देश-दुनिया

भारत की कूटनीति से अब पस्त होगा तुर्किये

डॉ.बचन सिंह सिकरवार
गत दिनों केन्द्रीय विदेशमंत्री एस.जयशंकर द्वारा साइप्रस के विदेशमंत्री कोंसटैनटाइनोस कोम्बोस से द्विपक्षीय सम्बन्धों के सारे आयामो तथा रिश्ते को प्रगाढ़ बनाने के उपायों पर जो गहन चर्चा की गई, उससे निश्चय ही विश्व में पाकिस्तान सबसे गहरे मित्रो में से एक हममजहबी और भारत से खुलकर शत्रुभाव रखने वाले मुल्क तुर्किये जरूर हैरान-परेशान हुआ होगा, जो पहले ही भारत की सेना के ‘ऑपरेशन सिन्दूर‘ के दौरान अपने दोस्त पाकिस्तान को दिये उन एक से एक नायाब, आचूक और घातक समझे जाने वाले हथियारों के बेअसर साबित होने से सदमे में आया हुआ है, जिन्हें पर उसे बहुत नाज/फक्र था। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि भारत भी ‘जैसे को तैसा’ देने वाली कूटनीति को अपनाते हुए उसे ऐसा प्रत्युत्यर देगा। इसी नीति के तहत भारत तुर्किये के जानी दुश्मन पड़ोसी मुल्क साइप्रस के अलावा ग्रीस/यूनान तथा अर्मेनिया से और भी सुदृढ़ रिश्ते बना रहा है। साइप्रस आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हमेशा से भारत का साथ देता आया है जिसके लिए भारत भी उसकी प्रशंसा करता आया है। अब यह यूरोपीय संघ का अध्यक्ष बनने वाला है। भारत-ईयू से सम्बन्धों को भी मजबूत करने को लेकर तत्पर है। विदेशमंत्री जयशकर ने इण्टरनेट मीडिया यह लिखा,साइप्रस के विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय साझेदारी के साथ भारत-यूरोपीय संघ(ईयू)रिश्ते को सुदृढ़ बनाने पर भी बात हुई है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच भारत और ईयू के बीच होने वाले मुक्त व्यापार समझौते(एफटीए)को लेकर भी चर्चा हुई होगी। कभी इस्लामिक दुनिया का खलीफा रहा तुर्किये पिछले कुछ सालों से वह एक बार फिर से पुराने मुकाम को हासिल करने में लगा है। इसके लिए वह अपनी सीमाओं के विस्तार करने के साथ दुनियाभर के इस्लामिक मुल्कों की हथियारों समेत हर तरह की मदद के लिए तैयार रहता है।ऐसे में उसका पड़ोसी मुल्क और दूसरे गैर इस्लामिक मुल्कों से टकराव ओर दुश्मनी होना स्वाभाविक है।
अपने देश के सरहदों को बढ़ाने को लेकर एक ओर जहाँ तुर्किये का पड़ोसी मुल्क साइप्रस और ग्रीस से उसका विवाद तथा शत्रुता है, वहीं वह हममजहबी मुल्क अजरबैजान और पाकिस्तान की खुलकर हथियार देता आया है। इतना ही नहीं, तुर्किये अन्तरराश्ट्र्रीय मंचो पर कश्मीर के मुद्दे को पाकिस्तान के पक्ष में उठाता आया है,ऐसे में उससे भारत का रूश्ट होना लाजमी है। लेकिन उसने इसकी कभी भी परवाह नहीं की है। यहाँ तक कि उसने पहलगाम में इस्लामिक दहशतगर्दों की हत्याओं की भी निन्दा नही की,इसके विपरीत उसने भारत के ऑपरेशन सिन्दूर की खुलकर मजम्मत की है, जबकि भारत ने उसके यहाँ आए भूकम्प से सबसे पहले मदद भेजी थी।