स्वास्थ्य

मधुमेह पर नियंत्रण भोजन से

साभार सोशल मीडिया

प्राकृतिक-चिकित्सा
विनय राणा

साभार सोशल मीडिया

एक पानी में घुलनशील और दूसरा अघुलनशील। पानी में घुलनशील रेशायुक्त वनस्पति भोजन के साथ लेने पर पेट के अन्दर काफी मात्रा में झाग उत्पन्न होता है और चिपचिपा झाग भोजन में उपस्थित शर्करा, वसा एवं प्रोटीन अणुओं के चारों ओर से एक परत-सी बना देता है। इस कारण पेट में उपस्थित पाचक रस देर से इन अणुओं के पास पहुँच पाते हैं।
इस कारण भोजन धीरे-धीरे पचता है और जटिल शर्करा अणुओं के सरल शर्करा अणुओं में बदलने की क्रिया धीमी हो जाती है। जब ग्लूकोज में बदलने की क्रिया धीमी हो जाती है तो निश्चित समय में ग्लूकोज की कम मात्रा ही आंतों से शोषित हो रक्त में पहुँच पाती है और खाना खाने के बाद खून में शुगर की मात्रा तेजी से नहीं बढ़ती है। रेशेदार खाद्य पदार्थों के सेवन से एक और लाभ होता है कि आमाशय ग्रन्थि को भोजन की ऊर्जा में बदलने के लिए जरूरी इन्सुलिन अन्तःस्रावी की उत्पत्ति के लिए अपेक्षाकृत और अधिक समय मिल जाता है।
चिकित्सकों का कहना है कि पोषक तत्त्वों, फल-फूल तथा सब्जियों में पाये जाने वाले कई विटामिन ,बीमारियों से लड़ने की क्षमता के साथ उम्र बढ़ने के साथ होने वाली कई बीमारियों को रोकने और उन्हें कम करने की क्षमता भी रखते हैं,जैसे विटामिन ‘इ’ एवं उससे युक्त भोजन मधुमेह रोग उत्पत्ति से बचाव एवं मधुमेह रोगी में इसे उग्र रूप में धारण करने से रोकने से सहायक होता है। प्राकृतिक रूप से यह विटामिन अंकुरित भोजन, गूदेदार फलों, ताजा हरी पत्तेदार सब्जियों, मोटे पीसे अनाज, दूध में बड़ी मात्रा में पाया जाता है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि केवल अपने खान-पान में बदलाव लाकर ही हम मधुमेह जैसी जटिल बीमारी का मुकाबला कर सकते हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि मधुमेह के रोगियों को भोजन के अलावा डॉक्टर एवं दवा की आवश्यकता नहीं है, भोजन तो केवल इलाज में सहायक है और महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

Live News

Advertisments

Advertisements

Advertisments

Our Visitors

0104541
This Month : 10055
This Year : 41834

Follow Me