वानस्पतिक औषधियाँ

स्वादिष्ट सब्जी तथा औषधीय गुणों से युक्त है अरबी

डाॅ.अनुज कुमार सिंह सिकरवार

अरबी -एक स्तम्भ कन्द है,जिसकी सब्जी बहुत ही स्वादिष्ट बनती है,जो कई प्रकार से स्वास्थ्य की दृष्टि से भी गुणकारी है। अरबी एक बीजपत्रीय पौधा है,जो ‘एरासी’ कुल तथा इसकी जाति- कोलोकेशिया एस्क्युलेण्टा है। अरबी को अँग्रेजी में ‘ग्रेटलीव्ड कलेडियम,लैटिन में ‘एरम इण्डिया’, हिन्दी में ‘घुइयां’, ‘अरबी’,‘अरुई’,छत्तीसगढ़ी में ‘कोचई तथा लैटिन में ‘कोलोकेशिया एस्क्युलेण्टा’ कहते हैं।अरबी (अँँग्रेजी -तारो) एक उष्णीय कटिबन्धीय पौधा है,जिसकी जड़ में लगी अरबी को उसकी कन्द की सब्जी के लिए उगाया जाता है। इसके बड़े-बडे़ पत्ते भी खाए जाते है। अपने देश में प्राचीनकाल से अरबी को उगाया जाता रहा है। कच्चे रूप में अरबी का पौधा विषाक्त हो सकता है, ऐसा इसमें उपस्थित कैल्शियम आॅक्जलेट’ के कारण होता है।हालाँकि ये लवण( कैल्शियम आॅक्जलेट) पकने के बाद नष्ट हो जाता है। इन्हें रातभर ठण्डे पानी में रखने से भी यह कैल्शियम आॅक्जलेट नष्ट हो जाता है। अरबी की प्रकृति ठण्डी और तर है। अरबी के कन्द तथा कोमल पत्तियों की सब्जी बनायी जाती है। अरबी गर्मी की सब्जी/तरकारी है, जो गर्मी तथा वर्षा ऋतु में होती है। अरबी की कई किस्में हैं,जैसे- राजाल, धावलु, काली-अलु, मण्डले-अलु, गिमालु, रामालु। इन सभी में काली अरबी उत्तम है। कुछ बड़े और कुछ में छोटे कन्द लगते हैं।
अरबी के सफेद कन्द पर कत्थई रंग के पतले शल्क या छिलका होता है, जिसे चाकू से छील या उबल कर अलग कर दिया जाता है। वैसे तो हर मौसम में अरबी का सब्जी के रूप में सेवन किया जाता है, लेकिन यह गर्मी के मौसम की फसल है। इसके बड़े-बड़े पत्तों का भी चने के बेसन में लपेट कर पहले भांप में पकाया जाता है। उसके बाद उन्हें काट कर गीली या रसेदार या फिर सूखी सब्जी बनायी जाती है। शुरू में कच्ची अरबी के छिलके अलग कर उसे पतली-पतली लम्बे-लम्बे टुकड़ों में काट कर इन्हें लोहे की कड़ाही में सरसों के तेल हल्दी, धनिया, मिर्च, नमक, आजवाइन डालकर भूनने के बाद डालकर पानी भर दिया जाता है। इस तरह अरबी की रसेदास सब्जी तैयार हो जाती है। ब्रज क्षेत्र में अक्सर शादियों तथ दावतों के अन्य अवसरों पर अरबी का छोल भी बहुत पसन्द किया जाता है। इसके लिए कच्ची अरबी के चाकू से छिलकर छिलके अलग कर दिये जाते हैं। फिर लोहे की कडाही में सरसों का तेल डालकर उसमें हल्दी ,धनिया,मिर्च,अजवाइन डालकर भून लेते हैं। बाद में हल्की-सी आम की खटाई का बुरादा,मखाने, काजू आदि डाल देते हैं। अरबी की सब्जी के तीसरे तरीके से बनाने के लिए पहले अरबी की कन्दों को उबाला जाता है। फिर उन्हें छील कर थोड़ा हाथ से दबाकर उन्हें चपटा बना देते हैं।