(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)
वृन्दावन।छटीकरा रोड़ स्थित मृदुल वृन्दावन धाम में द भागवत मिशन फाउंडेशन एवं भागवत परिवार समिति (रजि.) दिलशाद गार्डन,दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे अष्टदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा एवं श्रीगुरू पूर्णिमा महोत्सव के छठवें दिन व्यासपीठ से श्रीहरिदासी वैष्णव संप्रदायाचार्य विश्वविख्यात भागवत प्रवक्ता आचार्य गोस्वामी मृदुल कृष्ण महाराज ने सभी भक्तों-श्रृद्धालुओं को महारास लीला, मथुरा गमन, कंस वध एवं भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी विवाह की कथा श्रवण कराई।साथ ही भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणि विवाह की अत्यंत दिव्य व भव्य झांकी सजाई गई।साथ ही विवाह से संबंधित बधाईयों का संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य गायन किया गया।
व्यासपीठ पर आसीन आचार्य गोस्वामी मृदुल कृष्ण महाराज ने महारास का प्रसंग श्रवण कराते हुए कहा कि महारास लीला भगवान श्रीकृष्ण की एक अद्भुत व परम रसमयी लीला है।जिसे उन्होंने असंख्य ब्रजगोपियों के हृदय की अभिलाषा को पूर्ण करने लिए व अभिमानी कामदेव के अभिमान को नष्ट करने के लिए श्रीधाम वृन्दावन के यमुना तट पर शरद पूर्णिमा की रात्रि को किया था।जिसमें उन्होंने अनेकों रूपों में अपनी बांसुरी बजाकर संपूर्ण विश्व को ब्रजमंडल की ओर आकर्षित किया।लीला पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण की महारास लीला के दर्शनों के लिए समस्त देवी-देवताओं के साथ भगवान शिव भी ब्रज गोपी का स्वरूप धारण कर श्रीधाम वृन्दावन पधारे थे।
उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की महारास में सम्मिलित ब्रजगोपियां कोई साधारण स्त्रियां नहीं थी।वो पूर्व जन्म के महान तपस्वी ऋषि-मुनि थे।जिन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को अपने पति के रूप में पाने के लिए अनन्त युगों तक कठोर तपस्या की थी।इसीलिए ब्रजगोपियां भी भगवान श्रीकृष्ण के समान ही परम आनंदमयी व चिन्मयी थीं।
पूज्य महाराजश्री ने कहा कि श्रीमद्भागवत में वस्तुत: भगवान श्रीकृष्ण की समस्त लीलाओं का वर्णन है।श्रीकृष्ण ने बृज में बाल लीलाएं करके समस्त ब्रज वासियों को आनंद प्रदान करते हुए जीव और ब्रह्म के अंतरंग भेद को समाप्त करके एकत्व की शिक्षा प्रदान की। भगवान ने माखन चोरी करके भक्तों को अद्भुत प्रेम और भक्ति का संदेश प्रदान किया।भगवान ने माखन चोरी लीला करके समस्त भक्तों को बताया कि जो भक्त निस्वार्थ भाव से मुझसे प्रेम करता है, तो मैं उसके प्रेम रूपी माखन को प्रेम से ग्रहण करता हूं।
पूज्य महाराजश्री ने कहा कि भगवान ने ब्रजरज पान करके समस्त संसार को ब्रज के महत्व के बारे मे शिक्षा प्रदान की।साथ ही पृथ्वी तत्व का शोधन किया तथा यमुना के अंदर बसे हुए प्रदूषण रूपी कालीया को नाथ कर भगवान ने समस्त संसार के भक्तों को अद्भुत संदेश प्रदान किया। मेरी भक्ति केवल पूजन पाठ जप तप दर्शन से ही नहीं अपितु प्रकृति की शुद्धि, प्रकृति का संरक्षण एवं प्रकृति की सेवा के द्वारा भी की जा सकती है।
इस अवसर पर प्रख्यात साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, प्रमुख समाजसेवी दासबिहारी अग्रवाल, महोत्सव के मुख्य यजमान श्रीमती हिना-विकास अग्रवाल, श्रीमती श्याम लता-कुसुम पाल शर्मा, श्रीमती अरुणा शर्मा, आचार्य किशोर कुमार शर्मा, डॉ. राधाकांत शर्मा, आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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