(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)
वृन्दावन। पत्थरपुरा स्थित श्रीगोपालजी मन्दिर (श्री माध्वगौड़ेश्वर आश्रम) में चल रहे अनन्तश्री विभूषित श्रीमहंत अच्युतानंद दास महाराज के 19वें त्रिदिवसीय वार्षिक तिरोभाव महोत्सव के दूसरे दिन वृहद सन्त विद्वत सम्मेलन का आयोजन सम्पन्न हुआ।जिसमें अपने विचार व्यक्त करते हुए पीपाद्वाराचार्य जगद्गुरु बाबा बलरामदास देवाचार्य महाराज व महामंडलेश्वर स्वामी चित्तप्रकाशानंद महाराज ने कहा कि श्रीमहंत अच्युतानंद दास महाराज गौडीय सम्प्रदाय के अनमोल रत्न थे। उन्होंने अपने सम्प्रदाय का संवर्धन करने के लिए अनेकों ठोस कार्य किए। जिस पर गौडीय सम्प्रदाय सदैव गर्व की अनुभूति करता रहेगा।
अध्यक्षता करते हुए चतु: संप्रदाय के श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज व महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. सत्यानंद सरस्वती महाराज (अधिकारी गुरूजी) ने कहा कि श्रीमहंत अच्युतानंद दास महाराज नाम निष्ठ व धाम निष्ठ संत थे।उनके सहज, सरल, उदार व परोपकारी व्यतित्व के लिए सभी संप्रदायों के संत उनका सम्मान करते थे।
श्रीउमाशक्ति पीठाधीश्वर स्वामी रामदेवानंद सरस्वती महाराज व प्रख्यात साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि श्रीमहंत अच्युतानंद दास महाराज परम् भजनानंदी, वीतरागी व निस्पृह संत थे।वे अपनी मात्र ढाई वर्ष की अवस्था में ही श्रीधाम वृन्दावन आ गए थे।यहां उन्होंने अपनी सौ वर्ष की अवस्था तक अखण्ड वास करते हुए असंख्य व्यक्तियों का कल्याण कर उन्हें प्रभु भक्ति के मार्ग से जोड़ा।
महामंडलेश्वर सच्चिदानंद दास शास्त्री महाराज व घमंडदेवाचार्य पीठ के अध्यक्ष जगद्गुरु स्वामी वेणुगोपाल दास महाराज ने कहा कि श्रीमहंत अच्युतानंद दास महाराज नाम,रूप, लीला, धाम के अनन्य उपासक थे।उन्होंने अपनी साधना की शक्ति से कई बार ठाकुरजी की निकुंज लीलाओं का दर्शन किया।
सन्त विद्वत सम्मेलन में महामंडलेश्वर स्वामी नवल गिरि महाराज, जानकी भवन के अध्यक्ष श्रीमहंत रामदास महाराज, आचार्य रामदेव चतुर्वेदी, महंत सुंदरदास महाराज, आचार्य गोपाल भैया, डॉ. चंद्रप्रकाश शर्मा, मुनेश कुमार शर्मा (राम गुरु), महंत मधुमंगल शरण शुक्ल, महंत लाड़िली दास महाराज, डॉ. राधाकांत शर्मा, स्वामी ब्रज गोपाल दास महाराज(कोतवाल), स्वामी उमेश्वरानंद महाराज, भगवान दास चौधरी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन पण्डित बिहारीलाल वशिष्ठ ने किया।श्रीगोपालजी मन्दिर (श्री माध्वगौड़ेश्वर आश्रम) के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी सच्चिदानंद शास्त्री महाराज ने सभी आगंतुक संतों-विद्वानों को माल्यार्पण कर एवं अंगवस्त्र व प्रसाद भेंट कर स्वागत किया।महोत्सव के अंतर्गत ठाकुर श्रीगोपालजी महाराज का भव्य व दिव्य फूल बंगला सजाया गया।
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