कार्यक्रम

हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर विचार गोष्ठी का आयोजन

राधाटीलाला-रमणरेती क्षेत्र स्थित श्रीकृष्ण बलराम रेजीडेंसी में ब्रज साहित्य सेवा मण्डल के तत्वावधान में हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए मण्डल के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि हिंदी हमारे देश की संस्कृति, अस्मिता, आस्था और स्वाभिमान है। यह हमारे देश की मांग का सिंदूर है और हमारे देश की विशालता का प्रतीक है। यह बहुत बड़ी त्रासदी है कि हमारे देश का राष्ट्र पिता हैं, राष्ट्रीय पुष्प है, राष्ट्रीय पक्षी है, राष्ट्रीय पशु है और राष्ट्रीय कवि भी है लेकिन हमारे देश की कोई राष्ट्रीय भाषा नही है।व्यापक जनहित में हमारी सरकार का हिन्दी को शीघ्रातिशीघ्र राष्ट्र भाषा घोषित करना चाहिए। तभी हमारा देश सही अर्थों में प्रगति कर पायेगा और हमारी संस्कृति अक्षय रह पाएगी।
ब्रज साहित्य सेवा मण्डल के उपाध्यक्ष डॉ. सहदेव कृष्ण चतुर्वेदी ने कहा कि हिन्दी जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत और मुंशी प्रेमचंद आदि अनेक साहित्यकारों की कहानी और महादेवी वर्मा की वेदना का नीर है। साथ ही यह लोक भाषाओं के प्रेम की नजीर है।
वरिष्ठ पत्रकार विनोद चूड़ामणि ने कहा कि हिन्दी राष्ट्रीय एकता का प्रमुख माध्यम है। साथ ही यह राष्ट्रीय स्वाधीनता से पहले की भाषा है। इसे अमीर खुसरो, कबीर, सूर, तुलसी, जायसी, मीरा, रविदास और रसखान जैसे अनेक कवियों ने अपने खून पसीने से सींचा है।
मण्डल के महामंत्री राधाकांत शर्मा ने कहा कि यह विडम्बना है कि आज के भौतिक,यांत्रिक और वैज्ञानिक युग में जब कि हिन्दी की तकनिकी शब्दावली बन चुकी है और विज्ञान के क्षेत्र में हिन्दी के हजारों शब्द खोजे जा चुके हैं। फिर भी हमारी सरकार ने हिन्दी को राष्ट्र भाषा का दर्जा नही दिया है। साथ ही यह सँयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा भी नही बन पाई है।
इस अवसर पर पण्डित बिहारी लाल वशिष्ठ,आचार्य जयकिशोर गोस्वामी, वरिष्ठ साहित्यकार सतेंद्र जोशी, प्रदीप बनर्जी,आचार्य रामदेव चतुर्वेदी एवं डॉ.रमेशचंद्र विधिशास्त्री आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
संचालन मण्डल के महामंत्री राधाकांत शर्मा ने किया।

राधाकांत शर्मा

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