देश-दुनिया

क्या हासिल हुआ पश्चिमेशिया की जंग ?

डाॅ.बचन सिंह सिकरवार
अन्ततः इजरायल और फिलिस्तीन के आतंकवादी संगठन ‘हमास’ के बीच 11 दिन तक चली जंग थम ही गई , जिसे लेकर तीसरा विश्व युद्ध शुरू होने की आशंका तक जतायी जा रही थी। इसकी वजह दुनियाभर के मुसलमानों द्वारा इसे खुद की जंग मान कर इजरायल के खिलाफ एकजुट होना था। इजरायल के खिलाफ अरब, दूसरे इस्लामिक मुल्कों में नहीं, विश्व के अन्य देशों अमेरिका, कनाडा, फ्रान्स, जर्मनी आदि में रह रहे मुसलमानों में भी भारी गुस्सा और आक्रोश व्याप्त था। वे न सिर्फ बड़ी संख्या में उसके खिलाफ नफरत भरे नारे लगाते हुए जुलूस निकाल कर प्रदर्शन कर रहे थे, बल्कि इण्टरनेट मीडिया, अखबारों के आलेखों के माध्यम से इजरायल की कड़ी निन्दा करने के साथ उसके खिलाफ अपने गुस्से ंका इजहार भी कर रहे थे। यहाँ तक कि तुर्की, पाकिस्तान समेत कई कट्टरपंथी इस्लामिक मुल्क इजरायल के खिलाफ जंग छेड़ने की साजिश कर रहे थे, ऐसे में जिन इस्लामिक मुल्कों के दशकों बाद इजरायल से राजनयिक और व्यापारिक रिश्ते कायम हुए हैं, उन्हें भी न चाहते हुए 57 इस्लामिक मुल्कों के संगठन‘ ओ.आइ.सी.’में इजरायल के विरुद्ध पारित प्रस्तावों पर दस्तखत ही नहीं, उसके खिलाफ बोलने को भी मजबूर होना पड़ा रहा था। अब 21 मई से लागू यह संघर्ष विराम ं मिस्र, अमेरिका और कई दूसरे मुल्कों के दबाव में सम्भव हुआ, जो सन् 2014 की गर्मियों में इजरायल और ‘हमास’ के बीच 50 दिन चले युद्ध के बाद सबसे भीषण संघर्ष है। इसके बाद पश्चिमेशिया ही नहीं, विश्व के दूसरे देशों के लोगों ने राहत की साँस की ली है। इस संघर्ष विराम का ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’(यू.एन.)के प्रमुख एण्टोनियो गुतरेस, रूस समेत दुनिया मे दूसरे मुल्कों ने भी स्वागत किया है। इजरायली सिक्योरिटी कैबिनेट ने 20 मई की रात को संघर्ष विराम पर सहमति की मुहर जरूर लगा दी, पर इस मुद्दे पर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि इस संघर्ष विराम में दोनों तरफ से कोई शर्त नहीं रखी गई है।
अब जंग थमने के बाद जिस तरह इजराल और फिलिस्तीनों का आतंकवादी संगठन ‘हमास’ अपनी-अपनी जीत बता कर जश्न मना रहे हैं। संघर्ष विराम होते ही फिलिस्तान खासकर गाजा पट्टी में लोगों ने खुशी में आतिशबाजी- फटाके चलाए और अपना झण्डा फहराते हुए जुलूस निकाले, जबकि इजरायली लड़ाकू विमानों के गिराए बमों के धमाकों से गाजा पट्टी में तमाम बहुमंजिली इमारतें मलबे में तब्दील पड़ी हुई थीं। जहाँ एक तरफ लोग अपनों के शवों का दफनाने ले जा रहे थे, तो दूसरी तरफ बड़ी तादाद में लोग अस्पतालों में घायलों की तीमारदारी में लगे हुए थे। हर ओर इस जंग में अपनों को खोने के गम में लोग रुदन भी कर रह थे। कमोबेश, यही हालत इजरायल की थी। वैसे इन दोनों का यह रवैया दुनिया को चैंकाने वाला और यह सोचने पर मजबूर करने वाला है कि आखिर 11 दिन तक चली इस जंग से इन्हें क्या हासिल हुआ? यूँ तो यहूदियों और मुसलमानों की मजहबी नफरत और उसकी वजह से हुई जंगों का सदियों पुराना इतिहास रहा है, पर हालिया जंग की कोई खास वजह नहीं थी। दरअसल, गत 10 मई को इजरायल में पूर्वी यरुशलम स्थित ‘अल अक्सा’ मस्जिद और फिलिस्तीनी मुसलमानों पर पुलिस की सख्त कार्रवाई के विरोध में ‘हमास’ द्वारा इजरायल पर लम्बी दूरी के राॅकेट दागने और बदले में इजरायली लड़ाकू