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क्या सफल होंगे थाईलैण्ड में लोकतंत्र समर्थक ?

साभार सोशल मीडिया

डॉ.बचन सिंह सिकरवार

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इन दिनों में थाईलैण्ड में लोकतंत्र में समर्थकों का आन्दोलन जिस तरह लगातार फैलता जा रहा है, उससे उनका वर्तमान सरकार के प्रति आक्रोश, असन्तोष और गुस्सा ही प्रकट होता है। ये लोग राजतंत्र और संविधान में सुधार के लिए प्रधानमंत्री से त्यागपत्र की माँग कर रहे हैं, जिसे वे देने को तैयार नहीं हैं। इसके बजाय प्रधानमंत्री ने इस आन्दोलन को सख्ती से कुचलने के आदेश दिये हैं। इस आन्दोलन को थामने के लिए सरकार द्वारा लगाया आपात काल भी निष्प्रभावी दिखायी दे रहा है। लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों और पुलिस के टकराव की घटनाएँ भी बढ़ रही हैं। प्रदर्शनकारियों को रोकने को पुलिस द्वारा मार्ग बन्द कर दिये गए हैं और उनके आगे बढ़ने पर पानी की बौछार भी की गई,पर इससे उन पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा। इस आन्दोलन की भयावहता और तनावपूर्ण वातावरण को देखते हुए राजधानी बैंकाक में माल आदि भी बन्द कर दिये गए हैं।गत 16अक्टूबरों के बाद से प्रदर्शनकारियों की गिरपतारियाँ जारी हैं फिर भी आन्दोलनकारियों के हौसलों पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा है।ऐसे में लगता है कि लोकतंत्र समर्थकों का राजतंत्र और संविधान में सुधार को लेकर चल रहा यह आन्दोलन आसानी से थमने वाला नहीं है।

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दक्षिण-एशियाई देश थाईलैण्ड का पूर्व में ‘श्याम’जाता था। वर्तमान में एक संवैधानिक राजतंत्र है। प्राचीन काल से यहाँ निरंकुश शासन था, लेकिन सन् 1932 में यह संवैधानिक राजतंत्र बन गया। यह देश सन् 1938 में स्वतंत्र हुआ। सन् 1948 में इस देश ने अपना वर्तमान नाम ‘थाईलैण्ड’ग्रहण किया। इसका क्षेत्रफल- 5,13,115वर्ग किलोमीटर तथा इसकी राजधानी बैंकाक है। इसकी देश की जनसंख्या- 6,70,70,000से अधिक है। यहाँ के लोग थाई, चीनी, अँग्रेजी एवं मलय बोलते हैं और बौद्ध तथा इस्लाम मानते हैं। थाईलैण्ड की मुद्रा- बाहट था। सन् 1958 में इस देश में अन्तिम‘सैनिक क्रान्ति’ हुई थी। उस समय फील्ड मार्शल सरीत थानारात ने सत्ता पर अधिकार कर लिया था। उस समय उन्होंने सभी लोकतंात्रिक संस्थाओं को भंग कर दिया था। सन् 1963 में उनकी मृत्यु के बाद उनके सहायक थानोम कीतिकाचोरन ने सत्ता सम्हाली। उसके बाद मार्शल थानोम शासन कार्य चलाते रहे। वे सैनिक होते हुए लोकतंत्र में आस्था रखते थे। जून,सन् 1997 में किंग भूमिबोल ने अपने शासन के तानाशाह होने का कीर्तिमान बनाया। देश का मुख्य धन्धा खेती है जिसमें जनसंख्या का 60 प्रतिशत लगा है। यहाँ की मुख्य फसल चावल है,जिसका बड़ा भाग निर्यात कर दिया जाता है। अन्य कृषिजन्य निर्यात नारियल, तम्बाकू ,कपास और टीक है। पिछली शताब्दी से थाईलैण्ड ने अपने देश में निर्मित और संसाधति वस्तुओं के निर्यात में वृद्धि की है। खनिजों में टिन,मैंग्नीज ,टंगस्टन, एण्टीमनी, लिग्नाइट और सीसा शामिल है। इस देश में पर्यटन का बहुत विकास हुआ है।
दुनियाभर में इस सभी के निगाहें थाईलैण्ड के राजतंत्र और संविधान में सुधार के लिए चल रहे आन्दोलन पर लगी हैं।अब देखना यह है कि वहाँ के लोकतंत्र समर्थक अपने लक्ष्य की प्राप्ति में कहाँ तक सफल हो पाते हैं।?
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार 63ब, गाँधी नगर, आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054

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