(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)
वृन्दावन। वृन्दावन शोध संस्थान द्वारा आयोजित साँझी महोत्सव-2025 के पांचवें दिन छीपी गली/पुराना बजाजा स्थित ठाकुर श्रीप्रियावल्लभ कुंज में साँझी संवाद का आयोजन बड़े ही हर्षोल्लास एवं धूमधाम के साथ संपन्न हुआ।जिसके अंतर्गत ‘साँझी रचना एवं साँझी का ब्रजभाषा साहित्य और कला यात्रा’ विषयक संगोष्ठी, पुष्प एवं जल साँझी रचना, पद गायन तथा साँझी साहित्य पर आधारित प्रदर्शनी आदि कार्यक्रम आयोजित किए गए।
संगोष्ठी में राष्ट्रीय ब्राह्मण सेवा संघ के संस्थापक पण्डित चंद्रलाल शर्मा ने कहा कि ब्रज की साँझी परंपरा मंदिर तथा गांवों में बनने वाली साँझी दोनों धरातलों पर अपनी विशेषता की अभिव्यक्ति करती है। कलागत सौन्दर्य के साथ ही साँझी परंपरा से जुड़ा साहित्य और संगीत इसकी विशेषता को दर्शाता है।
ठा. श्रीप्रियावल्लभ कुंज के सेवायत आचार्य विष्णुमोहन नागार्च ने कहा कि साँझी के घरानों में श्रीप्रियावल्लभ कुंज का महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ श्रीहित परमानंददास महाराज ने ब्रजभाषा में साँझी के विपुल पदों की रचना की है।श्रीहित परमानंददास महाराज के द्वारा रचित साँझी साहित्य का प्रमाण प्राचीन पाण्डुलिपियों में देखने को मिलता है।
ब्रज साहित्य सेवा मंडल के अध्यक्ष डॉक्टर गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि वृन्दावन शोध संस्थान के द्वारा पितृ पक्ष में सांझी संवाद के जो आयोजन प्रतिदिन विभिन्न देवालयों में किए जा रहे हैं, उनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम है। क्योंकि संस्थान के इस कार्य से न केवल लुप्त प्राय सांझी कला का विस्तार होगा अपितु ब्रज संस्कृति भी संरक्षित और संवर्धित होगी।
प्रमुख शिक्षाविद् डाॅ. चन्द्रप्रकाश शर्मा ने कहा कि साँझी ब्रज का महत्वपूर्ण उत्सव है। यह पितृ पक्ष के सोलह दिनों तक लोक एवं देवालयों में मनाया जाता है। साँझी लीला को रसिक भक्तों ने प्रचुरता से गाया है।
प्रिया वल्लभ मंदिर के अंग सेवी एवं सांझी के जाने-माने चित्रकार आचार्य रसिक वल्लभ नागार्च ने कहा कि वृन्दावन शोध संस्थान के प्रयासों से लोगों में साँझी के प्रति जागरूकता पुनः फैल रही है। इसके लिए संस्थान बधाई का पात्र है।
साथ ही उन्होंने श्रीहित परमानंददास महाराज के द्वारा रचित साँझी पद का गायन किया गया।
आचार्य विभुकृष्ण भट्ट ने कहा साँझी में साहित्य के साथ ही इसके कला पक्ष एवं संगीत की समृद्ध परंपरा रही है।
इस अवसर पर श्रीप्रियाबल्लभ कुंज में फूलों की साँझी एवं जल साँझी का प्रस्तुतिकरण विराटनारायण शर्मा तथा सार्थक शर्मा द्वारा किया गया।
संगोष्ठी में आचार्य अंबरीश भट्ट, सुमनकांत पालीवाल, रामनारायण शर्मा ब्रजवासी, योगेश योगीराज, विष्णुकांत शर्मा, आचार्य सतीश गोस्वामी एडवोकेट, गोविन्दनारायण शर्मा, ब्रजेश शर्मा, गोविन्द शरण पचौरी, गौरीशंकर शर्मा, डाॅ.राधाकांत शर्मा, मनमोहन शर्मा, मुकेश शर्मा, जितेन्द्र शर्मा, मुकेश शर्मा, शशिकांत चौबे, रामलाल ब्रजवासी, मदनमोहन, उमाशंकर पुरोहित, श्रीजी सरांठे, दिशा सरांठे एवं सुजाता सरांठे आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन डाॅ. राजेश शर्मा ने किया।संगोष्ठी का समापन स्वल्पाहार के साथ हुआ।
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