विमानों के गाजा पर बम बरसाने से शुरू हुई थी। नतीजा इजरायल के हवाई हमलों में 230 फिलिस्तान नागरिकों की जानें गईं, इनमंे 65 बच्चे और 39 महिलाएँ हैं। इनके सिवाय 1530 घायल भी हुए हैं। हमास के कमाण्डर हुसाम अबू हरबीद समेत कई कमाण्डर मारे गए हैं। ‘हमास’ द्वारा अपने छिपने को बनायी 15किलोमीटर लम्बी सुरंग और उसके दूसरे ठिकाने भी इजरायली की बमबारी में बर्बाद हो गए हैं। इस मामले में भारत की भूमिका इस माने में अच्छी रही कि उसके संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि टी.एस.कृष्णामूर्ति सुरक्षा परिषद् में स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि भारत हिंसा के सभी कृत्यों विशेषकर गाजा से राॅकेट हमलों की निन्दा करता है। ऐसा कहकर उसने अप्रत्यक्ष रूप से इस हिंसा के लिए ‘हमास’ को जिम्मेदारी ठहरा दिया, बाकी दुनिया के मुल्क तो इतना कहने में भी नाकाम रहे ।
‘हमास’ और ‘इस्लामिक जिहाद’ के मुताबिक उनके 20 लड़ाके मारे गए हैं, जबकि इजरायल के अनुसार कम से कम 130हैं। इनके राॅकेटों से इजरायल के 12 नागरिक मारे गए हैं, इनमंे एक भारतीय नर्स सौम्य संतोष,दो थाईलैण्ड के नागरिक और पाँच साल का इजरायली बच्चा भी सम्मिलित है। इस जंग में इजरायल ने गाजा पट्टी में बड़ी संख्या में उन बहुमंजिली इमारतों पर बम बरसा का तबाह कर दिया है,जिनमें हमास के दफ्तार और उसके कमाण्डर रहा करते थे। इनमें इस्लामिक यूनिवर्सिटी से सम्बन्ध लाइब्रेरी, ‘द एसोसियेटेड प्रेस‘, ’अलजजीरा’ टी.वी.के कार्यालय, कोविड क्लानिक, अस्पताल समेत तमाम रिहायशें नष्ट हो गई हैं, लेकिन दुनिया के लोगों की नाराजगी से बचने के लिए इजरायल ने इन इमारतों पर बमबारी करने से पहले उनके रहने वालों को खाली करने का समय दिया था। इस कारण बमबारी में कुछ ही लोगों की मौतें हुई हैं।
अब प्रश्न यह है कि क्या ‘हमास’ इजरायल की सैन्य शक्ति और उसकी दुनिया की आधुनिकतम सुरक्षा व्यवस्था के बारे में पता नहीं था? इजरायल पर 14मई,सन् 1948 में अपनी स्थापना के दूसरे दिन से ही पड़ोसी इस्लामिक मुल्कों ने एक साथ हमला कर दिया,जिसमें वे बुरी तरह हार गए। उसके बाद ये एकसाथ और एक-एक कर इजरायल से जंग कर हार चुके है। अब अगर ‘हमास’ को सब कुछ अच्छी तरह से पता था, तो उसने इजरायल के अन्दरूनी मामले में दखल देते हुए उस पर लम्बी दूरी के राॅकेट दागकर जंग छेड़ने की शुरुआत क्यों की?क्या वह अपने हथियारों की विध्वंसक क्षमता का परीक्षण करना चाहता था?क्या उसका मकसद इजरायल में पूर्वी यरुशलम में स्थित मुसलमानों की दुनिया में तीसरे पाक स्थान ‘अल अक्सा मस्जिद’ तथा इजरायली फिलिस्तानियों की पुलिस की सख्त कार्रवाई की मुखालफत में जंग छेड़कर दुनियाभर मुसलमानों से अपनी हमदर्दी हासिल करना चाहता था? अगर ऐसा है, तो उसमें ‘हमास’ को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। अब उसे इन मुल्कों और हममजहबियों से पहले से ज्यादा हमदर्दी और इमदाद मिलना तय है।
