उत्तर प्रदेश राजनीति

इतना ही काफी नहीं है, योगी जी

डाॅ.बचन ंिसंह सिकरवार


उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में गठित भाजपा सरकार ने अपने चार साल पूरे होने पर उसने अब तक कार्य किये जाने के जो दावे और आँकड़े प्रस्तुत किये हैं, उन पर अंगुली उठाने या उन्हें सच न मानने का कोई कारण नहीं है। इसका प्रमुख कारण योगी आदित्यनाथ की सत्यनिष्ठा, कत्र्तव्यपरायण, भलमनसाहत, जनहित को लेकर उनकी सच्ची लगन और पूर्ववर्ती सरकारों से कुछ अलग और बेहतर कर दिखाने की प्रबल उत्कण्ठा भी है। एक सीमा तक उन्होंने कई क्षेत्रों में ऐसा करके भी दिखाया है, तभी तो उत्तर प्रदेश को लेकर देश और दुनियाभर के लोगों में विशेष रूप से उद्यमियों तथा व्यवसायियों की दृष्टि में इसकी छवि और उसे लेकर धारणा बदली है। यह सब प्रमाणित कराने के लिए किसी विशेषज्ञ की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इसका सबसे बड़ा सुबूत यहाँ विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से बढ़ता निवेश है। यह भी सच है कि इनकी सरकार बिना किसी भेदभाव के सभी के लिए कार्य करती आयी है। इस सरकार पर न पूर्ववर्ती सरकारों की तरह किसी विशेष जाति, धर्म/मजहब के प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों की तैनाती किये जाने का आरोप लगा है और न ही किसी खास समुदाय /जाति के लोगों या क्षेत्रों को वी.आई.पी. मानते हुए खास ख्याल रखने का, जबकि ऐसा करने के लिए बसपा और सपा की सरकारें कुख्यात रही हैं।
मुख्यमंत्री योगी जी का कहना है कि ऐसा उन्होंने ‘रिफाॅर्म, परफाॅर्म, ट्रान्सफाॅर्म‘(सुधार,कार्य करके,परिवर्तन) के मंत्र को सिद्ध करते हुए उ.प्र.को ‘ बीमारू राज्य से सक्षम एवं समर्थ राज्य’ और देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में सफलता मिली है। राज्य में पेशेवर अपराधियों, माफिया और शान्ति भंग करने वालो के विरुद्ध जो कार्रवाई की, वह देश में मानक बनी है। कोरोना काल में भी उ.प्र. में इस महामारी को नियंत्रित करने तथा निर्धन, बेरोजगार श्रमिकों आदि को खाद्यान्न, आर्थिक सहायता, रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ विषम परिस्थिति में चीनी मिलों और मण्डियों को बेहतर तरीके से चलवाने में सफलता प्राप्त की है। यहाँ तक कि श्रमिकों के पंजीकरण में उनकी दक्षता दर्ज कराके उन्हें कोरोना काल और उसके बाद रोजगार उपलब्ध कराने के भरसक प्रयास किये हैं। उनकी सरकार ने राज्य के पिछड़े क्षेत्रों बुन्देलखण्ड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास पर विशेष ध्यान देते हुए राजमार्गों के निर्माण तथा औद्योगीकरण पर बल दिया है। सरकारी नौकरियों की भर्ती में भी पारदर्शिता बरती जाने के साथ-साथ अब तक रिश्वत देकर नौकरी पाने की शिकायत भी सामने नहीं आयी है, इसके विपरीत पिछली सरकार के दौरान हजारों की संख्या में फर्जी प्रमाणपत्रों से नियुक्ति शिक्षक बने लोग जरूर पकड़े गए, पर भ्रष्टाचार के चलते खण्ड शिक्षा अधिकारी निर्देशों के बावजूद उनके खिलाफ पुलिस में एफ.आइ.आर.कराने से बचते आए हैं। इस सरकार ने श्रीराम जन्मभूमि मामले में आए निर्णय के समय शान्ति-व्यवस्था बनाए रखने में सफल रही। उसके बाद प्रदेश में ‘नागरिकता संशोधन विधेयक’(सी.सी.ए.) के विरोध में हुए विभिन्न शहरों मंे हुए दंगों को नियंत्रित तथा दंगाइयों पर दंगों में नष्ट हुई निजी और सम्पत्ति की क्षतिपूर्ति वसूल कर उन्हें भविष्य में ऐसी गलती फिर से न दुहराने का सबक सिखाने में भी कामयाब रही। प्रदेश की जनता बाहुबलियों, दुर्दान्त अपराधियों, विभिन्न प्रकार के मफियों के आतंक से त्रस्त थी, किन्तु सत्ता सम्हालने के बाद से ही योगी जी ने इनकी और उनके गुर्गों की अवैध कमाई से खड़ी इमारतों पर बुलडोजर तथा जमीन पर कब्जा हटा कर उन्हें नेस्तानाबूद करने का सत्साहस दिखाया है, जो विभिन्न जातिवादी और मजहबी तुष्टीकरण में संलिप्त सरकारों से संरक्षण में फले -फूले थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टचार को लेकर ‘जीरो टोलरेन्स’ की नीति अपनाते हुए इस पर अंकुश लगाने हेतु भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए कई आइ.ए.एस.,आइ.पी.एस. पी.सी.