(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)
वृन्दावन। छटीकरा रोड़ स्थित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आश्रम में चल रहे सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ महोत्सव के पांचवें दिन व्यासपीठ पर आसीन अखण्ड दया धाम के संस्थापक महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी भास्करानंद महाराज ने अपनी सुमधुर वाणी में देश-विदेश से आए सभी भक्तों-श्रृद्धालुओं को भगवान श्रीकृष्ण के नामकरण, पूतना वध, तृणावर्त, शकटासुर, अघासुर, बकासुर का उद्धार, ऊखल बंधन लीला, माखन चोरी, ब्रह्म मोह, कलिया मर्दन, इंद्र मान मर्दन और गिरिराज गोवर्धन पूजन आदि प्रसंगों की कथा श्रवण कराई।
पूज्य भास्करानंद महाराज ने कहा कि सात कोस में विद्यमान गिरिराज गोवर्धन केवल एक साधारण पहाड़ नहीं हैं बल्कि ब्रज वासियों की रक्षा हेतु ब्रजभूमि में विराजित साक्षात् परब्रह्म परमेश्वर भगवान श्रीकृष्ण के ही स्वरूप हैं। गिरिराज गोवर्धन के रहते ब्रजवासियों पर कभी कोई संकट नहीं आ सकता है, वे हर घड़ी-हर पल उनकी रक्षा को तत्पर रहते हैं।इसीलिए वे सभी ब्रजवासियों के प्राण प्यारे कहे जाते हैं।
पूज्य महाराजश्री ने कहा कि जो भी भक्त-श्रृद्धाकु श्रीगिरिराज गोवर्धन की सच्चे मन से पूजा-अर्चना कर उनकी सप्तकोशी परिक्रमा करते हैं।गिरिराज गोवर्धन नाथ उनके सभी कष्टों का हरण करके उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
इस अवसर पर गिरिराज गोवर्धन महाराज की अत्यंत नयनाभिराम व चित्ताकर्षक झांकी सजाई गई।साथ ही 56 प्रकार के भोग लगाए गए।इसके अलावा साध्वी कृष्णानंद महाराज ने गोवर्धन महिमा से ओतप्रोत भजनों का संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य गायन किया गया।जिन पर समस्त भक्तों-श्रद्धालुओं ने जमकर नृत्य किया।
महोत्सव में प्रख्यात साहित्यकार “यूपी रत्न” डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, मुख्य यजमान पूरनमल मोहनलाल गांधी (रायपुर, छत्तीसगढ़), सन्त रासबिहारी दास महाराज, डॉ. राधाकांत शर्मा आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।




















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