देश-दुनिया

इजराइलियों को मंजूर नहीं हैं भ्रष्ट राजनेता

डॉ.बचन सिंह सिकरवार

साभार सोशल मीडिया

वर्तमान में इजरायल के लोग दोहरे संकट से गुजर रहे हैं। एक ओर कोरोना विषाणु से फैली महामारी से वे अपने घरों में कैद रहने को मजबूर हैं,तो दूसरी ओर उन्हें प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का अपनी राजनीतिक प्रतिद्वन्द्वी पार्टी ‘ब्ल्यू एण्ड व्हाइट पार्टी’ से मिलकर गठबन्धन सरकार चलाना किसी भी हालत में मंजूर नहीं है, जिन पर भ्रष्टचार के कई गम्भीर आरोप लगे हुए हैं। इनके कारण ही नेतन्याहू की ‘लिकुड पार्टी’ को पिछले कई आम चुनाव में स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है, जिसकी वजह से उन्हें कई और सियासी पार्टियों से मिलकर सरकार बनाने को मजबूर होना पड़ा है। इसी 26 अप्रैल का तेलअवीव स्थित रेविन स्क्वायर पर उनकी गठबन्धन सरकार के खिलाफ हजारों की संख्या में लोगों ने शारीरिक दूरी के नियम का पूरी तरह से पालन करते हुए प्रदर्शन किया था। वैसे एक हफ्ते में यह दूसरा अवसर था, जब बेंजामिन नेतन्याहू के विरुद्ध व्यापक पैमाने पर प्रदर्शन हुआ।
वस्तुतः इजरायल में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू और संसद के स्पीकर बेनी गेंट्ज के बीच मिलकर सरकार चलाने की सहमति बन गयी। इससे गेंट्ज के मतदाता को गहरा आघात लगा, क्योंकि उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से नाराज होकर पिछले सालों में हुए तीन चुनावों में नेतन्याहू की ‘लिकुड’पाटी के खिलाफ गेंट्ज की ‘ब्ल्यू एण्ड व्हाइट’पार्टी को पूरा समर्थन दिया था। इस वजह से हजारों लोगों ने सार्वजानिक रूप से उनके द्वारा गठबन्धन सरकार बनाये जाने के खिलाफ अपना विरोध जताते आ रहे हैं। गत 26 मार्च को संसद के स्पीकर पद के चुनाव में गेंट्ज की उम्मीदवारी का लिकुड पार्टी ने समर्थन किया था। इस वजह से गेंट्ज निर्विरोध चुने जाने में कामयाब हो गए। उसके बाद से ही सत्तारूढ़ लिकुड पार्टी और विपक्षी की भूमिका में चुनाव लड़ी ‘ब्ल्यू एण्ड व्हाइट’पार्टी के बीच समझौता होने के संकेत मिले गए थे। प्रधानमंत्री बंेजामिन नेतन्याहू ने जब अपनी प्रतिद्वन्द्वी सियासी पार्टी ब्ल्यू एण्ड व्हाइट पाटी्र के साथ मिलकर सरकार बनाने का फैसला किया, तब

साभार सोशल मीडिया

उनकी ब्ल्यू एण्ड व्हाइट पार्टी के साथ गठबन्धन में शामिल राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने भी नाराजगी जतायी थी। इस तरह उनकी सरकार से इजरायली जनता के साथ-साथ दूसरी सियासी पार्टियों भी खुलकर अपनी नाखुशी जता रही हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने देश के लोगों को अपने पक्ष में करने के इरादे से उन्हें पश्चिम तट ( वेस्ट बैंक) स्थित विवादास्पद यहूदियों की बस्तियों को जल्द ही इजरायल में मिलाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है, जो अक्सर उनकी अपनी पार्टी के चुनावी घोषणापत्र में दर्ज होता रहा है। उनके इस ऐलान से फिलीस्तीन बेहद नाराज है। वह वेस्ट बैंक पर इजरायली कब्जे का कड़ा विरोध करता रहा है। वेस्ट बैंक की यहूदी बस्तियाँ इजरायल और फिलीस्तीन के बीच विवाद का मुख्य कारण बनी हुई हैं। वैसे नेतान्याहू ने आशा व्यक्त की है कि यहूदी बस्तियों को वह अमेरिका के समर्थन से अपने देश में मिला लेंगे। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विरोध के रहते हुए इस वर्ष की शुरुआत में ट्रम्प प्रशासन ने इजरायल को वेस्ट बैंक पर कब्जे की इजाजत दे दी थी। इससे पहले अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इजरायल को तेलअवीव की जगह यरुशलम को अपनी राजधानी बनाने की सहमति दे चुके हैं, वह एक विवादास्पद शहर है, जो यहूदी, ईसाई, इस्लाम मजहब के अनुयायियों के लिए पवित्र शहर माना जाता है। इस कारण इन तीनों की मजहबों के लोग इस पर अपना-अपना दावा जताते आए हैं।
अब देखना यह है कि अपने इस कदम से प्रधानमंत्री नेतन्याहू अपने देश को लोगों की नाराजगी खत्म करने में कितने कामयाब हो पाते हैं?

सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार-63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003 मो.नम्बर-9411684054

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