वानस्पतिक औषधियाँ

सर्दियों में गरीबों की मेवा है, मूँगफली

साभार सोशल मीडिया

डाॅ.अनुज कुमार सिंह सिकरवार

साभार सोशल मीडिया

देश में सर्दी का मौसम शुरू होते ही हर जगह ‘गरमा-गरमा मूँगफली खाओ, सर्दी/जाड़े को दूर भगाओ’, ’मूँगफली खाओ टाइम पास करो’ की मूँगफली बेचने वालों की टेर लगती सुनायी देने लगती है। सिनेमा हाल में फिल्म देखते हुए, रेल या बस में सफर करते या फिर आग के सामने हाथ तापते हुए हुए या फिर बिस्तार में रजाई ओढ़े बैठकर गप्पे हाँकते गरमा-गरमा भुनी स्वादिष्ट मूँगफलियाँ खाते समय कब कट गया, इसका पता ही नहीं चलता। गरीब हो या अमीर, बच्चा हो ,जवान, या फिर वृद्ध हो, स्त्री हो या फिर पुरुष हर किसी को बेहद अच्छा लगता है मूँगफली खाना। यहाँ तक कि मयखानों में बगैर तली हुई मसालेदार मूँगफलियों के सोमरस का सेवन करने वालों का जी नहीं भरता। इसका कारण स्वादिष्ट होने के साथ मूँगफली का स्वास्थवर्द्धक तथा पोषक तŸवों से भरपूर होना है। इसमें मूलतः प्रोटीन और बसा/तेल होना है, जो सर्दियों में शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। मूँगफली चबा कर खाने के अलावा इनसे कई तरह के नमकीन तैयार किये जाते हैं। मूँगफली को पीस कर मिठाइयों में खोए की जगह भी प्रयुक्त किया जाता है। पोया में भुनी या तली मूँगफली डालने उनका स्वाद और भी बढ़ जाता है।
मूँगफली ‘फैबेसी’ कुल का उष्णकटिबन्धीय पौधा है, जिसका वानस्पतिक नाम-ऐराकिस हाय्पोजिया है। यह 22से 25से.ग्रे.तापमान तथा 60से 130 से.मी.वर्षा वाले क्षेत्र में हल्की दोमट मिट्टी में उगता है। इसके अधिक उत्पादन के लिए भुरभुरी और पोली मिट्टी अधिक उपयुक्त होती है। मूँगफली का अँग्रेजी में ‘पीनट’ और ‘ग्राउण्ड नट’ कहते हैं, क्योंकि इसका पौधा जमीन पर फैलता है,पर इसका फल अन्दर बनता है। मूँगफली देश की प्रमुख तिलहन फसल है, इनसे तेल निकलता है। इसका तेल खाना पकाने, नमकीन और मिठाइयाँ तैयार करने में इस्तेमाल किया जाता है। आम लोगों की धारणा है कि शरीर को स्वस्थ और पुष्टवर्द्धक बनाने के लिए माँसाहार, अण्डा आदि का बहुत खाना जरूरी है,क्योंकि उनमें प्रोटीन, बसा आदि अधिक मात्रा होते हैं,लेकिन यह सच नहीं है। मूँगफली में प्रोटीन की मात्रा में मांस की तुलना में 1.3 गुना, अण्डों से 2.5 गुना और फलों से 8 गुना अधिक होती है। वस्तुतः मूँगफली पोषक तŸवों का अप्रतिम भण्डार हैं। 100 ग्राम कच्ची मूँगफली में 1लीटर दूध के बराबर प्रोटीन पाया जाता है। मूँगफली में प्रोटीन की मात्रा 25 प्रतिशत से अधिक होती है, जबकि मांस, मछली, अण्डों में उसका प्रतिशत 10 से अधिक नहीं। 250 ग्राम मूँगफली के मक्खन में 300 ग्राम पनीर, 2 लीटर दूध या 15अण्डों के बराबर ऊर्जा की प्राप्ति आसानी से की जा सकती है। मूँगफली पाचन शक्ति बढ़ाने में भी कारगर है। 250 ग्राम भुनी मूँगफली में जितनी मात्रा में खनिज और विटामिन पाये जाते हैं, वह 250ग्राम मांस से भी प्राप्त नहीं हो सकता है। मूँगफली में तेल की मात्रा 45-55 प्रतिशत होता है। मूँगफली को भूनकर, तलकर, भिगोकर, उबालकर, डिशेज में डालकर,सब्जियों में ग्रैवी के लिए पीसकर आदि कई तरह से उपयोग में लायी जाती हैं। मूँगफली में साधारण कार्बोहाइडेªटस(सिंपल काब्र्स) पाया जाता है। इसके अलावा मूँगफली में प्रोटीन और रेशों (फाइबर) की अच्छी मात्रा में साथ ही स्वास्थ्यवर्द्धक बसा (हैल्दी फैट) भी प्रचुर मात्रा में होती है। यही कारण है कि जब भी आप मूँगफली खाते हैं, तब उसके पचने में कुछ समय लगता है। इस बीच पेटा भरा हुआ से लगता है। मूँगफली बेहतर एण्टीआॅक्सीडेण्ट होती हैं। मूँगफली शरीर का वजन कम करने में बहुत सहायक है। इसलिए लोग अपना वजन घटाने के लिए रेत में भुनी हुई सादा मूँगफली खाते हैं। यह तरीका सबसे अच्छा है। वैसे छिलके सहित भुनी हुई मूँगफली को तोड़कर खाना भी अधिक स्वास्थ्यवर्द्धक होता है। इसके विपरीत मूँगफली के बीजों के ऊपर की लाल पर्त को निकाल कर खाना कम स्वास्थ्यवर्द्धक समझा जाता है। इसका कारण यह है कि मूँगफली के ऊपर उपस्थित लाल पर्त में ढेर में सारे एण्टीआॅक्सीडेण्ट और रेशे(फाइबर) होते हैं, जो कि शरीर के लिए बहुत लाभदायक हंै। तेल में पलेवर वाले मसालों के साथ तली हुई मूँगफली खाने से बचना चाहिए ,क्योंकि इनमें कैलोरीज अधिक होती है। इतना ही नहीं, इनमें नमक और दूसरे रसायन (कैमीकल्स) भी अधिक पाये जाते हैं। उबली मूँगफली में भुनी मूँगफली से कम कैलोरीज होती है। अतःउबालकर भी खा सकते हैं। इस तरह मूँगफली बहुउपयोगी है, जिसके कई तरह से उपयोग लाया जा सकता है।

 

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