(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)
वृन्दावन।कालीदह क्षेत्र स्थित अखण्ड दया धाम में मंगलायतन सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में त्रिदिवसीय श्रीगुरु पूर्णिमा महोत्सव अत्यंत धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ प्रारंभ हो गया है।महोत्सव का शुभारंभ ठाकुरजी के चित्रपट के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ।
महोत्सव के अंतर्गत महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद महाराज ने सभी भक्तों-श्रद्धालुओं को गोपीगीत पर प्रवचन करते हुए कहा कि अखिल कोटि ब्रह्माण्ड नायक परब्रह्म परमेश्वर भगवान श्रीकृष्ण की माधुर्यमयी लीला में सम्मिलित ब्रज गोपियां साधारण स्त्रियां नही थीं,अपितु वे युगों-युगों तक कठिन साधना करने वाले ऋषि-मुनि थे। जिन्होंने अपने तपोबल से इस जन्म में भगवान श्रीकृष्ण के साथ महारास लीला में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त किया था।वस्तुत: ब्रज गोपियां प्रेम की ध्वजा हैं।जो कि प्रेमा भक्ति का उद्गम हैं।
पूज्य महाराजश्री ने महर्षि वेदव्यासजी द्वारा रचित श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णित गोपी गीत की महिमा बताते हुए कहा कि यह शरद पूर्णिमा की रात्रि की हुई महारास लीला का प्रमुख आख्यान है।वस्तुत: भगवान श्रीकृष्ण आत्मा हैं, आत्माकार वृत्ति राधा हैं और शेष आत्माभिमुख वृत्तियां गोपिकाएं हैं।भगवान श्रीकृष्ण के समान ही गोपिकाएं भी परम रसमयी व सच्चिदानंदमयी थीं।यदि गोपिकाएं गोपी गीत का गायन नहीं करती तो श्रीकृष्ण महारास नहीं करते।इसीलिए गोपी गीत को महारास लीला का उद्भव कहा जाता है।
इस अवसर पर महोत्सव की संयोजक साध्वी कृष्णानंद, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, महंत रामदेव चतुर्वेदी, आचार्य विष्णु महाराज, डॉ. राधाकांत शर्मा आदि की उपस्थिति विशेष रही।
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