(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)
वृन्दावन। रुक्मिणी विहार/तेहरा रोड़, श्याम तपोवन कॉलोनी स्थित भागवताश्रय में भागवत कथा परिवार द्वारा चल रहे चौदहवें सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ महोत्सव में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भागवत रत्न पण्डित विमल कृष्ण पाठक महाराज अपनी सरस वाणी के द्वारा देश विदेश से आए समस्त भक्तों-श्रद्धालुओं को श्रीमद्भागवत कथा का रसास्वादन कराते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत मानवीय जीवन के बहुमूल्य सूत्रों और सिद्धांतों की संहिता है।इस ग्रंथ के श्रवण करने से जीवन तो जीवन मृत्यु भी सुख मय बन जाती है।साथ ही इसमें जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के सूत्र और सिद्धांत तथा समाधान निहित हैं।उन्हें समझ कर धारण कर जीवन में उतारने की परम् आवश्यकता है। श्रीगीता योग है तथा रामायण प्रयोग है, तो श्रीमद्भागवत प्रयोगशाला है।
श्रद्धेय विमल कृष्ण पाठक महाराज ने कहा कि सदगुरु का आश्रय लिए बिना प्रभु की भक्ति मिलना संभव नहीं है।जिस प्रकार नदी पार करने के लिए नौका की आवश्यकता होती है,उसी प्रकार भवसागर पार करने के लिए एवं प्रभु भक्ति पाने के लिए हमें सदगुरु की परम् आवश्यकता होती है।इसीलिए हमें अपने जीवन में सदगुरु अवश्य बनाने चाहिए।जिससे कि हमारा कल्याण हो सके।
उन्होंने कहा कि समाज की जितनी क्षति दर्जनों की दुर्जनता से नहीं है, जितनी कि सज्जनों के मौन रहने से होती है।विदुर नीति कहती है कि सज्जनों को दर्जनों की दुर्जनता का पुरजोर विरोध करना चाहिए।इसी से समाज को अपराध मुक्त किया जा सकता है।
इससे पूर्व यजमान परिवार द्वारा श्रीमद्भागवत महापुराण ग्रंथ और व्यासपीठ का वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पूजन-अर्चन किया गया।साथ ही संगीतमय आरती की गई।

















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