उत्तर प्रदेश

बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी पत्रकार थे -राजेन्द्र रघुवंशी

राजेन्द्र रघुवंशी जंयंती पर विशेष

डॉ. बचन सिंह सिकरवार

राजेन्द्र रघुवंशी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे, इसी कारण वे पत्रकारिता जैसे नियमित और दुरुह कार्य करते हुए भी अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता से जुड़े रहते हुए रंगकर्म के साथ साहित्य सृजन में भी निरन्तर लगे रहे। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने कार्यों से परिवार के सदस्यों के साथ अपने इष्ट मित्रों को भी जोड़ा। यह सब करने के लिए तमाम अभाव भी झेले। लेकिन इनसे कभी विचलित नहीं, किन्तु साम्यवादी विचारधारा के रहते हुए उन्होंने अपने से भिन्न राजनीति विचारों के लोगों को भी बराबर जोड़े रखा। रंगकर्मी राजनीतिक चिंतक, नाट्यकर्मी, नाटककार, कवि, कहानीकार, उपन्यास का देश में स्वतंत्रता आन्दोलन के योद्धा, राजनीतिक और श्रमिक संगठन के कार्यकर्ता, संस्कृतिकर्मी, श्रमजीवी पत्रकार, नाटककार, निर्देशक, अभिनेता,उनके बहुआयामी व्यक्तितव के इन रूपों का साहित्य सृजन लगातार सहयात्री रहा है। कहानी, नाटक, व्यंग्य, रेखाचित्र, रिपोतार्ज, संस्मरण आदि विविध साहित्यिक विधाओंके अलावा उन्होंने सार्थक कविताओं की रचना की है। मूल रूप से यथार्थवादी सोच और लेखन के पक्षधर थे। हिन्दी उनकी कहानियाँ सरिता,निष्ठा, सैनिक, अमर उजाला, राष्ट्रदूत, ताज की छाया में प्रकाशित हुईं। रंगमंच और पत्रकारिता से जुड़े रहने के कारण लेखन में चटक आयी। इसका उन्हें उपन्यास, कहानी, नाटक, कविता, निबन्ध-वार्ता और व्यंग्य लेखन में खूब मिला। रघुवंशी जी की काफी कविताएँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। लेकिन कुछ अप्राप्य हैं। इनका जन्म आगरा में 20 अपै्रल,1920 को हुआ। इनका सृजन क्षेत्र साहित्य, पत्रकारिता, रंगकर्म। राजेन्द्र रघुवंशी की प्रकाशित कृतियाँ नाटक‘ पहेली’,‘गठबन्धन’, उपन्यास-‘कड़वे घूंट’, विविध -‘ नये राष्ट्र का जन्म, ‘आज को गीत’,‘देश के वीर जवान, ‘आज के गीत’,‘1857 का संग्राम’,‘पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ।‘ बिध गया सो मोती’ (उपन्यास),‘दूसरा बाप’(कहानी संग्रह’), ‘बात-बात की बात (हास्य-यंग्य कविताएँ), ‘स्वगत कथन’ (आत्मकथा)। सम्मान/पुरस्कार 7 जूलियो क्यूरी विश्वशान्ति पदक, उ.प्र.संगीत नाटक अकादमी, हिमाचल थियेटर्स, प्राचीन कला केन्द्र, बसन्ती देवी दानी ब्रज पुरस्कार, अचल ट्रस्ट सम्मान, आगरा रत्न, ‘भारतीय जन नाट्य संघ(इप्टा) के संस्थापक सदस्य, सन् 1958 से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे। इनकी मृत्यु 26 फरवरी,सन् 2003 को हुआ।

Live News

Advertisments

Advertisements

Advertisments

Our Visitors

0106373
This Month : 1694
This Year : 43666

Follow Me