Tag - #ध्वज की पीड़ा

कविता

ध्वज की पीड़ा

  पिच्हत्तर वर्ष की आयु में, वो है करता अचरज। आंसू भरी आंखों को , शांत करता फिर ध्वज। कभी उठता,कभी उड़ता, कभी वायु में लहराता है। फिर बीते दिनों की याद...

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