कार्यक्रम

सद्भावना धाम में अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम से मनाया गया धर्म सम्राट स्वामी करपात्री महाराज का प्रादुर्भाव महोत्सव

 

(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)

वृन्दावन।श्याम कुटी क्षेत्र स्थित सद्भावना धाम में अखिल भारत वर्षीय धर्म संघ, स्वामी करपात्री फाउंडेशन एवं करपात्र धाम सेवा न्यास, वृन्दावन के संयुक्त तत्वावधान में अनंतश्री विभूषित यतिचक्र चूड़ामणि धर्म सम्राट स्वामी करपात्री महाराज का प्रादुर्भाव महोत्सव समर्थश्री स्वामी त्रयंबकेश्वर चैतन्य महाराज के पावन सानिध्य में अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ मनाया गया।महोत्सव का शुभारंभ समस्त भक्तों-श्रृद्धालुओं के द्वारा पूज्य महाराजश्री की पादुकाओं के पूजन-अर्चन के साथ हुआ।
तत्पश्चात आयोजित संत-विद्वत सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करते हुए श्रीकरपात्र धाम के अध्यक्ष समर्थश्री स्वामी त्रयम्बकेश्वर चैतन्य महाराज एवं भागवत भास्कर कृष्ण चंद्र शास्त्री ठाकुरजी महाराज ने कहा कि धर्म सम्राट स्वामी करपात्री महाराज का समूचा जीवन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार व उसके संवर्धन के लिए समर्पित था।इसके लिए उन्होंने सन् 1940 में विजयादशमी के दिन धर्म संघ की स्थापना की।साथ ही भारत के सभी भागों का भ्रमण करके धर्म संघ की कई शाखाएँ स्थापित की।
पण्डित राजाराम मिश्र (गुरुजी) एवं प्रमुख अध्यात्मविद आचार्य ऋषि कुमार तिवारी ने कहा कि स्वामी करपात्री महाराज का सनातन संन्यास परम्परा को जीवंत रखने में प्रमुख योगदान है।उन जैसी विभूतियों से ही पृथ्वी पर धर्म व अध्यात्म का अस्तित्व है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं प्रमुख समाजसेवी पण्डित बिहारीलाल वशिष्ठ ने कहा कि स्वामी करपात्री महाराज भारतीय वैदिक सनातन संस्कृति के सशक्त प्रचारक थे।उन्होंने गौ, गंगा, यमुना, सनातन धर्म आदि की रक्षा के लिए कई आंदोलनों का नेतृत्व किया।जिसके लिए समस्त सनातन धर्मावलंबी उनके सदैव आभारी रहेंगे।हम शासन-प्रशासन से यह मांग करते हैं कि वृन्दावन के पानीघाट चौराहा का नाम स्वामी करपात्री चौक रखा जाए।जिससे उनकी स्मृति सदैव बनी रहे।
सुग्रीला किला अयोध्या/वृन्दावन पीठाधीश्वर श्रीमज्जगदगुरू स्वामी विश्वेशप्रपन्नाचार्य महाराज एवं श्रीमज्जगदगुरू स्वामी अनिरुद्धाचार्य महाराज ने कहा कि स्वामी करपात्री के नेतृत्व में धर्म संघ ने सन् 1946 के दंगों के नोआखली पीड़ितों की मदद की और उन्हें भूमि, भोजन और वित्तीय सहायता प्रदान की।इसके अलावा उन्होंने जबरन मुसलमान बनाये गये हिन्दुओं का पुनः धर्म परिवर्तन कराया और उन्हें राम-नाम की दीक्षा दी।
इस अवसर पर दंडी स्वामी प्रभोधाश्रम महाराज, स्वामी माधवाश्रम महाराज, स्वामी गणेशाश्रम महाराज, आचार्य दिवाकर वशिष्ठ (गुरुजी), स्वामी गोपाल शरण देवाचार्य महाराज, पूर्व प्राचार्य डॉ. राम सुदर्शन मिश्रा, पुराणाचार्य डॉ. मनोज मोहन शास्त्री, पंडित रामेश्वर पांडेय, डॉ. रमेश चंद्राचार्य विधिशास्त्री, आचार्य अच्युतलाल भट्ट, भागवत किंकर अनुराग कृष्ण शास्त्री, आचार्य नेत्रपाल शास्त्री, डॉ. रामदत्त मिश्रा, आचार्य नरोत्तम शास्त्री, आचार्य करुणा शंकर त्रिवेदी, प्राचार्य अनिल शास्त्री महाराज, गोविंदाचार्य महाराज, आचार्य नरेश नारायण, आचार्य अखिलेश शास्त्री, ब्रह्मचारी पवन कृष्ण महाराज, डॉ. राधाकांत शर्मा, आचार्य ईश्वरचंद्र रावत, स्वामी दिव्य भावानन्द महाराज आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।महोत्सव का समापन संत, ब्रजवासी वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारे के साथ हुआ।

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