राधाकांत शर्मा
वृन्दावन। छीपी गली स्थित ठाकुर प्रियावल्लभ मंदिर में श्रीहित परमानंद शोध संस्थान के द्वारा आचार्य हरिराम व्यास का द्विदिवसीय प्राकट्य महोत्सव विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ संपन्न हुआ। महोत्सव के अंतर्गत मंगल बधाई समाज गायन, व्यास वाणी पाठ, संत विद्वत संगोष्ठी, संत बृजवासी वैष्णव सेवा आदि के अनेक आयोजन संपन्न हुए।
श्री हित परमानंद शोध संस्थान के अध्यक्ष आचार्य विष्णुमोहन नागार्च व समन्वयक डॉ गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि आचार्य हरिराम व्यास विशाखा सखी के अवतार थे। साथ ही वह राधावल्लभ संप्रदाय के जनक श्री हित हरिवंश महाप्रभु के शिष्य थे। व्यास वाणी उनके द्वारा लिखित सबसे प्रख्यात व महत्वपूर्ण ग्रंथ है।
ठाकुर श्री प्रियावल्लभ मंदिर के सेवायत आचार्य ललितवल्लभ नागार्च व पार्षद रसिकवल्लभ नागार्च जी ने कहा कि आचार्य हरिराम व्यास ओरछा के राजा मधुकर शाह (बुंदेलखंड) के सद्गुरु देव थे। वे प्रभु भक्ति में लीन होते हुए अकस्मात अपना सारा राजसीय वैभव छोड़कर श्रीधाम वृंदावन चले आए थे। उन्होंने किशोर वन की लताओं में रहकर घोर भगवत उपासना की। ओरछा नरेश कई बार उन्हें वापस ओरछा ले जाने के लिए आये। साथ ही उन्होंने व्यास जी को कई प्रलोभन भी दिए, परंतु वे श्री धाम वृंदावन छोड़ कर फिर कभी भी ओरछा नहीं गए।
भावना सेवा संस्थान के अध्यक्ष आचार्य जुगल किशोर शर्मा (डैकोरेशन वाले)व आचार्य भरत किशोर शर्मा ने कहा के आचार्य हरिराम व्यास परम भजनानंदी, रसिक व भगवत प्राप्त संत थे।वे वृंदावन की हरित्रयी के संत थे। जिसमें उनके अलावा श्री हित हरिवंश महाप्रभु एवं संगीत सम्राट स्वामी श्री हरिदास जी महाराज है।
इस अवसर पर रस भारतीय संस्थान के निदेशक डॉ जयेश खंडेलवाल, डॉ चंद्रप्रकाश शर्मा, लक्ष्मी नारायण तिवारी राधा कांत शर्मा, आचार्य चंद्रमोहन नागार्च, हितवल्लभ नागार्च, चित्रा नागार्च, प्रिया मिश्रा, रासबिहारी मिश्रा, तरुण मिश्रा, विनोद मिश्रा, डॉ. एच.पी. शर्मा, दीपांशु अग्रवाल, भूलन बाई साहू, उपांशु अग्रवाल आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। इन सभी ने आचार्य हरिराम व्यास के चित्रपट का पूजन- अर्चन कर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।
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