डॉ.बचन सिंह सिकरवार

पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त के नवाबशाह की मस्जिद के इमाम हामिद कादरी ने एक हिन्दू जोड़े को जबरन इस्लाम कुबूल कराये जाने की घटना अत्यन्त दुखद होने के साथ यह भी साबित करती है कि यह मुल्क गैर मुस्लिमों के लिए जहन्नुम से कम नहीं है। जब इन दोनों को मुसलमान बनाया जा रहा था उस वक्त बरेलवी आन्दोलन के नुमाइन्दे और पाकिस्तान में इस्लामिक मजहबी संगठन ‘जमात अहले सुन्नत’ के नेता भी मौजूद थे। ये सभी प्रधानमंत्री इमरान खान के भी काफी निकट हैं। इनमें इमाम हामिद कादरी तो सिन्ध प्रान्त में बाकायदा हिन्दुओं और ईसाइयों का मतान्तरण करने की मुहिम चला रहा है। अपने पर होने वाले जुल्मों के खिलाफ अल्पसंख्यक हिन्दू और ईसाई आवाज उठाते आ रहे हैं, पर कहीं पर उनकी सुनवायी नहीं होती। पाकिस्तान सरकार, प्रशासन, पुलिस और मुल्ला, मौलवी, इमाम सभी के बीच गैर मुसलमानों के खिलाफ दुरभि सन्धि है। यहाँ कि गैर मुसलमानों को अदालतों में भी इन्साफ नहीं मिलता,पर कुछ अच्छे‘ – सच्चे मुसलमानों ने भी जब उन पर होने वाले जुल्मों के खिलाफ आवाज उठायी, तो उन्हें भी इस्लामिक कट्टरपन्थियों ने नहीं बख्शा। इसके बाद भी पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान बेशर्मी से भारत सरकार पर मुसलमानों पर जुल्म ढहाने के झूठे इल्जाम लगाते रहते हैं।
वैसे इन सभी की इस बेजां हरकत देखकर तो इनके सच्चे मुजाहिद होने पर ही शक होता है। क्या रमजान के पाक माह में कोई सच्चा मुसलमान ऐसा जुल्म ढहाता है ? यह महीना तो खुदा की इबादत का है, जिसमें किसी के खिलाफ सोचना ही कुफ्र होता है। लेकिन इस्लाम की बिना / बुनियाद पर बने पाकिस्तान ने उसके ही उसूलों की कभी परवाह नहीं की। अगर ऐसा रहा होता, तो क्या इस पाक महीने में

पाकिस्तानी सेना जम्मू-कश्मीर की सरहद पर बगैर भड़कावे के भी गोलीबारी कर खून बहाती है। इसमें भारतीय सैनिक ही नहीं, आम नागरिकों ं की भी जानें जाती रहती हैं। इनमें ज्यादातर उनकी हममजहबी यानी मुसलमान है। इन मरने और घायल होने वालों में बच्चे, औरतें, बूढें भी शामिल हैं। इसके बावजूद कभी भी भारत के किसी मजहबी रहनुमा और पंथनिरपेक्षा सियासी पार्टियों के नेताओं ने पाकिस्तान में गैर मुसलमानों पर होने वाले जुल्मों की मजम्मत नहीं की है, जो मौजूदा वक्त में आए दिन केन्द्र सरकार परं मुसलमानों के कभी गैर बराबरी तो कभी जुल्म ढहाने के फर्जी इल्जाम लगाते रहते हैं।
अमेरिका स्थित सिन्धी फाउण्डेशन के अनुसार हर साल 12 से 28 साल तक की करीब एक हजार सिन्धी हिन्दू युवतियों का अपहरण किया जाता है जिनको इस्लाम कुबूल कराने के बाद मुसलमान युवकों से उनका निकाह कर दिया जाता है।
भारत के विभाजन के बाद बने पाकिस्तान में 23 प्रतिशत हिन्दू रह गए थे, जो धार्मिक उत्पीड़न, अत्याचार, अन्याय के कारण या तो देश छोड़कर चले गए या फिर उन्हें इस्लाम कुबूल करने को मजबूर होना पड़ा है। इस वजह से अब पाक में केवल 1.6 प्रतिशत हिन्दू से बाकी बचे हैं। इनमें भी ज्यादातर अनुचित जातियों के है,जो सफाई आदि जैसे कामों में लगे हैं। कुछ सूत्रों के मुताबिक वर्तमान में जिन युवतियों को इस्लाम कुबूल कराया जाता है इनमें 30 फीसदी हिन्दू और 70 प्रतिशत ईसाई युवतियाँ हैं। इनमें से ज्यादातर को चीनी युवकों को बेच दिया जाता है, जिसकी बड़े पैमाने पर मुखालफत हो रही है।
भारत को विश्व मंचों पर पाकिस्तान के इस घिनौने चेहरे को दुनिया के सामने लाना चाहिए,जो इन्सानियत को सबसे बड़ा दुश्मन बना हुआ है।
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