(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)
वृन्दावन।ज्ञान गुदड़ी क्षेत्र स्थित जानकी भवन आश्रम में श्रीरामजानकी सद्गुरु सेवा ट्रस्ट के द्वारा चल रहा अनंतश्री विभूषित महंत छविराम दास रामायणी महाराज का 20वां वार्षिक नवदिवसीय पुण्य स्मृति महोत्सव विभिन्न धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ संपन्न हुआ।महोत्सव के समापन पर समस्त भक्तों व संतों के द्वारा पूज्य छविराम दास रामायणी महाराज की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक करके वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पूजन-अर्चन किया गया।तत्पश्चात श्रीमहंतों-महामंडलेश्वरों व धर्माचार्यों आदि का सम्मान किया गया।साथ ही संगीतमय सुंदरकांड का सामूहिक पाठ किया गया।इसके अलावा संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारा आदि के कार्यक्रम भी संपन्न हुए।
इस अवसर पर आयोजित सन्त-विद्वत सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करते हुए श्रीनाभापीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी सुतीक्ष्णदास देवाचार्य महाराज एवं श्रीपीपाद्वाराचार्य जगद्गुरु बाबा बलरामदास देवाचार्य महाराज ने कहा कि सन्त प्रवर श्रीछविराम दास रामायणी महाराज अनेकानेक सद्गुणों की खान थे।हम लोग यदि उनके किसी एक गुण को भी अपने जीवन की धारण कर लें,तो निश्चित ही हमारा कल्याण हो जायेगा।
चतु:संप्रदाय के श्रीमहंत बाबा फूलडोल बिहारीदास महाराज एवं जगदगुरू स्वामी अनंताचार्य महाराज ने कहा कि साकेतवासी श्रीछविराम दास रामायणी महाराज संत समाज की शोभा थे।गौसेवा, संत सेवा एवं विप्र सेवा उनके जीवन का अभिन्न अंग थी।
श्रीजानकी भवन आश्रम के अध्यक्ष श्रीमहंत रामदास महाराज एवं श्रीराम कथा के यशस्वी प्रवक्ता सीताराम दास महाराज ने कहा कि हमारे सदगुरुदेव श्रीछविराम दास रामायणी महाराज श्रीराम कथा के प्रकांड विद्वान थे।उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की पावन लीला भूमि श्रीधाम वृन्दावन में अयोध्या और चित्रकूट धाम का समावेश कर दिया था।
प्रख्यात साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं डॉ. रमेश चंद्राचार्य विधिशास्त्री ने कहा कि संत शिरोमणि श्रीछविराम दास रामायणी महाराज श्रीधाम वृन्दावन के प्राचीन स्वरूप के परिचायक थे। उन्होंने यहां रहकर श्रीराम कथा के माध्यम से असंख्य व्यक्तियों को प्रभु भक्ति के मार्ग से जोड़कर उनका कल्याण किया है।
महोत्सव में महामंडलेश्वर स्वामी कुंजबिहारी दास महाराज, श्रीमहंत प्रेमदास महाराज, स्वामी बालमुकुंदाचार्य वेदांती महाराज, महन्त रामकल्याण दास महाराज, महन्त रामसेवक दास रामायणी महाराज, महन्त हरेकृष्ण दास महाराज, स्वामी गोविंदाचार्य महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी सच्चिदानन्द शास्त्री, महंत हरिशंकर नागा, महंत लाड़िली दास, मुख्य ट्रस्टी राकेश सर्राफ, सुधीर खंडेलवाल, प्रभात खंडेलवाल, टोनी खंडेलवाल, बांके खंडेलवाल, अनिल अग्रवाल, संदीप कुलश्रेष्ठ, राजीव कुलश्रेष्ठ,युवा साहित्यकार डॉ. राधाकंत शर्मा, शैलेन्द्र शास्त्री, नारायण दास महाराज, जयराम दास महाराज, जितेंद्र शास्त्री आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।संचालन पण्डित वनबिहारी पाठक ने किया।
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