वृन्दावन।मोतीझील स्थित श्रीराधा उपासना कुंज में चल रहे संत प्रवर श्रीपाद बाबा महाराज के 25 वें समाराधन महोत्सव के तीसरे दिन सन्त-विद्वत सम्मेलन का...
लोक कल्याण के लिए प्रकटे थे श्रीपाद बाबा महाराज: स्वामी अवशेषानंद

वृन्दावन।मोतीझील स्थित श्रीराधा उपासना कुंज में चल रहे संत प्रवर श्रीपाद बाबा महाराज के 25 वें समाराधन महोत्सव के तीसरे दिन सन्त-विद्वत सम्मेलन का...
कहानी डाॅ.बचन सिंह सिकरवार अचानक सोमनाथ को अपने घर आए देख मैं चैंका और मुझ से कहीं ज्यादा से विधायक अम्बरीश शर्मा आश्चर्य चकित रह गए। उनके चेहरा...
कोरोना संकट पर आधारित लघु कथा- डाॅ.बचन सिंह सिकरवार आधी रात को सोते समय अमोल को अचानक जोर की सर्दी/ठण्ड लगी। फिर उससे पूरा शरीर कांपने लगा। अमोल ने...
एक बार गरमियों में गाँव में एक ऐसा आदमी आया जिसे कोई भी चीज खुश नहीं कर सकती थी। वह आराम करने के लिए अखरोट के एक पेड़ के नीचे बैठ गया। यह पेड़ हर साल खूब फल...
कश्मीरी लोक-कथा रस्किन बॉण्ड एक दिन राजा अपने दरबार में बैठा था और बुद्धिमान काजी उसके पीछे बैठा था। जब वे बात कर रहे थे, तभी एक कौआ उड़ता हुआ वहाँ आया और उसने...
मोहन राकेश नदी का पुल पार करने के लिए सड़क ऊँची होनी शुरू हो गई थी। सड़क के दोनों ओर बीहड़ नज़र आने लगे थे। उसकी निगाहें उस टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडी को ढूँढ़ रही...
मोहन राकेश कोहरे की वजह से खिड़कियों के शीशे धुँधले पड़ गये थे। गाड़ी चालीस की रफ़्तार से सुनसान अँधेरे को चीरती चली जा रही थी। खिड़की से सिर सटाकर भी बाहर कुछ...
एक बार एक राज्य में बहुत सारे लोग आलसी हो गए। उन्होंने सारा कामधाम करना छोड़ दिया। यहाँ तक कि अपने लिए खाना बनाना भी छोड़ दिया और खाने के लिए दूसरों पर निर्भर...
एक ग़रीब आदमी था। एक दिन वह राजा के पास गया और बोला- ‘महाराज, मैं आपसे कर्ज़ मांगने आया हूं। कृपा कर आप मुझे पांच हजार रुपये दें। मैं पांच वर्ष के अंदर...
बहुत वर्ष पहले एक राजा की दो रानियाँ थीं। बड़ी रानी शोभा बहुत अच्छे स्वभाव की दयावान स्त्री थी। छोटी रानी रूपा बड़ी कठोर और दुष्ट थी। बड़ी रानी शोभा के एक...
भीष्म साहनी घुमक्कड़ी के दिनों में मुझे खुद मालूम न होता कि कब किस घाट जा लगूंगा। कभी भूमध्य सागर के तट पर भूली बिसरी किसी सभ्यता के खण्डहर देख रहा होता, तो...
भीष्म साहनी तभी दूर से वाङ्चू आता दिखाई दिया। नदी के किनारे, लालमंडी की सड़क पर धीरे-धीरे डोलता-सा चला आ रहा था। धूसर रंग का चोगा पहने था और दूर से लगता था कि...
भीष्म साहनी मरने से एक दिन पहले तक उसे अपनी मौत का कोई पूर्वाभास नहीं था। हाँ, थोड़ी खीझ और थकान थी, पर फिर भी वह अपनी जमीन के टुकड़े को लेकर तरह-तरह की...
![]() |
![]() |