एस. तथा दूसरे पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई ही नहीं, उन्हें बड़ी संख्या में बर्खास्त किया है, फिर भी प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के व्यवहार में कोई विशेष परिर्वतन नहीं आया है। ये अधिकारी बसपा, सपा सरकारों के कार्यकाल की भाँति ही जनता की समस्याओं के प्रति असंवेदनशील ही नहीं बने हुए है,ये बिना घूस के कोई काम नहीं करते, ये तब जब इस सरकार का मुखिया भ्रष्टाचार के सख्त खिलाफ है। शिक्षा विभाग में भी अपरिमित भ्रष्टाचार है। यद्यपि राज्य सरकार ने प्राथमिक, जूनियर विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति और शिक्षण कार्य सुनिश्चित कराने के लिए तमाम जाँच एजेन्सी/एप आदि बनाए हुए हैं,तथापि उनकी कामचोरी पूरी तरह रोक नहीं लग पायी । शिक्षा विभाग के कार्यालय में किसी भी तरह के अवकाश विशेष रूप से मातृत्व, बीमारी, वेतन लगाने,एरियर, प्रमोशन, चाइल्ड केयर लीव, स्थानान्तरण आदि के लिए आॅन लाइन व्यवस्था के बाद भी रिश्वत बराबर जारी है। कई लिपिक और दूसरे शिक्षा अधिकारी भी पकड़े गए, पर स्थिति जस की तस है। सरकारी की विभिन्न योजनाओं से मिलने वाली सुविधाएँ कर्मचारियों को सुविधा शुल्क बगैर मिलना असम्भव है। आॅन लाइन शिकायतों के दर्ज कराने पर भी उनका निराकरण नहीं होता। पुलिस थानों में रिपोर्ट लिखाना पहले की तरह ही बिना हथेली चिकनी कराये दर्ज नहीं होती। बगैर घूस लिए पुलिस कहीं दबिश नहीं देती। घूस देने पर पुलिस जिलाधिकारी से लेकर से अपने बड़े अधिकारियों के आदेश पर अपराधी को पकड़ने के लिए फर्जी दबिश-दबिश देने का तब तक दिखावा करती रहती है, जब तक अभियुक्त किसी न्यायालय से अग्रिम जमानत नही ले लेता। न्यायिक व्यवस्था में किसी तरह का सुधार नहीं हुआ है, जबकि जनता भाजपा के सत्ता में आने के बाद बदलाव की उम्मीद लगाए हुई थी। प्रदेश के विश्वविद्यालयों की व्यवस्था में भी परिवर्तन परिलक्षित नहीं हुआ है, जबकि एक विशेष विचार धारा के शिक्षक ही कुलपति बनाए गए हैं, पर वे न केवल अपने पूर्ववर्तियों से भी गए गुजरे निकले और उनसे भी ज्यादा अपनी जेबें भरने में ही लगे हैं। इस मामले में जनप्रतिनिधियों का रवैया हैरान-परेशान करने वाला है। ये विपक्षी राजनीतिक दल की सरकार के समय भी विश्वविद्यालयोें की अव्यवस्था पर खामोश रहते थे और अब भी छात्रों की परेशानियोें की बराबर अनदेखी करते हुए आँखें मंूदे सत्ता सुख का पूरा आनन्द ले रहे हैं, कल कहीं यह सत्ता मिले या न मिले। इनमें से शायद ही किसी ने चुनाव के समय जनता से किये किसी वादे को पूरा करने की कोशिश भी की हो। यहाँ तक कि उन्हें याद भी रखा हो।
वैसे योगी जी भी प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली से भली भाँति परिचित हैं और कई बार अपने तरीके से डाॅट-फटकार ही नहीं, उन्हें यह सख्त चेतावानी भी दे चुके हैं कि अपना सी.यू.जी.नम्बर खोले रखें। फिर जाँच कराने पर कुछ अधिकारियों के फोन बन्द मिले हैं। योगी जी यह भी कह चुके हैं कि उनके कार्यालय में बड़ी शिकायतें आने से स्पष्ट है कि तहसील और थाना दिवस समेत अधिकारी जनता की शिकायतों को हल नहीं करते हैं, उनका यह रवैया खेदजनक है। जेलों में भी पहले की तरह भ्रष्टाचार बना हुआ है। हर जगह भ्रष्टाचार बने रहने का एक बड़ा कारण योगी जी की भाँति उनके मंत्रिमण्डल के मंत्री और विधायक सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन पर समुचित देखभाल न करना है। इसके साथ ही उनका सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए प्रतिबद्धता न दिखाना है। विधायक सरकारी अधिकारी उनकी नहीं सुनते कहकर जनता से पीछा छुड़ाते आए हैं। यह भी सच है कि लोगों का भाजपा के मंत्रियों और विधायकों के अपने प्रति उपेक्षा, असम्मान, उनका अंहकार के रहते हुए भी उनका योगी जी के प्रति उनकी निष्ठा और विश्वास बना हुआ है। उन्हें अब भी भरोसा है कि सूबे की तकदीर बदलने की सामथ्र्य केवल योगी जी में हैं। उनके सत्ता में रहते हुए कोई भी राजनीतिक,भूमाफिया,खनन माफिया, अपराधी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। उनके हाथों में प्रदेश के संसाधनों को दुरुपयोग और उनकी लूट सम्भव नहीं है। हकीकत यह है कि उनके सहारे भाजपा के एक बार फिर सत्ता में भले ही आ जाए, पर भाजपा के अधिकांश विधायकों ने जनता का भरोसा गंवाया है।उनका आचरण किसी दूसरे राजनीतिक दल के जनप्रतिनिधि से किसी माने में अलग होना तो दूर, उनसे बदतर ही है।

सम्पर्क-डाॅ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054

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