डॉ.अनुज कुमार सिंह सिकरवार

बरसात के मौसम में करौंदा की झाड़ियों पर हरे लाल या सफेद या फिर सफेद-लाल रंग के छोटे-छोटे खट्टे-खट्टे फल खाने का दिल मचल उठता है। इसे कुछ लोग कच्चा ही खाते हैं, तो कुछ लोगों का मिर्च के साथ करौंदे उबालकर नमक मिलाकर रोटियों, पराठे, पूड़ियों से खाना पसन्द है। इसके अलावा करौंदे की चटनी, अचार, मुरब्बे, लौंजी के साथ काशीफल या दूसरे सब्जियों को खट्टा बनाने के लिए करौंदा का उपयोग किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम कैरिसा कैरेंडस है। करोंदा के फलों का उपयोग सब्जी और अचार बनाने में किया जाता है। यह पौधा भारत में राजस्थानए मध्य प्रदेशए गुजरातए उत्तर प्रदेश और हिमालय के क्षेत्रों में पाया जाता है। यह नेपाल और अफगानिस्तान में भी पाया जाता है। पके हुए करौंदे खटटे-मीठे हो जाते हैं। करौंदा अपने खट्टे स्वाद के साथ ही विटामिन सी से भरपूर होने के कारण स्वस्थप्रद भी हैं। इसलिए इसका सेवन बहुत से रोगों का निदान करने सहायक है। करौंदा की झाडियों की 4 से 6 फीट ऊँची होती हैं और इसके पत्तों और करौंदा फलों को तोड़ने पर दूध/लेटेक्स निकलता है। इन पर सफेद फूल गुच्छों में खिलते हैं। कालान्तर में इन्हीं गुच्छों में करौंदे लगते हैं। करौंदा में बड़ी मात्रा में पोषक तत्त्व मिलते हैं।यह उच्च रक्त चाप सही करने, वजन कम करने, झुर्रियाँ कम कर त्वचा को चमकदार बनाता है। करौंदा के फल मसूड़ों और हृदय को स्वस्थ रखते हैं। करौंदा के फल पाचन तंत्र को जीवाणुओं के संक्रमण से बचाते हैं।
करौंदा फल में सभी पोषक तत्त्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। करौंदा के फलों के रस(जूस) में कैलोरी की मात्रा अत्यन्त कम होती है। अतः करौंदा के फल सभी के लिए स्वस्थप्रद है। करौंदा में विटामिन- सी प्रचुर मात्रा में होता है। इसके अतिरिक्त ये एण्टीऑक्सीडेण्ट्स भी होते हैं, जो दूसरे फलों तथा सब्जियों की अपेक्षा कहीं अधिक हैं। ऐसे में अपने भोजन में किसी भी प्रकार से करौंदा का निरन्तर सेवन प्रतिरोधक क्षमता को सुदृढ़ करता है। करौंदा में विटामिन- ई के साथ ही लौह (आयरन), कैल्शियम, पोटैशियम, जिंक आदि भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। करौंदा के रस का हर रोज सेवन स्तन कैंसर होने से बचाने में सहायक है। चूँकि करौंदा के फलों में कैलोरी की कम मात्रा होने से ये वजन कम करने मददगार हैं। इसके फल मनुष्य की स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली का निर्माण करते हैं। इससे उनकी रोगों से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है। करौंदा के फल उच्च रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) को सही करता है। इनके सेवन से चेहरे की झुर्रियों में कमी आती है और त्वचा की चमकदार होती है। करौंदा भूख बढ़ाने में सहायक है। इसके सेवन से पित्त का शान्त होता है। यह अधिक प्यास लगने और दस्त की समस्या से मुक्ति प्रदान करता है। करौंदा का रस मसूड़ों के लिए अत्यन्त लाभदायक है। इसके रस का सेवन से मसूड़ों की समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इसके फलों का सेवन साँस की दुर्गन्ध की समस्या या पायरिया के संक्रमण रोकने में लाभकारी होता है। करौंदा का रस हृदय के रोगों में भी अत्यन्त लाभदायक होता है। इसके नियमित सेवन से कोलेस्ट्रॉल का स्तर सन्तुलित रहता है। ये हृदयाघात (हार्ट अटैक) की सम्भावना में कमी आती है। इसमें उपस्थित पॉलीफनॉल्स मनुष्य के शरीर को विभिन्न रोगों से बचाने वाली व्यवस्था को सुदृढ़ करने सहायता करते हैंं।
करौंदा का रस पाचन समस्याओं के साथ यूरीन से सम्बन्धित रोगों में बहुत उपयोगी है। इसके रस में सेलीसायलिक एसिड पाया जाता , है, जो ब्लैडर की वॉल पर बैक्टरिया और कोशिकाओं को मिलने से रोकते हैं। इसलिए करौंदा खाने या इसके रस को पीने से यूटीआई की समस्या ठीक होती है। इसके साथ ही यह मूत्र नली से गन्दे बैक्टरियों की बाहर निकालने का कार्य करता है।इससे पाचन तंत्र मजबूत होता और मनुष्य निरोगी रहता है।
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