अपराध

मुरादनगर नहीं, हर जगह ऐसा ही है योगी जी

साभार सोशल मीडिया

डाॅ.बचन सिंह सिकरवार

साभार सोशल मीडिया

गत दिनों मुरादनगर के उखलारसी गाँव में कोई दो माह पूर्व निर्मित अत्येष्टि स्थल की गैलरी की छत गिरने से वहाँ उपस्थित 24 लोगों के मरने और कई दर्जन घायल होने की घटना अत्यन्त दुःखद होने के साथ-साथ सार्वजनिक निर्माण के कार्यों में बहुत घटिया निर्माण और अपेक्षित सामग्री लगाकर सार्वजनिक धन की प्रशासनिक, जनप्रतिनिधियों, इंजीनियरों, ठेकेदारों की मिलीभगत से की जा रही खुली लूट और शासन की भ्रष्टाचार की सख्त नीति को ठेंगा दिखाने का सुबूत है। इसके लिए दोषियों को जितना भी कठोर दण्ड दिया जाए, वह कम ही होगा। अपनी अवैध कमाई के लिए लोगों की जिन्दगी से खेलने वाले साक्षात राक्षस हैं, जिन्हें भोग-विलास के लिए दूसरों की जीवन से खिलाड़ करने में कोई शर्म, संकोच नहीं हैं। यह इन सभी का दुस्साहस ही हैं? जिन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस कथन का कोई भय नहीं है, जो भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टोलरेन्स की नीति लेकर चल रहे हैं।
पचपन लाख रुपए के इस ठेके में ठेकेदार ने अधिशासी अधिकारी (ईओ), अवर अभियन्ता (जे.ई.) को 16 लाख रुपए रिश्वत दिये जाने से स्पष्ट है कि सार्वजनिक धन का किस तरह बन्दर बाँट कर ठिकाने लगाया जाता है। यही कारण है कि जब उखलारसी गाँव में कोई डेढ़ माह पूर्व निर्मित अत्येष्टि स्थल में घटिया निर्माण सामग्री के इस्तेमाल किये जाने की सम्बन्धित अधिकारियों से शिकायतें की गई,तब उन्होंने उनका संज्ञान नहीं लिया, क्योंकि उनकी भी भ्रष्टाचार में हिस्सेदारी दी थी।इतना ही नहीं, जो छत गिरी है,उसका डिजाइन ही गलत था। न तो उसमें पिलर की संख्या पूरी थी, न छत की ऊँचाई मानक के अनुसार थी। इस असीमित भ्रष्टाचार के रहते गुणवत्तापूर्ण की आशा करना ही निरर्थक है। वैसे यह स्थिति केवल मुरादनगर में ही नहीं, कमोबेश पूरे राज्य में लगभग सभी सरकारी विभागों की

साभार सोशल मीडिया

है। राजनीतिक दल विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी जो, ‘न अत्याचार ,न भ्रष्टाचार’अब की भाजपा सरकार का नारा देकर सत्ता में आयी है, लेकिन प्रदेश के सभी सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार में किसी तरह की कोई कमी नहीं आयी है, बल्कि योगी जी का डर दिखाकर सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों तथा पुलिस अधिकारियों, सिपाहियों ने रिश्वत की दरें बढ़ा दी हैं। जमीनी सच्चाई यह है कि अब तक उत्तर प्रदेश में विभिन्न राजनीतिक दलों की सरकारें भले ही बदलती रही हैं, पर भ्रष्टाचार न सिर्फ बदस्तूर जारी है, बल्कि लगातार बढ़ा है। मुरादनगर के इस मामले के उजागर होने से निश्चय स्वयं योगी आदित्यनाथ भी हैरान-परेशान हुए होंगे, क्यों कि जो अधिकारी उन्हें राज्य में सब कुछ ठीक (आॅल इज वेल) होना बता रहे थे, उसमें अब कुछ भी सही दिखायी नहीं दे रहा है। यही कारण है कि सरकार ने भ्रष्टाचार के मामले में लिप्त सभी आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिया है। उसे देखते हुए ईओ निहारिका चैहान, जेई चन्द्रपाल, ठेकेदार अजय त्यागी,संजय गर्ग, कार्यदायी संस्था के सुपरवाइजर आदि को गिरफ्तार कर लिया गया है। अब इन अभियुक्तों से मृतकों और घायलों को दी गई क्षतिपूर्ति रकम वसूलने की कार्रवाई करने जारी है। आगरा नगर निगम भी घपला-घोटाला का पर्याय बना हुआ है। इसने ‘वीबाक‘ नामक कम्पनी को सीवर तथा सफाई आदि का ठेका दिया हुआ है। इस पर दरवाजे -दरवाजे (डोर टू डोर) कूड़ा-कचरा एकत्र करने की जिम्मेदारी है।गत दिनों इसने जिन घरों से कूड़ा-कचरा उठाये जाने की सूची नगर निगम को दी थी, उनका अस्तित्व ही नहीं था। इसके पास सीवर सफाई करने की जिस तरह की मशीनें होनी चाहिए,वह भी नहीं हैं। फिर उसका ठेका आजतक रद्द नहीं किया गयां यहाँ स्ट्रीट लाइटें/एलइडी लगाने और बदलवाने का ठेका दिया था,उसने भी भारी घपला किया। यहाँ विज्ञापन के होर्डिंग आदि लगाने में भी भारी भ्रष्टाचार है। घरों के नामान्तरण बिना घूस के नहीं होता है,महापौर से शिकायत करने करने की बात कहने पर सम्बन्धित क्लर्क कहना था,इसमें से उन्हें भी हिस्सा पहुँचता है।आप हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। आगरा में हर साल बरसात से पहले नाले-नालियों की तल छट सफाई का अभियान चलाया जाता है, पर सही माने में शायद की किसी की ऐसी सफाई की जाती हो। आए दिन सड़क,सीवर आदि के निर्माणों में घटिया सामग्री इस्तेमाल की शिकायतें की जाती है,पर आज तक किसी ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है। भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के तमाम उपायों के रहते हुए भी प्रदेश में ग्राम सभाओं की कार्यशैली में कोई खास बदलाव नजर नहीं आया है।सच्चाई यह है कि सरकार कर्मचारियों की जेब भरे बगैर किसी भी सरकारी योजना का लाभ मिल पाना असम्भव है। किसान सम्मान निधि के लिए भी किसानों को लेखपाल की जेब गर्म करनी होती है, ऐसा किये बगैर ये कुछ न कुछ कमी निकालते रहे हैं। हकीकत यह है कि लेखपाल ही खेती से सम्बन्धित विवादों के पीछे लेखपालों का भ्रष्टाचार है,जो रिश्वत लेकर कुछ का कुछ कर देते हैं। उनके लिखे की काट करना आसान नहीं है।इसलिए सबसे ज्यादा लेखपाल से ही डरते हैं।
अब देखना यह है कि मुरादनगर के उखलारसी गाँव की अन्त्येष्टि स्थल की दुर्घटना के बाद राज्य सरकार की कठोर कार्रवाई से स्थानीय निकायों में होने वाले भ्रष्टाचार पर कितनी लगाम लगती है?
सम्पर्क-डाॅ.बचन सिंह सिकरवार 63ब, गाँधी नगर, आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054

Live News

Advertisments

Advertisements

Advertisments

Our Visitors

0113008
This Month : 8329
This Year : 50301

Follow Me