डॉ.अनुज कुमार सिंह सिकरवार

हमारे पूर्वजों ने नीम की महत्ता हजारों साल पहले ही पहचान लिया था,तभी तो यह देशभर में लगाया और पाया जाता है। इस लिए हर गाँव,घर, बागों, सार्वजनिक मार्ग, शहरों, पार्कों में लगाया जाता है।इसके पत्तों, लकड़ी, इसके फल यानी ‘निबोली’ भी कड़वे होते हैं,फिर भी लोगों के जीवन का विशेष महत्त्व बना हुआ है।गर्मियों में नीम की सहन छाया घरांे और राहगीरों को शीतला प्रदान करती है। नीम का वानस्पति नाम ‘अजादिरचता इन्दिका’ है। इसकी औसत ऊँचाई 15 से 20 मीटर और जीवन काल 150 से 200 वर्ष है। नीम का चार हजार साल से अधिक पहले से आयुर्वेद में उपयोग होता आया है नीम का संस्कृत में ‘अरिष्ट’ कहा गया है, जिसका आशय श्रेष्ठ, पूर्ण और कभी न समाप्त होने वाली। सर्व रोगी निवारिणी कहा जाने वाला नीम के विषय में माना जाता है कि इसके फल, बीच, तेल, पत्ते और जड़ तक में रोगों से लड़ने की अद्भुत अपूर्व क्षमता है। भले नीम की पत्तियों का स्वाद कड़वा होता है, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार इस पेड़ का हर भाग-पत्तियाँ, छाल, निबोली, तेल औषधीय गुणों से परिपूर्ण होता है। नीम में प्रचुर मात्रा में जीवाणुरोधक (एण्टी बैक्टीरियल), कवक रोधक ( एण्टी फंगल) तथा रक्त शर्करा शुद्धकारक (ब्लड शुगर प्योरीफाइंग) गुण पाये जाते हैं। इन्हीं गुणों के कारण यह त्वचा और रक्त सम्बन्धी विकारों को दूर कर आन्तरिक रूप से हाइडेªट करके पोषण देती है। सबसे अच्छी बात यह है कि इसके प्रयोग से किसी तरह का दुष्प्रभाव नहीं होता है।
सन एक्सपोजर तथा अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन से त्वचा में होने वाली टैनिंग,डार्क सर्कलस तथा ब्लैकहेड्स में नीम की पत्तियों का पैक राहत देता है। जिन्हें हेयर फॉल, कम उम्र में बालों के सफेद होना, डैंड्रफ, रूखे और बेजान बालों की समस्या है,ये नीम की पत्तियों की उबाल कर सिर की नियमित मसाज करें। त्वचाा के संक्रमण जैसे छाले, फंुसियाँ और फोड़े में नीम की पत्तियों को पीसकर या नीम की छाल को घिसकर लेप लगाएँ। इसकी पत्तियों को उबाल उसके पानी से नहाने पर त्वचा के संक्रमण से बचा जा सकता है। नीम की पत्तियों का काढ़ा या नीम बटी गोली नियमित सेवन करने से प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी)बिगड़ने का खतरा काफी कम हो सकता है।
कुछ घरेलू उपयोग-
1-खाली पेट नीम की पत्तियाँ का सेवन रक्त विकार में राहत देता है।
2- नीम की पत्तियों का पीसकर बच्चों को इसका अर्क पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
3- नीम की दातून करने से मुँह और दाँतों के संक्रमण से छुटकारा मिलता है।
4- अनाज में नीम की पत्तियाँ डाल कर रखने से उनमें कीड़े नहीं लगते हैं।
5- नीम की पत्तियों को जलाने से कई प्रकार के बैक्टीरिया नष्ट होते हैं और मच्छरों का प्रकोप कम होता है।
6.नीम के पत्तों मंे एण्टी बैक्टीरियल गुण होते हैं। यह संक्रमण, जलन और त्वचा की किसी भी तरह की समस्याओं पर अच्छा कार्य करता है।
7.यह बैक्टीरिया को नष्ट करता है। प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करता है और तेजी से चिकित्सा को प्रोत्साहित करता है।
8..नीम में विटामिन और फैटी एसिड त्वचा की लोच में सुधार करते हैं। झुर्रियों और महीन रेखाओं को कम करते हैं।
9.नीम के पत्तों का उपयोग खुजली, एक्जिमा, रिंग कीड़े और कुछ हल्के त्वचा रोगों के लिए किया जाता है।
10.. नीम मुधमेह यानी डायबिटीज में भी बहुत लाभकारी है। यह कई तरह के कैंसर को भी खत्म की क्षमता रखता है।
11.नीम की पत्तियों को उबाल कर उस पानी से बाल धोने से रूसी(डैड्रफ) दूर होता है। नीम की दातून मसूड़ों के लिए अत्यन्त लाभकारी है। दाँतों में कीड़े नहीं लगते।
लाभ- 1.नीम के पत्तों मंे एण्टी बैक्टीरियल गुण होते हैं। यह संक्रमण, जलन और त्वचा की किसी भी तरह की समस्याओं पर अच्छा कार्य करता है। 2.यह बैक्टीरिया को नष्ट करता है। प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करता है और तेजी से चिकित्सा को प्रोत्साहित करता है।3.नीम में विटामिन और फैटी एसिड त्वचा की लोच में सुधार करते हैं। झुर्रियों और महीन रेखाओं को कम करते हैं। 4.नीम के पत्तों का उपयोग खुजली, एक्जिमा, रिंग कीड़े और कुछ हल्के त्वचा रोगों के लिए किया जाता है।5. नीम मुधमेह यानी डायबिटीज में भी बहुत लाभकारी है। यह कई तरह के कैंसर को भी खत्म की क्षमता रखता है।6.नीम की पत्तियों को उबाल कर उस पानी से बाल धोने से रूसी(डैड्रफ) दूर होता है। नीम की दातून मसूड़ों के लिए अत्यन्त लाभकारी है। दाँतों में कीड़े नहीं लगते।
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