एक सवाल यह भी है कि ‘हमास’ को चार हजार से अधिक राॅकेट और दूसरी सैन्य सामग्री कहाँ से मिली?यह अलग बात है कि इजरायल ने अपने ‘एयर डिफेन्स सिस्टम’से उसके 90 फीसदी से ज्यादा राॅकेट हवा में ही तबाह कर दिये। फिर भी उसके कुछ राॅकेट इजरायल के तेल अवीव, अश्केलोन, बेर्शबा, बीरशेबा आदि शहरों में गिरे हंै, जिनसे कुछ इमारतें ध्वस्त हुई है ंऔर कुछ लोगों की जानें भी गईं हैं। वैसे वे कौन-कौन से मुल्क हैं, जो इस दहशतगर्द संगठन ‘हमास’ की आर्थिक तथा सैन्य साज-सामान से मदद कर रहे हैं? वैसे जानकारों का अन्दाज है-हमास की मदद इजरायल के दुश्मन मुल्क ईरान, तुर्की, कुछ अरब और खाड़ी मुल्कों समेत दुनिया के दूसरे मुल्कों में बसे इस्लामिक कट्टरपन्थी उसे हर तरह से इमदाद देते हैं, जो दुनिया के एकमात्र यहूदियों के देश इजरायल को नमोनिशां मिटाना चाहते हैं।
अफसोस और ताजुब्ब की बात यह है कि यह जंग फिलिस्तीन और इजरायल के बीच न होकर फिलिस्तीनियों के दहशतगर्द संगठन ‘हमास’ और उसे जैसे ‘इस्लामिक जिहाद’ आदि से थी, जो फिलिस्तीन की गाजा पट्टी पर कब्जा जमाये हुए है। इन्हें ‘अलकायदा’ ,आइ.एस. सरीखे खूंखार इस्लामिक दहशतगर्द संगठनों की भी मदद मिलने की आशंका जतायी जाती रही है। फिर भी दुनियाभर के इस्लामिक मुल्क खासतौर पर उनके संगठन ‘ओ.आइ.सी.से जुड़े 57मुल्क और दूसरे गैर इस्लामिक मुल्कों अमेरिका, कनाड़ा, ब्रिटेन,फ्रान्स,जर्मनी आदि में रह रहे मुसलमान बेखौफ होकर उसके समर्थन में जुलूस निकाल कर प्रदर्शन कर रहे थे। फिर भी अमेरिका समेत किसी भी मुल्क ने इन इस्लामिक मुल्कों और अपने यहाँ बसे मुसलमानों से यह सवाल करना मुनासिब नहीं समझा कि वे आतंकवादी ‘हमास’ का समर्थन क्यों कर रहे हैं, जो एक स्वतंत्र, सम्प्रभु और संयुक्त राष्ट्र से मान्य देश इजरायल के अन्दरूनी मामले में किसी हैसियत से राॅकेटों से हमला कर रहा था? यह युद्ध फिलिस्तीन और इजरायल के बीच कहाँ है? जहाँ तक इजरायल की बात है, तो उसने यह जंग गाजा पट्टी तक सीमित रखी, जिस पर ‘हमास’ का कब्जा है और उसी का शासन चलता है। उसमें भी इजरायल ने सिर्फ उन इमारतों पर बमबारी की, जो किसी न किसी रूप में ‘हमास’ से जुड़ी हुई थीं। वहाँ भी उसने हमले से पहले उन इमारतों को खाली करने की चेतावनी दी, ताकि उसे तबाह करते वक्त किसी की मौत न हो।
वैसे भी इस दहशतगर्द संगठन ‘हमास’का फिलिस्तान से कोई वास्ता नहीं है,जिसका ‘अलकायदा’,‘आइ.एस.जैसे खूंखार इस्लामिक दहशतगर्द संगठन से जुड़ाव भी बताया जाता है। अगर होता, तो फिलिस्तान के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने इजरायल की यू.एन.में इजरायल की शिकायत क्यों नहीं की? उन्होंने तो बस अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय से पूर्वी यरुशलम में मुसलमान और ईसाइयों के बीच हिंसा रोकने की अपील करने को कहा था। ‘हमास’ की तरफदारी और उसके साथ हमदर्दी से साफ है कि ज्यादातर मुसलमानों के लिए अपने मुल्क और इन्सानियत से बढ़ कर मजहब है। इसके बाद भी वे गैर इस्लामिक मुल्कों पर खुद के साथ बेवजह भेदभाव और शक जताने का आरोप लगाते आए हैं। वैसे इजरायल तथा ‘हमास’ के बीच जंग ने मुसलमानों ने अपने अनुचित रवैये से खुद का ही नुकसान किया है। अब कोई गैर इस्लामिक मुल्क उन्हें पनाह देने से पहले सौ नहीं, हजार बार सोचेगा, ऐसे में उनकी भेदभाव किये जाने की शिकायत पर कौन संजीदगी से लेगा? वैसे भी इजरायल और हमास ने बगैर शर्त संघर्ष विराम जरूर किया है, लेकिन यह कब तक चलेगा?इसकी कोई गारण्टी नहीं है और यह सवाल भी अपनी जगह मौजूं कि इस बार की जंग से इन दोनों में से किसे क्या हासिल हुआ हैं?
सम्पर्क-डाॅ.बचन सिंह सिकरवार 63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054

 

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