कहानी

लोक कल्याण के लिए प्रकटे थे श्रीपाद बाबा महाराज: स्वामी अवशेषानंद

वृन्दावन।मोतीझील स्थित श्रीराधा उपासना कुंज में चल रहे संत प्रवर श्रीपाद बाबा महाराज के 25 वें समाराधन महोत्सव के तीसरे दिन सन्त-विद्वत सम्मेलन का...

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पहचान

कहानी डाॅ.बचन सिंह सिकरवार अचानक सोमनाथ को अपने घर आए देख मैं चैंका और मुझ से कहीं ज्यादा से विधायक अम्बरीश शर्मा आश्चर्य चकित रह गए। उनके चेहरा...

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अहसास

कोरोना संकट पर आधारित लघु कथा- डाॅ.बचन सिंह सिकरवार आधी रात को सोते समय अमोल को अचानक जोर की सर्दी/ठण्ड लगी। फिर उससे पूरा शरीर कांपने लगा। अमोल ने...

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गर्मियों के दिन

-कमलेश्वर चुंगी-दफ्तर खूब रँगा-चुँगा है । उसके फाटक पर इन्द्रधनुषी आकार के बोर्ड लगे हुए हैं । सैयद अली पेण्टर ने बड़े सधे हाथ से उन बोर्ड़ों को बनाया है । देखते...

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गुलेलबाज लड़का

रचनाकार भीष्म साहनी छठी कक्षा में पढ़ते समय मेरे तरह-तरह के सहपाठी थे। एक हरबंस नाम का लड़का था, जिसके सब काम अनूठे हुआ करते थे। उसे जब सवाल समझ में नहीं आता तो...

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कलंकित

डॉ.बचन सिंह सिकरवार बल्देवराज जसूजा रोजाना की तरह अपने लॉन में बैठकर जैसे ही अखबार खोलकर पढ़ने बैठे, तो पहले ही पृष्ठ पर अपने बेटे सुखदेव का फोटो और उसके बारे...

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गंगा अभी सूखी नहीं है

डॉ.बचन सिंह सिकरवार गोविन्द की आँखें रेल के सिग्नल की ओर लगी हुई थीं। राधा की हर कराह तथा मर्मांतक चीख से उसका दिल भय से और भी धड़कने लगता था कि कहीं उसकी तबीयत...

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शवयात्रा

डॉ.बचन सिंह सिकरवार रात के नौ बजते-बजते श्मशान में बस गिनती के लोग रह गए। दो घण्टे पहले यहाँ तिल रखने को भी जगह नहीं थी। हर तरफ नरमुण्ड ही नरमुण्ड नजर आते थे।...

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कलंकित

डॉ.बचन सिंह सिकरवार बल्देवराज जसूजा रोजाना की तरह अपने लॉन में बैठकर जैसे ही अखबार खोलकर पढ़ने बैठे, तो पहले ही पृष्ठ पर अपने बेटे सुखदेव का फोटो और उसके बारे...

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फूलों की घाटी: उत्तराखंड की लोक-कथा

बहुत पुरानी बात है। हिमालय पर्वत की घाटी में एक ऋषि रहते थे। वे गोरे-चिट्टेथे, उनकी श्वेत धवल दाढ़ी था और कंद, मूल, फल खाते थे । अपना अधिक समय वह तपस्या में...

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सबक

डॉ.बचन सिंह सिकरवार जब से सुरभि ने टी.वी. पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश में ‘लॉकडाउन’ करने की घोषणा का समाचार सुना, तभी से अचानक बगैर बुलाए मेहमान...

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एक नन्हा दोस्त

रस्किन बॉन्ड जब मैं पहली बार लंदन पहुँचा, तब मैं वहाँ किसी को नहीं जानता था। मैं अठारह साल का था, अकेला था और एक नौकरी की तलाश में था। मैंने एक सप्ताह शोरगुल...

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पतंगवाला

 रस्किन बॉन्ड गली रामनाथ में एक ही पेड़ था। वह बरगद का पेड़ पुरानी मसजिद की टूटी दीवार के बीच से निकला हुआ था। अली की पतंग उसकी टहनियों में फंस गई थी। फटी...

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