(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)
वृन्दावन। गोविन्द घाट स्थित अखिल भारतीय निर्मोही बड़ा अखाड़ा (श्रीहित रासमंडल) में भक्तिमती रसिक सिद्ध संत ऊषा बहिनजी (बोबो) का त्रिदिवसीय जन्म शताब्दी महोत्सव अत्यन्त श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ संपन्न हुआ। जिसके अंतर्गत समस्त भक्त परिकर ने भक्तिमती ऊषा बहिनजी के चित्रपट का वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पूजन-अर्चन किया।साथ ही अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनका पावन स्मरण किया।
इस अवसर पर आयोजित सन्त-विद्वत सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए श्रीहित रासमंडल के अध्यक्ष श्रीमहंत लाड़िली शरण महाराज एवं श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज ने कहा कि भक्तिमती ऊषा बहिनजी पूर्व जन्म की ब्रज गोपी थीं।जिन्होंने इस जन्म में भी अपनी साधना की शक्ति से अपने आराध्य के साक्षात दर्शन किए।साथ ही असंख्य व्यक्तियों को प्रभु भक्ति के मार्ग से जोड़ कर उनका कल्याण किया।
पीपाद्वाराचार्य जगद्गुरु बाबा बलरामदास देवाचार्य महाराज एवं धीर समीर आश्रम के श्रीमहन्त मदन मोहन दास महाराज ने कहा कि भक्तिमती ऊषा बहिनजी श्रीधाम वृन्दावन की बहुमूल्य निधि थीं। ईश्वर को हम लोगों ने कहां देखा है, पूज्य ऊषा बहिनजी जैसी दिव्य विभूति ही हमें पृथ्वी पर प्रभु सत्ता का आभास कराती हैं।
राम भैयाजी एवं एस. एस. कौशल ने कहा कि सन्त प्रवर ऊषा बहिनजी ने अपने आराध्य ठाकुरश्री उत्सव बिहारी की सेवा करते हुए लगभग 2000 से भी अधिक पदों की रचना की।जिनमें से 200 केवल ठाकुरजी के श्रृंगार के पद थे।उनकी पावन स्मृति में स्वर्गीय विजय भैया ने ब्रज निधि प्रकाशन की स्थापना की थी। जिसके द्वारा उनके साहित्य के अलावा अन्य सत्साहित्य का प्रकाशन किया जा रहा है।
प्रख्यात साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं पुराणाचार्य डॉ. मनोज मोहन शास्त्री ने कहा कि भक्तिमती ऊषा बहिनजी परम् रसिक एवं सिद्ध सन्त थीं।उनका कई बार प्रभु से साक्षात्कार हुआ था। श्रीधाम वृन्दावन में आकर भजन साधना करने के लिए उन्होंने शिक्षा विभाग के उच्च पद से इस्तीफा दे दिया था।ऐसी भगवद निष्ठ सन्त वर्तमान में प्रायः कम ही देखने को मिलते हैं।
सन्त-विद्वत सम्मेलन में महामंडलेश्वर स्वामी सच्चिदानंद शास्त्री, महन्त दंपति शरण महाराज (काकाजी), महन्त श्यामसुन्दर दास महाराज, महन्त सुन्दर दास महाराज, रासाचार्य स्वामी कुंजबिहारी शर्मा, महन्त प्रह्लाद दास महाराज, महन्त ब्रजबिहारी दास महाराज, आचार्य विष्णु मोहन नागार्च, महन्त जगन्नाथ दास भक्तमाली, प्रख्यात भागवताचार्य एवं साहित्यकार गोपाल प्रसाद गोप (चन्द्र सरोवर), संगीताचार्य मनमोहन शर्मा, रासाचार्य स्वामी गिर्राज वशिष्ठ, स्वामी भुवनेश्वर वशिष्ठ, डॉ. भागवत कृष्ण नांगिया आदि ने भी अपने विचार व्यक्त कर पूज्य ऊषा बहिनजी को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।संचालन परम् हितधर्मी डॉ. चन्द्रप्रकाश शर्मा ने किया।
संत- विद्वत सम्मेलन में संत ऊषा बहिनजी बोबो कृत “मधु रस निर्झर” (प्रथम खंड) के द्वितीय खंड का लोकार्पण भी हुआ। जिसका प्रकाशन श्रीहरिनाम प्रेस से हुआ है।
जन्म शताब्दी महोत्सव की संयोजिका बहिन दीपा भटनागर एवं आलोक भटनागर ने सभी अतिथियों का स्मृति चिन्ह, उपहार और प्रसाद आदि देकर सम्मान किया।
सायं काल प्रख्यात रासाचार्य स्वामी पुलिन बिहारी शर्मा के निर्देशन में श्रीसखाजी द्वारा प्रदत्त लीला पर आधारित रासलीला की अत्यन्त नयनाभिराम व चित्ताकर्षक प्रस्तुति दी गई।
इस अवसर पर महन्त हरिशंकर नागा, दीपा भटनागर, निर्मला शर्मा, पुष्पा गुप्ता, राधारमण शर्मा, काकी बहिनजी, आलोक भटनागर, श्यामसुंदर शर्मा, डॉ. राधाकांत शर्मा, महन्त लाड़िली दास, रासाचार्य स्वामी देवेंद्र वशिष्ठ, राधावल्लभ वशिष्ठ, प्रिया वल्लभ वशिष्ठ आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
महोत्सव का समापन सन्त, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारा भी हुआ।जिसमें असंख्य व्यक्तियों ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया।
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