डॉ.अनुज कुमार सिंह सिकरवार

शरद् ऋतु के आगमन के साथ पारिजात या हरसिंगार पर सूर्यास्त के बाद सफेद -केसरिया रंग के भीनी सुगन्ध वाले छोटे-छोटे फूल बड़ी संख्या में खिलाने लगते हैं, जो सुबह सूर्य के आगमन के साथ भूमि पर झरने लगते हैं। इसके पुष्पों के सुगन्ध से आसपास का पूरा वातावरण सुरभित हो उठता है। इससे मानसिक शान्ति आनन्द प्राप्त होता है। परिजात के अत्यन्त पवित्र तथा पवित्र वृक्ष है,जो पीपल, कदम आदि से कई माने में विशिष्ट है। अब अयोध्या में बनने जाने वाले भगवान श्रीराम के जन्मभूमि मन्दिर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पारिजात का पौधा रोपा है। इससे परिजात वृक्ष की महत्ता को रेखांकित करता है। पारिजात /हरसिंगार का वानस्पतिक नाम‘ नाइकटेन्थस’ है जो कुल का पौधा है। पारिजात को कलम लगाना सुगम नहीं होता। अतः इस दुर्लभ वृक्ष मानते हुए भारत सरकार ने इसे संरक्षित वृक्षों की श्रेणी में रखा है। विश्व में पारिजात की पाँच प्रजातियाँ पायी जाती है। अलौकिक सौन्दर्य के कारण पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प भी है। पारिजात औषधीय गुणों से परिपूर्ण है। पारिजात को हरसिंगार ,प्राजक्ता, शैफाली, शिवली नाम से भी जाना जाता है। इसका पौधा 10से 15फीट ऊँचा होता है जिस पर अगस्त-सितम्बर से दिसम्बर माह तक अपने सुन्दर और सुगन्धित फूलों से महकता रहता है।
हमारे शास्त्रों पारिजात/हरसिंगार को अत्यन्त शुभ तथा पवित्र वृक्ष है। इस वृक्ष को विशेषता है कि इसमें काफी मात्रा/बड़ी संख्या में फूल खिलते हैं। पारिजात की उत्पत्ति के सम्बन्ध में एक कथा है कि इसकी उत्पत्ति समुद्र मन्थन से हुआ था। इसे इन्द्र ने स्वर्ग ले जाकर अपनी वाटिका में रोप दिया था। माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने हेतु पारिजात के पुष्पों का प्रयोग किया जाता है। पुराणों में बताते हैं कि इसक वृक्ष को छूने भर से थकान मिनटों में गायब हो जाती है तथा शरीर पुनः स्फूर्ति प्राप्त कर लेता है। इस दैवीय वृक्ष से भगवान श्रीकृष्ण तथा रुक्मिणी की प्रेम कहानी भी जुड़ी है।
पारिजात का वृक्ष अधिकांशतः मध्य भारत एवं हिमालय की निचली तराइयों में पाया जाता है। शरद ऋतु का सन्देश देने वाले इसके फूल औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। आयुर्वेद में पारिजात के फूलों को हृदय के लिए अत्यन्त लाभदायक होता है। इस वृक्षों की पत्तियों को पीसकर शहद में मिलाकर सेवन करने से सूखी खाँसी से छुटकारा है। इसकी पत्तियों से बने तेल का त्वचा रोगों के इलाज में भरपूर इस्तेमाल होता है। इसकी पत्तियों की चाय रोग प्रतिरोधक क्षमता का सम्वर्द्धन करती है। हरसिंगार की पत्तियों को उबाल कर बना काढ़ा पीने से पाँवों में होने वाले ‘साइटिका’ के दर्द में विशेष लाभकारी होता है। यद्यपि पारिजात में प्रचुर मात्रा में औषधीय तत्त्व पाये जाते हैं, तथापि विभिन्न रोगों के उपचार हेतु इससे सम्बन्धित नुस्खों का उपयोग किसी विशेषज्ञ की सलाह लेकर ही करना चाहिए। अगर परिजात के पौधे पर मधुमक्खियाँ अपना छत्ता बना लेती हैं उस दशा में शहद की गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी हो जाती है। पारिजता के फूलों से निकलने वाले तेल का उपयोग सौन्दर्य सामग्री के निर्माण किया जाता है।
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