डाॅ.बचन सिंह सिकरवार

गत दिनों दिल्ली के मंगोलपुरी में बजरंग दल के छब्बीस वर्षीय कार्यकर्ता रिंकू शर्मा की समुदाय विशेष के युवकों और महिलाओं द्वारा पहले उसके घर में घुस कर लाठी-डण्डों से पिटाई तथा चाकुओं घायल करना,गैस सिलेण्डर खोलकर घर के सभी सदस्यों को में आग में जलाने की कोशिश, फिर खून से लथपथ युवक अस्पताल ले जाते समय पुनः चाकुओं से जानलेवा हमला कर जान से मरना और उसके बाद अस्पताल में घुस कर इसी युवक की माँ को चाकू से घायल करने की घटना लोमहर्षक और दिल दहलाने वाली है। रिंकू शर्मा की पीठ में गड़े खंजर से स्पष्ट है कि इन निर्मम तरीके से की कत्ल किये जाने की वजह उस युवक का जय श्रीराम के नारे लगाना और बजरंग दल के लिए बढचढ़ कर काम करना था, जिससे उसका पड़़ोसी समुदाय विशेष का परिवार उससे बेहद नाराज था और उससे नफरत करता था। यह युवक आजकल श्रीरामजन्मभूमि मन्दिर निर्माण हेतु धनराशि जुटाने के अभियान से भी जुड़ा हुआ था।वैसे यह भी बताया जा रहा है कि रिंकू शर्मा की जिन हमलावरों ने उसकी जान ली है,उनमें किसी को उसने अपना खून देकर उसकी जान भी बचायी थी, लेकिन जिनके लिए खून से बढकर मजहब और उसके लिए जेहाद है,वे इसकी कीमत क्या जानें?क्या इस समुदाय के विशेष के कट्टरपन्थी इस हकीकत से वाकिफ नहीं कि उनके पुरखे कौन थे और उनकी रगों में किस का खून दौड़ रहा है? उनकी समझ यह कब आएगा कि मजहब बदलने से कभी खून नहीं बदल जाता है। वैसे दिल्ली के मंगोलपुरी के के-ब्लाक की इस घटना को देखकर लगता है कि कुछ मजहबी उन्मादियों को इस देश की कानून व्यवस्था का कतई खौफ नहीं है और उनका बस चले तो आज ही इस मुल्क को ‘दारुल इस्लाम’ में तब्दील कर दें। इस मुहल्ले में आस पास रहने वाले समुदाय विशेष के युवकों की दहशत का आलम यह है कि बालिकाएँ स्कूल जाने से कतराती हैं या जाना बन्द कर दिया है। इनकी शिकायत जब पुलिस में की जाती है,तब उनके खिलाफ सबसे कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। इसका एक बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि इस समुदाय के कुछ लोग गैरकानूनी कार्यों से जुड़े है,जो पुलिस को चैथ देते हैं,इस लालच में कार्रवाई करने से बचते हैं।पुलिस समुदाय विशेष के लोगों से भयभीत होने के कारण गश्त करने से भी बचते हैं। इस मुहल्ले के निकट बड़े पशु काटते और पकाते हैं,जिसकी दुर्गन्ध के कारण लोग स्वयं अपना बेचकर जाने को विवश हैं।
यह स्थिति देश की राजधानी की है, जो फरवरी, 200 में दंगा की त्रासदी झेल कर अभी ठीक से सम्हल भी नहीं पायी है, जिसमें 53 लोगों की जानें गई थीं और 200से अधिक लोग घायल भी हुए थे। इन मरने वालों में एक पुलिसकर्मी और एक गुप्तचर विभाग का अधिकारी भी था। बड़ी संख्या में दूसरे पुलिसकर्मी आहत हुए थे। इस दंगों करोड़ों रुपए की सम्पत्ति भी नष्ट हुई थी। रिंकू शर्मा की बहुत बेरहमी से हत्या किये जाने के बाद भी कथित पंथनिरपेक्ष राजनीतिक दल, बुद्धिजीवी,वामपंथी, फिल्मी कलाकर हमेशा की तरह खामोश हंै, क्यों कि उनकी निगाह में हिन्दू वह भी सवर्ण की हत्या -हत्या नहीं होती। उसके न मानवाधिकार होते हैं और न ही उसे जीने का हक। यह समाचार भी कुछ ही टी.वी.चैनल या समाचार पत्रों में जगह बना पाया है, वहीं हाथरस का बूल गढ़ी काण्ड को याद कीजिए देशभर के जनसंचार माध्यमों ने वहाँ अपने सम्वाददाताओं के दल भेज दिये थे,यही स्थिति राजनीतिक दलों के नेताओं की थी,जो हाथरस आने के बेताब थे और पुलिस के रोके नहीं रुक रहे थे। जो आम आदमी पार्टी(आप) के सांसद संजय सिंह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सजातीयों को बचाने का आरोप लगा रहे थे।