कार्यक्रम

ब्रज के सभी प्राचीन लीला स्थलों का संरक्षण करना ब्रजवासियों का परम् कर्तव्य : महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज

 

 

श्रीधाम वृन्दावन पधारे वयोवृद्ध सन्त स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज (हरिद्वार) को साहित्य संस्कृति मनीषी, “यूपी रत्न” डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया सम्मानित

वृन्दावन।रतन छतरी-कालीदह रोड़ स्थित गीता विज्ञान कुटीर में वेदांत उपदेशक, श्रीमद्भगवद गीता के प्रकांड विद्वान, वयोवृद्ध व प्रख्यात संत गीता विज्ञान पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज (हरिद्वार) अपनी धार्मिक यात्रा पर श्रीधाम वृन्दावन आए हुए हैं। यहां उन्होंने विश्वविख्यात ठाकुर श्रीबांके बिहारी महाराज के दर्शन किए।साथ ही कई प्रख्यात संतों, धर्माचार्यों व प्रतिष्ठित व्यक्तियों से मुलाकात कर धर्म-अध्यात्म व अन्य विषयों पर विचार-मंथन किया।
महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि ब्रज मंडल की पावन भूमि अत्यंत पावन व पुनीत है।ये वहीं भूमि है, जहां योग-योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लेकर अपनी अनगिनत लीलाएं की।ब्रज भूमि में आज भी ऐसे अनेकों प्राचीन मन्दिर, वन-उपवन, सरोवर व धार्मिक स्थल हैं,जहां भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराधा रानी की लीलाओं के प्रत्यक्ष प्रमाण मौजूद हैं।प्रभु के उन सभी प्राचीन लीला स्थलों का संरक्षण करके यथावत बनाए रखना ही समस्त ब्रजवासियों का परम् कर्तव्य है।
उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में हमारे समाज के तमाम लोग अपनी प्राचीन संस्कृति, धर्म ग्रंथों व कर्तव्यों से विमुख होते जा रहे हैं।ऐसे में हमारे सन्तों, ब्राह्मणों व समस्त धर्माचार्यों को चाहिए कि, वे समस्त सनातन धर्मा-वलंबियों को उनके कर्तव्यों, वेदों व संस्कृति से आत्मसात कराएं।साथ ही प्रभु भक्ति से जोड़कर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करें।
पूज्य महाराजश्री ने कहा कि निष्कामता परमार्थ के सभी साधनों की जननी है।अत: हम सभी को अपने कार्य निष्काम भाव से करने चाहिए।साथ ही जगत से समता व परमात्मा से ममता रखनी चाहिए।संसार व शरीर को अपना मानना सभी पापों का मूल है।अत: संसार के सभी प्राणियों की सेवा, ईश्वर से प्रेम तथा स्वयं को त्याग करना चाहिए।साथ ही हम सभी को संयम, सेवा, सुमिरन और सादगी का पंचामृत सदैव पान करते रहना चाहिए।
कार्यक्रम के अंर्तगत ब्रज सेवा संस्थान के अध्यक्ष, साहित्य संस्कृति मनीषी, “यूपी रत्न” डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज को ठाकुरजी का प्रसादी पटुका ओढ़ाकर सम्मानित किया।साथ ही उन्होंने पूज्य महाराजश्री और उनके द्वारा संचालित विभिन्न सेवा प्रकल्पों की जानकारी देते हुए कहा कि महाराजश्री अपनी 113 वर्ष की आयु में भी समूचे विश्व में वेद-वेदान्त व श्रीमद्भगवद्गीता का सघन प्रचार-प्रसार कर असंख्य व्यक्तियों को सद्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
इससे पूर्व स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज के संरक्षण में गीता विज्ञान आश्रम, हरिद्वार से प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका “गीतालोक” का लोकार्पण भी हुआ।
इस अवसर पर प्रख्यात चित्रकार “यूपी रत्न” द्वारिका आनंद, सनातन आस्था (नई दिल्ली) के निदेशक सुनील भारद्वाज, स्वामी हरिकेश्वर ब्रह्मचारी महाराज, स्वामी लोकेशानंद महाराज, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, स्वामी परमेश्वर दास महाराज, पण्डित ईश्वरचन्द्र रावत आदि की उपस्थिति विशेष रही।

About the author

Rekha Singh

Add Comment

Click here to post a comment

Live News

Advertisments

Advertisements

Advertisments

Our Visitors

0200398
This Month : 18641
This Year : 137691

Follow Me