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पंचम वेद है श्रीमद्भागवत महापुराण : आचार्य माधव कृष्ण अवस्थी

(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)

वृन्दावन।मधुवन कॉलोनी स्थित मौनी बाबा आश्रम में प्रख्यात संत साकेतवासी श्रीश्री मौनी बाबा महाराज का अष्ट दिवसीय स्मृति महोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ चल रहा है।जिसके अंतर्गत हो रही श्रीमद्भागवत कथा में व्यासपीठ से आचार्य पंडित माधव कृष्ण अवस्थी महाराज ने अपनी सुमधुर वाणी में भक्तों-श्रृद्धालुओं को कथा श्रवण कराते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत स्वयं योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण का वांग्मय स्वरूप बताया गया है।क्योंकि द्वापर के अंत में जब भगवान इस धरा धाम से जाने लगे तब उनके शरीर से एक दिव्य प्रकाश उत्पन्न हुआ और श्रीमद्भागवत ग्रंथ में प्रवेश कर गया।इसमें सभी धर्म-ग्रंथों का सार निहित है।इसीलिए इसे पंचम वेद कहा जाता है।
उन्होंने कहा कि कलयुग में मानव कल्याण के लिए यदि कोई सर्वोत्तम ग्रंथ है तो वो श्रीमद्भागवत ही है।इसका श्रवण, वाचन व अध्ययन तीनों ही पुण्यदायी व कल्याणकारी है।
इस अवसर पर प्रमुख धर्माचार्य पुरुषोत्तम पाराशर महाराज, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, भागवताचार्य राधे राधे महाराज( पानीपत), आचार्य कमल सागर पाराशर (मुंबई), डॉ. राधाकांत शर्मा आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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