साथ ही ब्रज से उनका अपार स्नेह था।
महोत्सव में चतु:संप्रदाय के श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज, रंगलक्ष्मी महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. रामसुदर्शन मिश्र, ब्रजेन्द्र कृष्ण महाराज, डॉ. रामदत्त मिश्र, विमल कृष्ण पाठक, युगल किशोर तिवारी, डॉ. राधाकांत शर्मा, हरिदास, अंकित कृष्ण, शिवप्रसाद उपाध्याय, महंत लाड़िली दास आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन आचार्य नेत्रपाल शास्त्री ने किया।
महोत्सव का समापन संत, महंत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारे के साथ हुआ।जिसमें असंख्य व्यक्तियों ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया।

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