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आनन्द वृन्दावन में धूमधाम से संपन्न हुआ ब्रह्मलीन स्वामी अखंडानंद सरस्वती महाराज का 37वां आराधन महोत्सव

 

 

(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)

वृन्दावन। मोतीझील क्षेत्र स्थित आनन्द वृन्दावन (अखंडानंद आश्रम) में आनंद वृन्दावन चैरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा ब्रह्मलीन स्वामी अखंडानंद सरस्वती महाराज के 37वें अष्ट दिवसीय आराधन महोत्सव के समापन पर संत विद्वत सम्मेलन का आयोजन सम्पन्न हुआ।
जिसमें अपने विचार व्यक्त करते हुए जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती महाराज (ज्योर्तिमठ बद्रिकाश्रम, हिमालय) ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी अखंडानंद सरस्वती महाराज भक्ति-ज्ञान-वैराग्य के मूर्तिमान स्वरूप थे।उन जैसी पुण्यात्मायें इस पृथ्वी पर कभी-कभार ही अवतरित होती हैं।यदि हम लोग उनके किसी एक गुण को भी अपने जीवन में धारण कर लें, तो हमारा कल्याण हो सकता है।
महामंडलेश्वर कार्ष्णि स्वामी गुरुशरणानंद महाराज ने कहा कि स्वामी अखंडानंद सरस्वती महाराज परम वीतरागी व निस्पृह संत थे।वे ज्ञान के अथाह भंडार थे।उन जैसी पुण्यात्माएं पृथ्वी पर कभी-कभार ही अवतारित होती हैं।यदि हम लोग उनके जीवन दर्शन को आत्मसात करलें,तो हमारे देश व समाज की अनेकों बुराइयां समाप्त हो सकती हैं।
आनंद वृन्दावन के अध्यक्ष महंत स्वामी श्रवणानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि हमारे सदगुरुदेव ब्रह्मलीन स्वामी अखंडानंद सरस्वती महाराज समस्त धर्म ग्रंथों के प्रकांड विद्वान थे।उनके प्रवचन श्रवण करने के लिए समूचे देश के संत व धर्मावलंबी समय-समय पर उनके आश्रम में आया करते थे।
संत प्रवर स्वामी डॉ. गोविंदानंद सरस्वती महाराज एवं संत स्वामी महेशानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी अखंडानंद सरस्वती महाराज अत्यंत सेवाभावी संत थे।उनके द्वारा स्थापित विभिन्न सेवा प्रकल्प आज भी आनंद वृन्दावन में पूर्ण समर्पण के साथ संचालित हो रहे हैं।
संत-विद्वत सम्मेलन में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, महंत बाबा संतदास महाराज, साध्वी डॉ. राकेश हरिप्रिया, डॉ. राधाकांत शर्मा, आचार्य मनोज शुक्ला आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।संचालन संत सेवानंद ब्रह्मचारी ने किया।
इस अवसर पर महामंडलेश्वरों, महंतों एवं धर्माचार्यों का स्वागत व सम्मान किया गया।तत्पश्चात संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारा आदि के आयोजन भी सम्पन्न हुए।

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