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रुक्मिणी बिहार क्षेत्र स्थित भागवत पीठ में मकर संक्रांति एवं धनुर्मास महोत्सव

वृन्दावन। रुक्मिणी बिहार क्षेत्र स्थित भागवत पीठ में सूर्य उपासना एवं सामाजिक समरसता का पर्व मकर संक्रांति एवं धनुर्मास महोत्सव अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम के साथ संपन्न हुआ।
भागवत पीठ के संस्थापक व आचार्य पीठ के अध्यक्ष भागवत मनीषी श्री वैष्णवाचार्य मारुति नंदन “वागीश” जी महाराज ने कहा कि मकर संक्रांति का पर्व सूर्य उपासना का सबसे बड़ा पर्व है। वेदों में भी सूर्य को विशेष महत्व दिया गया है। सूर्य देवता ज्योतिष विज्ञान और प्रकृति दोनों के ही आधार हैं। उनके पूजन से दैहिक,दैविक और भौतिक तत्वों का क्षय होता है। साथ ही मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा परिवर्तन प्रकृति का नियम है।आज के दिन सूर्य दक्षिणायण से उत्तरायण होते हैं। ठीक इसी प्रकार हम सभी को आज बुराई से अच्छाई में परिवर्तित होने का संकल्प लेना चाहिए।
मुंबई से पधारे महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने कहा कि मकर संक्रांति के दिन दक्षिणायण से उत्तरायण होने वाला सूर्य प्रकाश की ओर संकेत करता है। हम सभी को सूर्य की ऊर्जा व प्रकाश से प्रभावित होकर सत्कार्य करने की ओर अग्रसर होना चाहिए।
ब्रज साहित्य सेवा मंडल के अध्यक्ष डॉ गोपाल चतुर्वेदी ने कहा की सनातन वैदिक ग्रंथों के अनुसार मकर संक्रांति के पर्व को अत्यंत शुभ माना गया है। यह परिवर्तन अंधकार से प्रकाश की ओर हुआ परिवर्तन माना गया है।मकर संक्रांति का पर्व प्रगति,ओजस्विता,सामाजिक एकता व सामाजिक समरसता का पर्व है।इसीलिए यह समूचे देश में विभिन्न रूपों में अत्यंत धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
मथुरा-वृंदावन नगर निगम के उपसभापति पंडित राधा कृष्ण पाठक ने कहा कि मकर संक्रांति के ही दिन गंगा मैया पृथ्वी पर अवतरित हुईं थीं और गंगासागर में जाकर विलीन हो गयीं थीं। इसी दिन भीष्म पितामह ने अपनी इच्छा मृत्यु के वरदान के चलते इसी दिन परलोक गमन किया था।मकर संक्रांति का पर्व अंग्रेजी नववर्ष का सबसे पहला और सबसे प्रमुख पर्व है।
मकर संक्रांति एवं धनुर्मास महोत्सव में धर्म व अध्यात्म के क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान के लिए महामंडलेश्वर हेमांगी सखी एवं समाज सेवा के क्षेत्र में मथुरा वृंदावन नगर निगम के नवनिर्वाचित उपसभापति पंडित राधा कृष्ण पाठक का भागवत पीठ की ओर से भागवत मनीषी श्री वैष्णवाचार्य मारुति नंदन वागीश जी महाराज के द्वारा अभिनंदन व सम्मान किया गया।
इस अवसर पर भागवत आचार्य पंडित बिहारी लाल शास्त्री, आचार्य बद्रीश, देवांशु गोस्वामी,श्रीधराचार्य, विष्णु कांत शास्त्री, राधाकांत शर्मा, पूर्व सभासद विजय मिश्रा,भागवताचार्य जगदीश चंद्र शास्त्री, भजन सम्राट बनवारीलाल महाराज, प्रमुख समाजसेवी प्रदीप बनर्जी,रमेश चंद्र विधिशास्त्री, कार्ष्णि नागेंद्र दत्त गौड़, पं. बिहारिलाल वशिष्ठ, रामविलास चतुर्वेदी,विजयकृष्ण चतुर्वेदी,जगदीश चंद्र शास्त्री,सुदामा दास महाराज, डॉ. सत्यमित्रानंद महराज आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
महोत्सव का समापन सन्त-ब्रजवासी-वैष्णव सेवा एवं खिचड़ी व दाल बाटी की पंगत के साथ हुआ। संचालन पण्डित बिहारिलाल शास्त्री जी महाराज ने किया।

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