कार्यक्रम

रिद्धि-सिद्धि, शुभ-लाभ, बुद्धि-विवेक, कीर्ति-वैभव और यश-ऐश्वर्य के दाता हैं भगवान गणेश

गणपति स्थापना पर विशेष ——

——– डॉ. गोपाल चतुर्वेदी

वैदिक सनातन संस्कृति में भगवान गणेश को ही सर्वप्रथम पूज्य देव माना गया है।किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले उन्ही की पूजा की जाती है।क्योंकि माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से वे रिद्धि-सिद्धि, शुभ-लाभ, बुद्धि-विवेक, कीर्ति-वैभव और यश-ऐश्वर्य के दाता हैं। वे जब भी हमारे आवाहन पर हमारे घर में आते हैं,तो उनके साथ ये सब भी हमारे जीवन में प्रवेश करते हैं।इसलिए गणेशजी को कभी भी विदा नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि विघ्न हरता ही अगर विदा हो गए, तो हमारे विघ्न कौन हरेगा।
वर्तमान में अधिकतर लोग एक दूसरे की देखा-देखी गणेशजी की प्रतिमा स्थापित कर रहे हैं, और 3 या 5 या 7 या 11 दिन की पूजा के उपरांत उनका विसर्जन भी कर रहे हैं।
आप सब से निवेदन है कि आप गणपति की स्थापना करें पर विसर्जन नही। विसर्जन केवल महाराष्ट्र में ही होता हैं। क्योंकि गणपति वहाँ एक मेहमान बनकर गये थे।एक बार महाराष्ट्र में भयंकर अकाल पड़ा और भीषण आर्थिक तंगी हुई। तब कार्तिकेय ने अपने भाई गणेशजी को रिद्धि-सिद्धि सहित आमंत्रित करके कुछ दिन वहाँ रहने का आग्रह किया था।जितने दिन गणेशजी वहां रहे, उतने दिन माता लक्ष्मी और उनकी पत्नी रिद्धि व सिद्धि वहीँ रही। इनके रहने से लाल बाग धन धान्य से परिपूर्ण हो गया। तब कार्तिकेय ने उतने दिन का गणेशजी को लालबाग का राजा मानकर सम्मान दिया था। यही पूजन महाराष्ट्र में गणपति उत्सव के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाने लगा।
अब रही बात देश के अन्य स्थानों की तो गणेशजी हमारे घर के मालिक हैं और घर के मालिक को कभी विदा नही किया जाता। वहीं अगर हम गणपतिजी का विसर्जन करते हैं तो उनके साथ लक्ष्मी व रिद्धि सिद्धि भी चली जायेगी, तो जीवन में बचेगा ही क्या।
हम बड़े शौक से कहते हैं “गणपति बाप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ” इसका मतलब हमने एक वर्ष के लिए गणेशजी और लक्ष्मीजी आदि को जबरदस्ती पानी में बहा दिया, तो आप खुद सोचो कि आप किस प्रकार से नवरात्रि पूजा करोगे। किस प्रकार दीपावली पूजन करोगे और क्या किसी भी शुभ कार्य को करने का अधिकार रखते हो, क्योंकि आपने उन्हें एक वर्ष के लिए उन्हें विदा कर भेज दिया।
इसलिए गणेशजी की स्थापना करें पर विसर्जन कभी न करें।आधुनिक युग में बाहुबली गणेश, सेल्फ़ी लेते हुए, स्कूटर चलाते हुए, ऑटो चलाते हुए, बॉडी बिल्डर, सिक्स पैक या अन्य किसी प्रकार के अभद्र स्वरुप में गणेशजी को बिठाने का कोई औचित्य नहीं है।इससे केवल सनातन धर्म की हँसी उड़ाई जा रही है।

—– डॉ. गोपाल चतुर्वेदी
(लेखक प्रख्यात साहित्यकार एवं अध्यात्मविद हैं)
रमणरेती, वृन्दावन
मोबइल – 9412178154

Live News

Advertisments

Advertisements

Advertisments

Our Visitors

0107409
This Month : 2730
This Year : 44702

Follow Me