(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)
वृन्दावन।गोपाल खार/परिक्रमा मार्ग क्षेत्र स्थित ऋषि सत्संग भवन में श्रीअवधधाम गुरु कृपा ट्रस्ट, वृन्दावन के द्वारा ठाकुरश्री आनंद बिहारी सरकार का द्विदिवसीय वार्षिक महोत्सव विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के मध्य श्रीअवध धाम मंदिर (पानीपत एवं वृंदावन) के अध्यक्ष पूज्य दाऊजी महाराज के पावन सानिध्य में अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ संपन्न हुआ।इस अवसर पर आयोजित संत-विद्वत सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करते हुए महोत्सव में मथुरा वृंदावन नगर निगम के उप सभापति मुकेश सारस्वत ने कहा कि हमें प्रसन्नता है कि पानीपत स्थित अवध धाम के संस्थापक दाऊजी महाराज ने श्रीधाम वृन्दावन में भी अवध धाम स्थापित करके धर्म व अध्यात्म जगत का जो बहुमूल्य कार्य किया है,वो अति प्रशंसनीय है।
श्रीअवध धाम मंदिर (पानीपत एवं वृंदावन) के अध्यक्ष पूज्य दाऊजी महाराज ने कहा कि श्रीधाम वृन्दावन ठाकुर श्रीराध-कृष्ण की लीला स्थली है।वो यहां की रज के कण-कण में आज भी विद्यमान हैं।इसीलिए यह भूमि सदैव ही पूज्यनीय रही है और है।
प्रख्यात भागवताचार्य पंडित राधे राधे महाराज एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि श्रीधाम वृन्दावन में अवध धाम मंदिर व आश्रम की स्थापना आज से दो वर्ष पूर्व वृन्दावन से बाहर रहने वाले धर्म परायण व्यक्तियों को प्रभु भक्ति के मार्ग से जोड़ने के लिए हुई थी।
संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन आचार्य वेदप्रकाश पाराशर ने किया।
इससे पूर्व प्रातःकाल वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पंचकुंडीय हवन किया गया।साथ ही 108 दीपकों से ठाकुर श्रीआंनद बिहारी सरकार की महाआरती उतारी गई।तत्पश्चात आयोजित भावमय संकीर्तन एवं भजन संध्या में प्रसिद्ध भजन गायक महावीर शर्मा व रसिक गायक धीरज बावरा ने अपनी सुमधुर वाणी के द्वारा ठाकुर श्रीराधा-कृष्ण की महिमा से ओतप्रोत भजनों का गायन कर सभी श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया।इसके अलावा संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारा आदि के आयोजन भी संपन्न हुए।
महोत्सव में आचार्य पुरूषोत्तम पाराशर, आचार्य निरंजन पाराशर, संत रासबिहारी दास महाराज, बाबा बिहारी शरण महाराज, आचार्य बद्रीजी महाराज, राजकुमार पालीवाल, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, तिलकराज मिगलानी, ओमप्रकाश विरमानी, रमेश खन्ना, राधेश्याम माटा, धीरज छाबड़ा, विपिन चुग, एवं अजय बंसल आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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