Tag - नज़ीर अकबराबादी

लेख साहित्य

देख बहारें होली की – नज़ीर अकबराबादी

जब फागुन रंग झमकते हों तब देख बहारें होली की। और दफ़ के शोर खड़कते हों तब देख बहारें होली की। परियों के रंग दमकते हों तब देख बहारें होली की। ख़ूम शीश-ए-जाम...

Live News

Advertisments

Advertisements

Advertisments

Our Visitors

0112924
This Month : 8245
This Year : 50217

Follow Me