कार्यक्रम

श्रीप्रियाबल्लभ कुंज में धूमधाम से संपन्न हुआ अष्टदिवसीय श्रीराधा जन्म महोत्सव

 

महोत्सव में प्रख्यात पांडुलिपिविद ब्रजेंद्र सिंघल (दिल्ली) को “हित परमानंद सम्मान – 2024”, एवं परम् विदुषी विष्णुप्रिया गोस्वामी को “हित निधि सम्मान – 2024” से अलंकृत किया गया

(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)

वृन्दावन।छीपी गली स्थित ठाकुर श्रीप्रियाबल्लभ कुंज में श्रीहित उत्सव चैरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा आचार्य विष्णुमोहन नागार्च के पावन सानिध्य में चल रहा अष्टदिवसीय श्रीराधा जन्म महोत्सव विभिन्न धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ संपन्न हुआ।इसके साथ ही श्रीहित वाणी पाठ, श्रीमद्भागवत कथा एवं दिव्य रासलीला आदि कार्यक्रम भी सम्पन्न हुए।
महोत्सव के समापन के अवसर पर सर्वप्रथम प्रातः 4 बजे दाई बधाई गायन व ठाकुर श्रीप्रिया वल्लभ लाल महाराज का महाभिषेक एवं श्रीजी के जन्म की मंगला आरती हुई।तत्पश्चात प्रातः 9 बजे श्रृंगार आरती व दाधिकांदा हुआ।
इस अवसर पर आयोजित संत-विद्वत सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करते हुए आचार्य विष्णुमोहन नागार्च ने कहा कि ठाकुर श्रीप्रियाबल्लभ मंदिर श्रीधाम वृन्दावन का एक प्राचीन मंदिर है।यहां श्रीराधा जन्म महामहोत्सव आयोजित करने की परम्परा मन्दिर के अधिष्ठाता श्रीहित परमानन्द महाराज ने 18 वीं शताब्दी में प्रारम्भ की थी।तभी से ये महोत्सव यहां आयोजित होता चला आ रहा है।
महोत्सव के समन्वयक डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व प्रमुख हितधर्मी डॉ. चंद्रप्रकाश शर्मा ने कहा कि प्रख्यात वाणीकार श्रीहित परमानंद दास महाराज 18 वीं शताब्दी के रससिद्ध संत थे।उनके द्वारा रचित वाणियों का श्रीहित परमानंद शोध संस्थान के द्वारा जो विश्लेषण का कार्य किया जा रहा है, वो अति प्रशंसनीय है।
माध्वगौडेश्वर आचार्य अभिनव गोस्वामी एवं महंत किशोरी शरण महाराज (मुखिया) ने कहा कि श्रीहित परमानंद दास महाराज श्रीराधा वल्लभ संप्रदाय के अनन्य उपासक थे।उन्होंने अपने द्वारा रचित वाणियों में श्रीराधा कृष्ण की निकुंज लीलाओं का जो विस्तार से वर्णन किया है, वो अद्भुत व अनूठा है।
महोत्सव के अन्तर्गत प्रख्यात पांडुलिपिविद ब्रजेंद्र सिंघल (दिल्ली) को “हित परमानंद सम्मान – 2024”, एवं परम् विदुषी विष्णुप्रिया गोस्वामी को “हित निधि सम्मान – 2024” से अलंकृत किया गया।साथ ही प्रशस्ति पत्र, ठाकुरजी का पटुका प्रसादी माला, अंगवस्त्र एवं नगद धनराशि आदि भेंट की गई।
इस अवसर पर भागवताचर्य श्रीहित ललित वल्लभ नागार्च, आचार्य रसिक वल्लभ नागार्च, पण्डित चंद्रमोहन नागार्च, शिवकांत मिश्रा, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, श्रीमती कमला नागार्च, डॉ. राजेश शर्मा, पण्डित रासबिहारी मिश्रा, महंत मधुमंगल शुक्ल, पण्डित जुगल किशोर शर्मा, तरुण मिश्रा, भरत मिश्रा, पंडित हरिभूषण शास्त्री, पण्डित मोहित शास्त्री, नरेंद्र मिश्रा, जुगल दास, बसंत कुमार, कृष्णा दुबे, पुनीत तिवारी, नूतन सोहनी, हितानंद, रसानंद, हितबल्लभ नागार्च आदि की उपस्थिति विशेष रही।संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।महोत्सव का समापन संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारे के साथ हुआ।

Live News

Advertisments

Advertisements

Advertisments

Our Visitors

0147218
This Month : 6007
This Year : 84511

Follow Me