डॉ. गोपाल चतुर्वेदी
वृन्दावन। सुनरख रोड़ स्थित रामकृष्ण कुंज में रामानंदाचार्य वैष्णव सेवा ट्रस्ट के द्वारा गीता जयन्ती के अवसर पर सन्त विद्वत संगोष्ठी का आयोजन सम्पन्न हुआ। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए जगद्गुरु पीपाद्वाराचार्य बाबा बलराम दास देवाचार्य महाराज ने कहा कि उनके सदगुरुदेव योगीराज परशुराम दास महाराज की श्रीमद्भगवद्गीता में अत्यधिक आस्था थी। उन्होंने आजीवन इस ग्रन्थ का प्रचार-प्रसार युद्ध स्तर पर किया। वह इस ग्रन्थ को ग्रन्थ नही बल्कि प्रभु विग्रह माना करते थे। साथ ही वह इसकी पूजा-उपासना भगवान की उपासना की भांति करते थे।
वतिष्ठ सहित्यकार व अध्यात्मविद डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता में समस्त ग्रन्थों का सार संग्रहित है। इस ग्रन्थ की समूचे विश्व में विभिन्न भाषाओं में जितनी टिकाएं हुई हैं उतनी किसी भी अन्य ग्रन्थ की नही हुई हैं। हमारी सरकार के द्वारा इस ग्रन्थ को राष्ट्रीय ग्रन्थ घोषित किया जाना चाहिए।
श्रीमद्भागवत के प्रकाण्ड विद्वान पं. नेत्रपाल शास्त्री में कहा कि हमारे देश का राष्ट्रीय ध्वज है,राष्ट्रीय पशु भी है परन्तु कोई भी राष्ट्रीय ग्रन्थ नही है। अतः भारत सरकार के द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता को राष्ट्रीय ग्रन्थ घोषित किया जाना चाहिए। साथ ही इस ग्रन्थ को विभिन्न विद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।
भागवताचार्य सुरेंद्र शास्त्री ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता की जयंती मनाया जाना तभी सार्थक है। जबकि हम इस ग्रंथ में समाविष्ट भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा दिये गए सन्देश को आत्मसात करें।
महोत्सव में गीता जी का सम्पूर्ण सस्वर पाठ सन्तों व विप्रों के द्वारा सामूहिक रूप से किया गया। साथ ही श्रीमद्भगवद्गीता की पूजा-अर्चना व आरती आदि की गई।
गीता जी का जयघोष किया गया। प्रसाद बांटा गया।
इस अवसर पर पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ, युवा साहित्यकार राधाकांत शर्मा, आचार्य रामविलास चतुर्वेदी, हरीश रावत, धर्मवीर शास्त्री,राकेश शास्त्री आदि की उपस्थिति विशेष रही।संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।
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