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बहुत ही दयालु एवं सात्विक प्रवृत्ति के संत थे स्वामी भगवानदासाचार्य : स्वामी अनिरुद्धाचार्य महाराज

 

(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)

वृन्दावन।केशीघाट स्थित ठा. श्रीजानकी वल्लभ मंदिर में श्रीमद् वेदान्त देशिक आश्रम ट्रस्ट के द्वारा चल रहे दस दिवसीय ठा. श्रीजानकीवल्लभ लालजी के 50वें (स्वर्ण जयंती) प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव एवं बैकुंठवासी श्रीवेदान्तदेशिक पीठाधीश्वर अनंतश्री विभूषित जगद्गुरु स्वामी रामानुजाचार्य परमहंस स्वामी भगवानदासाचार्य महाराज के 25 वें (रजत जयंती) त्रिपाद्विभूति प्राप्ति महोत्सव के अंतर्गत संतों व विद्वानों की पावन सन्निधि में स्वामी भगवानदासाचार्य महाराज की नवीन प्रतिमा का अनावरण किया गया।साथ ही वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य उनका पूजन-अर्चन किया गया।साथ ही जगद्गुरू रामानुजाचार्य महाराज के संबंध में “श्रीस्मृति प्रभा” व “श्री आलवंदार स्तोत्र रत्न” पुस्तकों का विमोचन किया गया।
इस अवसर पर आयोजित संत-विद्वत संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए श्रीजानकी वल्लभ मंदिर के अध्यक्ष जगद्गुरु स्वामी अनिरुद्धाचार्य महाराज एवं स्वामी माधव नारायणाचार्य महाराज ने कहा कि हमारे सद्गुरुदेव स्वामी भगवानदासाचार्य महाराज बहुत ही दयालु एवं सात्विक प्रवृत्ति के संत थे।उनके द्वारा निरंतर समाज के हित में कई कार्य किए गए।वे श्रीधाम वृंदावन की दिव्य विभूति थे।
आचार्य कुटी/श्रीकृष्ण मन्दिरम् पीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु स्वामी श्रीरामप्रपन्नाचार्य महाराज एवं सुग्रीव किला अयोध्या/वृंदावन पीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु स्वामी विश्वेशप्रपनाचार्य महाराज ने कहा कि हम सभी को सदैव ही सद्गुरु के द्वारा बताए गए सन्मार्ग पर चलना चाहिए।तभी हमारा कल्याण हो सकता है।
श्रीनाभापीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु स्वामी सुतीक्ष्णदास देवाचार्य महाराज एवं श्रीमज्जगद्गुरु स्वामी रामेश्वर दास महाराज ने कहा कि स्वामी भगवान दासाचार्य महाराज सहजता, सरलता, उदारता व परोपकारिता आदि अनेकों सद्गुणों की खान थे।हम लोग यदि उनके किसी एक गुण को भी अपने जीवन में धारण कर लें तो हमारा कल्याण हो सकता है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं स्वामी रघुनाथाचार्य महाराज ने कहा कि बैकुंठवासी अनंतश्री विभूषित जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी भगवानदासाचार्य महाराज श्रीरामानुज सम्प्रदाय की बहुमूल्य विभूति थे।उनके द्वारा स्थापित सेवा प्रकल्पों का निर्वाह श्रीजानकीवल्लभ मंदिर में स्वामी अनिरुद्धाचार्य महाराज के निर्देशन में आज भी पूर्ण समर्पण के साथ संचालित हो रहा है।
इस अवसर पर स्वामी गोविंद ब्रह्मचारी महाराज, श्रीमज्जगद्गुरु स्वामी श्रीरामप्रपन्नाचार्य महाराज (प्रयागराज), चतु:संप्रदाय के श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज, पण्डित बिहारीलाल वशिष्ठ, आचार्य नेत्रपाल शास्त्री, पूर्व प्राचार्य डॉ. रामसुदर्शन मिश्रा, डॉ. रमेश चंद्राचार्य “विधिशास्त्री”, आचार्य सर्वेश द्विवेदी, हितेश शर्मा, ब्रजकिशोर दास “महानजी भक्तमाली”, महेशचंद्र अग्रवाल (दिल्ली), राम अवतार नरसरिया (रांची), सत्य नारायण फोगला (हैदराबाद), गुलशन कुमार महाजन (जम्मू) डॉ. रमेश चंद्र गुप्ता (दिल्ली), भारत भूषण (दिल्ली), मुकेश शास्त्री, रामानारायण पुजारी, डॉ. राधाकांत शर्मा, हितेश शर्मा, पण्डित ईश्वरचंद्र रावत, शैलेन्द्र कृष्ण आचार्य आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन आचार्य यशोदा नन्दन शास्त्री (लालजी महाराज) ने किया।महोत्सव का समापन संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं तदीयाराधन (वृहद भंडारे) के साथ हुआ।

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Rekha Singh

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