(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)
वृन्दावन।मदनमोहन घेरा स्थित श्रीराधा केलि कुंज (निकट श्री सनातन गोस्वामी समाधि मंदिर) में चल रहा पूज्य संत घनश्याम दास ठाकुरजी महाराज का 90 वां त्रिदिवसीय जन्म महोत्सव अत्यंत धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ।उत्सव में ठाकुरजी द्वारा रचित पदों का संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य गायन किया गया।
इस अवसर पर पूज्य संत घनश्याम दास ठाकुरजी महाराज के चित्रपट का संतों एवं भक्तों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पूजन-अर्चन किया गया।तत्पश्चात वृहद संत-विद्वत सम्मेलन आयोजित हुआ।जिसमें अपने विचार व्यक्त करते हुए श्रीगोरीलाल कुंज के श्रीमहंत स्वामी किशोर दास देवजू महाराज ने कहा कि पूज्य घनश्याम दास ठाकुरजी महाराज बालपन से ही ठाकुरश्री रासबिहारी सरकार की सेवा में संलग्न रहे, बाद में संत बालकृष्ण दास महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ और वे श्रीधाम वृन्दावन में ही भगवद भक्ति में लीन हो गए।
रासाचार्य स्वामी कुंजबिहारी शर्मा ने कहा कि पूज्य घनश्याम दास ठाकुरजी महाराज श्रीधाम वृन्दावन की बहुमूल्य निधि थे।सांसारिक व भौतिक जीवन से उन्हें कोई मोह नहीं था। संत सेवा व गुरु भक्ति ही उनके जीवन के अभिन्न अंग थे।
ब्रज साहित्य सेवा मण्डल के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि पूज्य घनश्याम दास ठाकुरजी महाराज ब्रज के प्रख्यात संत बालकृष्ण दास महाराज के अत्यन्त प्रिय व ठाकुरश्री रासबिहारी सरकार के अनन्य उपासक थे।
महन्त किशोरी शरण भक्तमाली (मुखियाजी) ने कहा कि सन्त घनश्याम दास ठाकुरजी गीता वाटिका (गोरखपुर) के प्रख्यात संत राधा बाबा एवं प्रकांड विद्वान हनुमान प्रसाद पोद्दार (भाईजी) के भी विशेष कृपा पात्र थे।उनके द्वारा सैकड़ों पदों की रचना की गई।पूर्व में उनका स्मृति ग्रंथ भी प्रकाशित हो चुका है।
महोत्सव में भागवताचार्य डॉ. हरेकृष्ण शरद, बाबा कुंजबिहारी शरण महाराज, महन्त ब्रजबिहारी दास महाराज, महंत सोहनी शरण महाराज, सन्त विद्याधर दास, सन्त बिहारी दास महारा, डॉ. चंद्रेश गुप्ता, पूर्व प्राचार्य शिवकुमार गोयल, विपुल बिहारी शर्मा, इंजीनियर ब्रजेश मिश्रा, आचार्य रामनिवास शुक्ला, रासाचार्य स्वामी जयप्रिया शरण महाराज, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, गौरव शर्मा आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।संचालन प्रमुख शिक्षाविद् डॉ. चंद्र प्रकाश शर्मा ने किया।इससे साथ ही नित्य रास रस चर्चा, निकुंज रासलीला दर्शन एवं संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा (वृहद भंडारा) आदि के आयोजन भी सम्पन्न हुए।
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