(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)
वृन्दावन।मोतीझील स्थित अखंडानंद आश्रम (आनंद वृन्दावन) में आश्रम के संस्थापक स्वामी अखंडानंद सरस्वती महाराज का 114 वां जन्म महोत्सव आनंद जयंती के रूप में अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ मनाया गया।
सर्वप्रथम पूज्य महाराजश्री की प्रतिमा एवं गुरु चरण पादुकाओं का वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पूजन-अर्चन किया गया।तत्पश्चात संत-विद्वत सम्मेलन का आयोजन सम्पन्न हुआ।जिसकी अध्यक्षता करते हुए श्रीउमा शक्ति पीठाधीश्वर दंडीस्वामी रामदेवानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि मन, बुद्धि व शरीर की शक्ति की सीमा होती है।सन्त मातृ हृदय होते हैं।आनंद वृन्दावन आश्रम की परम्परा विश्व प्रतिष्ठित है।महाराजश्री के द्वारा रचित साहित्य का अवलोकन करने से उनका परिचय प्राप्त होता है।शरीर की पूजा इसलिए की जाती है,क्योंकि उसमें एक महान आत्मा का प्रवेश होता है।
आश्रम के अध्यक्ष आचार्य महन्त स्वामी श्रवणानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि महाराजश्री प्रेम व वैराग्य की साकार मूर्ति थे।संन्यास का जीवन दिव्यातिदिव्य है।महाराजश्री ब्रह्मनिष्ठा के साक्षात प्रतीक हैं।”पावन प्रसंग” में वर्णित संस्मरणों में महाराजश्री का परिचय प्राप्त होता है।भौतिक वस्तुओं से सुख की प्राप्ति नहीं होती बल्कि अपने को जान कर ही सुख की प्राप्ति सम्भव है।
डॉ. स्वामी गोविंदानंद सरस्वती महाराज व पण्डित राजाराम मिश्र ने कहा कि महापुरुषों की सदकीर्ति सतत सहज प्रवाहमान होती है।सद्गुरु हमारे दोषों को दूर कर बुद्धि को निर्मल करते हैं।ऐसा कोई विषय नहीं है जिस पर महाराजश्री ने न लिखा हो।
स्वामी रमेशानंद जी सरस्वती महाराज व प्रख्यात साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि महाराजश्री साक्षात प्रेम के स्वरूप थे। उनकी दृष्टि में सभी समान थे। भक्ति वेदांत की व्याख्या उन्होंने बड़े ही सहज रूप में की है।
कार्यक्रम में स्वामी शिवस्वरूप महाराज, स्वामी महेशानंद सरस्वती महाराज, स्वामी प्रेमानंद सरस्वती, स्वामी विश्वात्मानंद, रामचेतन महाराज, वासुदेव दास महाराज, हरिदास महाराज, आचार्य अखिलेश शास्त्री, सुरेन्द्र भाई शाह, चिराग भाई शाह, सपना शाह, हेमंत सेठी, उड़िया बाबा आश्रम के प्रबंधक आचार्य कुलदीप दुबे, हरीश अग्रवाल,अखंडानंद आश्रम के प्रबंधक विजय द्विवेदी, आचार्य मनोज शुक्ला, डॉ. राधाकांत शर्मा के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।संचालन संत सेवानंद ब्रह्मचारी महाराज ने किया।
महोत्सव का समापन संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारे के साथ हुआ। जिसमें सैकड़ों व्यक्तियों ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया।
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