अब चर्चा करते है कि एक-एक कर तुर्किये के पड़ोसी मुल्क साइप्रस, ग्रीस और अर्मेनिया की करते हैं,जिनसे उसकी दुश्मनी है। इनमें साइप्रस भूमध्य सागर में स्थित द्वीपीय राश्ट्र है जिस पर सन् 1974 में तुर्किये ने हमला कर उसके एक बड़े भाग(36प्रतिशत) पर कब्जा कर लिया। फिर 1975 बीते-बीते तुर्किये ने वहाँ के 1,62,000से अधिक ईसाइयों को अपना सबकुछ छोड़कर उनके ही मुल्क से पलायन को मजबूर कर दिया। इसके बाद तुर्किये ने यहाँँ पर मुसलमानों को बसा कर जनसांख्यिकीय बदल दी है। इसी भूभाग को तुर्किये ने ‘उत्तरी साइप्रस तुर्किये गणराज्य’(एनआरएनसी) नामक एक देश में बदला दिया। यह अलग बात है कि अब तक इसे तुर्किये के अलावा दुनिया के किसी भी मुल्क ने मान्यता नहीं दी है। इस कारण वर्तमान में साइप्रस उसे अपना सबसे बड़ा शत्रु मानता है। भारत साइप्रस-तुर्किये विवाद का संयुक्त राश्ट्र के प्रस्तावो के अनुरूप शान्तिपूर्ण समाधान की माँग करता रहा है। विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने अमेरिका में तुर्किये विदेश मंत्री के साथ भेंट में भारत के इसी रुख पर जोर दिया। इसके अलावा उन्होंने लीबिया के विदेश मंत्री नजला एल्मैंगोश से वहाँ से उथल-पुथल पर वार्ता करके भी तुर्किये का सख्त सन्देश दिया है।
इसी तरह तुर्किये और ग्रीस में विवाद का कारण पूर्वी भूमध्य सागर में एजियन द्वीप समूह उपस्थित है। तुर्किये का दावा है कि इसके क्षेत्र का वह असली स्वामी है ये दोनों ’उŸार अटलाण्टिक सन्धि संगठन’(नाटो) के सदस्य हैं इसके बावजूद इनके मध्य युद्ध का अन्देशा/खतरा बना रहता है। तुर्किये का कहना कि इन द्वीपों पर उसका सर्वमान्य है। ग्रीस और तुर्किये के बीच कई विवाद हैं-जैसे क्षेत्रीय जल की चौड़ाई, द्वीपों का परिसीमन, द्वीपों का असैन्यीकरण या हवाई क्षेत्र की लम्बाई । ये सभी मुद्दे परस्पर रूप से एक-दूसरे से जुड़े हैं। ग्रीस सिर्फ द्वीपों पर तुर्की के अधिकार को नकारता है। एजियन सागर में अधिकांश द्वीप तुर्किये की मुख्य भूमि के निकट हैं,जैसे कास्टेलोरिजो या कोसा । उन द्वीपों को असैन्यीकरण की शर्त पर 1947 में ‘पेरिस शान्ति सन्धि’ के तहत ग्रीस को दे दिया गया था। हालाँकि ग्रीस इस प्रावधान उल्लंघन करता है।इस बीच ग्रीक दृश्टिकोण से तुर्किये ऐसे दावे कर रहा है जो न तो यथास्थिति द्वारा समर्थित है और न ही अन्तरराश्ट्रीय कानून द्वारा। ये द्वीप रणनीतिक रूप से बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।
।अर्मेनिया पश्चिम एशिया और यूरोप के काकेशस क्षेत्र स्थित एक पहाड़ी देश है,जिससे भारत के इसके साथ सदियों पुराने सम्बन्ध रहे हैं। भारत ने अर्मेनिया के स्वतंत्र होने के बाद जल्दी ही इसे मान्यता देने वाले देशों में था। दोनों देशों के मध्य मैत्री तथा सहयोग की सन्धि 1995 में हस्ताक्षर किये थे। भारत और अर्मेनिया के सम्बन्ध में सुदृढ़ और व्यापक हैं। जिस शतरंज के खेल भारत में आविश्कार हुआ था, वह वर्तमान मे अर्मेनिया के स्कूलों में अनिवार्य रूप से सिखाया जाता है। अर्मेनिया के साथ भारत के सम्बन्ध इसलिए और महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं,क्योंकि पाकिस्तान और तुर्किये के मध्य रिश्ते बहुत प्रगाढ़ रहे हैं? जहाँ पाकिस्तान विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जिसने अब तक अर्मेनिया का एक स्वतंत्र राश्ट्र के रूप में मान्यता नहीं दी है, क्योंकि वह एक ईसाइयों का देश है, वहीं तुर्किये जनसंहार भी सौ वर्श बाद भी स्वीकार करने से मना करता है। इसके सिवाय तुर्किये अजरबैजान का घोर समर्थक है,क्योंकि वह एक इस्लामिक मुल्क है।