उनकी पार्टी को रिंकू शर्मा ही नहीं,उनसे पहले जितने भी हिन्दू युवकों की हत्याएँ समुदाय विशेष द्वारा किये जाने के बाद हमेशा अपने जुबान बन्द रखी है,अब आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उनके सांसद संजय सिंह बतायें उनका समुदाय विशेष क्या रिश्ता है? स्पष्ट है कि उनका यह थोक वोट बैंक का रिश्ता है।इसके लिए इस पार्टी को खालिस्तानियों से कोई परहेज है और मजहबी उन्मादियों और दंगाइयों से।अगर ऐसा नहीं होता,तो क्या ये पार्टी ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019(सी.ए.ए.) का विरोध करती,तो किसी की नागरिकता छीनता नहीं,देता है। सच्चाई यह है कि आप के कई कार्यकर्ता और नेता ही सी.ए.ए.विरोधी शाहीन बाग के धरने और दंगों में शामिल रहे थे। अब अपने को सबसे बड़ा किसान हितैषी सिद्ध करने पर तुली है,उसने 26जनवरी,गणतंत्र दिवस पर हुई किसान आन्दोलनकारियों की हिंसा,लाल किले में तोडफोड़, राष्ट्रीय ध्वज के अपमान, 395 दिल्ली के पुलिस कर्मियों के साथ मारपीट और हथियारों से घायल किये जाने की निन्दा तो दूर रही,उन्हें लाने-जाने में प्रयुक्त की जा रही डी.टी.सी.के बसें वापस माँग ली।इसके विपरीत लाल किले के गुनाहगारों के लिए पानी के टैंकर ,बिजली ,खाना उपलब्ध कराने पहुँच गए,ताकि अपने को किसान समर्थक बताकर उनके वोट झटके सकें।अब क्या फर्क रह गया है कि हैदराबादी भाईजन असदुद्दीन ओवैसी की आॅल इण्डिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन( एआइएमआइएम) और आम आदमी पार्टी में? आप ही फैसला करें।
अभी 11फरवरी को मंगोलपुरी में रिंकू शर्मा की चिता की आग ठण्डी भी नहीं पड़ी थी कि 14फरवरी को इसी मुहल्ले के एक युवक को समुदाय विशेष के लोगों ने चाकुओं से गोद दिया,जो अस्पताल में जीवन की जंग लड़ रहा है।इसकी खबर तो टी.वी.चैनलों और समाचार पत्रों में छपी नहीं है।क्या इसे मोदी मीडिया छपने नहीं दे रहा है या फिर मीडियों को भी सिर्फ कुछ जातियों तथा समुदाय विशेष के साथ कुछ होना ही खबर है? दिल्ली में कुछ माह पहले एक हिन्दू युवक को समुदाय विशेष के युवकों ने उसे अपनी उस बहन से घर से बुलवाया, जो उससे प्रेमी करती थी, फिर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी। कुछ धार्मिक नेता उस हत्या को एक टी.वी. चैनल पर बैठ कर सम्मान के लिए हत्या बता रहे थे। इससे पहले एक गेंद को लेकर एक बंगला देश समुदाय विशेष के लोगों ने एक हिन्दू युवक को निर्दयता से मार डाला था, पर हर बार आप के नेता खामोश रही।कमोबेश यही स्थिति दूसरी सियासी पार्टियों की है,इनके इस अनुचित रवैये के कारण समुदाय विशेष के हौसले बेहद बढ़े हुए हैं। इस कारण दिल्ली ही नहीं,देश भर में कई शहरों,कस्बों,गाँवों में हिन्दुओं को जीना दुश्वर हो गया है। इनसे न उनका मान-सम्मान सुरक्षित और न बहन-बेटियाँ हीं। मुजफ्फर नगर के दंगे की वजह से स्कूल जाने वाली छात्राओं का छेड़ा जाना ही तो था। नतीजा इनसे परेशान होकर हिन्दू अपने ही देश में पलायन को मजबूूर है। अब मंगोलपुरी में लोगों में भारी दहशत है, कुछ लोग तो अपना घर बेचने की सोचने भी लगे हैं। यहाँ विचारणीय प्रश्न यह है कि अपने देश में ऐसा कब तक चलता रहेगा? कब तक सत्ता के भूखी ये सियासी पार्टियाँ हकीकत से नजरें चुराती रहेंगी। अब देश के लोग उनका असली चेहरा और उनकी भेदभाव वाली सियासत को जान चुके हैं, जो बहुत दिनों तक चलने वाली नहीं है। अब वह दिन दूर नहीं जब उन्हें बिना किसी जाति-धर्म/मजहब, सम्प्रदाय का भेद किये पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए उसके पक्ष में खड़ा होने को मजबूर होना ही पड़ेगा।
सम्पर्क-डाॅ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003
मो.नम्बर-9411684054
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