इसके पश्चात् लोहे की कड़ाही में थोड़ा सरसों के तेल में हल्दी, मिर्च, धनिया, अजवाइन डालकर भून लेते हैं। फिर उसमें उबली अरबी डालकर थोड़ा-सा पानी डालकर ढक देते हैं। आयुर्वेद में अरबी को मनुष्य के लिए गुणकारी बताया गया है। अरबी में कार्बोहाइडेªट प्रचुर मात्रा में होता है,शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। अरबी रक्तचाप/ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करती है।यह पेट के विकारों और ‘वात’ सम्बन्धी समस्या के अत्यन्त लाभकारी है। अरबी में कई पौष्टिक तत्त्व होते हैं,जो स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं। यद्यपि अरबी गरिष्ठ होती है,लेकिन जब अरबी की सब्जी में अजवाइन का डाली जाती है, तो यही अरबी की सब्जी कब्ज खत्म करने की औषधि बन जाती है। कब्ज पेट की सबसे बड़ी बीमारी है,जो मनुष्य में कई रोगों को जन्म देती है,पर अजवाइन मिली अरबी की सब्जी के सेवन से इस बीमारी से छुटकारा मिलता है। अरबी रक्त पित्त को मिटाने में वाली,दस्त रोकने वाली और वायु प्रकोप को घटाने वाला है।अरबी शीतल, अग्निद्वीपक यानी भूख बढ़ाने वाला, बल की वृद्धि करने वाली और स्त्रियों के स्तन में दूध बढ़ाने वाली है। अरबी के सेवन से पेशाब अधिक मात्रा में आता है।अरबी कन्द में धातु वृद्धि की भी शक्ति है। अरबी को किसी भी स्थिति कच्चा न खाएँ। अरबी के सेवन से अधिक मात्रा में कफ तथ वायु की वृद्धि होती है। अरबी की सब्जी बनाकर खायें। इसकी सब्जी में गरम मसाला, लौंग, दालचीनी डालें। जिन लोगों के गैस बनती है और घुटनों में दर्द की शिकायत हो और खाँसी हो ,उनके लिए अरबी का अधिक मात्रा में उपयोग हानिकारक है।
अरबी के कुछ दूसरे औषधीय उपयोग- 1.गिल्टी/ट्यूमर – अरबी के पत्तांे की डाली पीस कर लेप करने से आराम मिलता है।
2.झुर्रियों -अरबी त्वचा का सूखापन तथा झुर्रियों को दूर करती है। सूखापन चाहे आँतों में हो या साँस नली में अरबी के सेवन से लाभ मिलता है।
3.पित्त-प्रकोप- अरबी के कोमल पत्तों का रस और जीरे की बुकनी में मिलाकर देने से पित्त प्रकोप मिटता है।
4.पेशाब की जलन- अरबी के पत्तों का रस 3दिन तक पीने से पेशाब की जलन मिट जाती है।
5.फोड़े-फुन्सी- अरबी के पत्तों के डण्ठल जलाकर उनकी राख में तेल में मिलाकर लगाने से फोड़े-फुन्सी मिट जाते हैं।6.प्रसूता महिलाओं के दूध में वृद्धि- अरबी की सब्जी के सेवन दुग्धपान कराने वाली स्त्रियों के दूध बढ़ता है।7. वायु को गोला-अरबी के पत्ते डण्ठल के साथ उबाल कर उसमें घी मिलाकर 3 दिन तक पीने से वायु के गोले की शिकायत दूर हो जाती है।8. हृदय रोग में लाभ-अरबी के सेवन से हृदय रोग के रोगियों को लाभ होता है।

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