वैसे अजरबैजान भी पहले सोवियत संघ का हिस्सा रहा है। अर्मेनिया का नागोर्नो काराबाख को लेकर न सिर्फ कई सालों से विवाद चल रहा है,बल्कि इन दोनों देशों के बीच इसको लेकर युद्ध भी हो चुका है।इसमें पाकिस्तान तथा तुर्किये ने उसकी बहुत सहायता की थी। इसके विपरीत सोवियत संघ का पूर्व घटक और रूस के साथ ‘सामूहिक सुरक्षा सन्धि संगठन’(सीएसटीओ) के रहते हुए उसने अर्मेनिया की सैन्य सहायता नहीं की। 2019 में न्यूयार्क में संयुक्त राश्ट्र साधारण सभा(यूएनजीए)शिखर सम्मेलन के अवसर पर अर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिन्यान के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भेंट के उपरान्त सम्बन्धों और भी सुधार शुरू हुआ। तुर्किये के साथ पाकिस्तान के साथ पाकिस्तान के बढ़ते सम्बन्ध के प्रत्युŸार यह कदम उठाया गया। भारत अर्मेनिया को एक महŸवपूर्ण क्षेत्रीय शक्ति के रूप में देखता है और अर्मेनिया के भारत समर्थित अन्तरराश्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा/कॉरिडोर (आइएनएसटीसी) में एक महŸवपूर्ण भागीदार के रूप में देखता है।
भारत अर्मेनिया को रक्षा उपकरण की आपूर्ति करता है 2010 में अर्मेनिया ने भारत से चार स्वाति वेपन लोकेटिंग रडार खरीदे थे 2022 अर्मेनिया ने भारत से 2000करोड़ रुपए /240मिलियन अमेरिकी डॉलर के पिनाक मल्टीबैरल रॉकेट,एण्टी टैंक रॉकेट और विभिन्न प्रकार के गोला-बारूद की चार बैटरी खरीदने के लिए एक समझौता किया। 2024में उसने भारत से 720मिलियन डॉलर में ‘आकाश मिसाइलें(एसएएम) खरीदीं। अब उसने 600मिलियन के हथियार खरीदे हैं। भारत और अर्मेनिया के बीच व्यापार और निवेश भी बढ़ रहा है भारत अर्मेनिया को ऊर्जा आपूर्ति में विविधता लाने और ‘उत्तर-दक्षिण भू आर्थिक गलियारे’ में अपनी भूमिका निभाने में सहायता कर रहा है। भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्श में तुर्किये, अजरबैजान, चीन ने खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया इस कारण देश के लोगों में इन देशों के विरुद्ध भारी आक्रोश व्याप्त है और इनके बहिश्कार की माँग कर रहे हैं।भरतीय उपभोक्ताओं और व्यावसायियों ने पहले तुर्किये के उत्पादका बहिश्कार करने का अभियान शुरू कर दिया। भारत के इन देशों के अच्छे कारोबारी रिश्ते रहे हैं । तुर्किये और अजरबैजान के साथ हमारा वार्शिक कारोबार लगभग 12अरब डॉलर का रहा है।विशेश रूप से तुर्किये के मामले मं कारोबार भारत के पक्ष में है। हाल में इन दोनों देशों मे भारतीय पर्यटक की संख्या बढ़ी है,लेकिन इन देशों को खुलकर पाकिस्तान के साथ देने से इस बार प्रभाव पड़ा सकता है। एक अनुमान के अनुसार गत वर्श तुर्किये और अजरबैजान के ो भारतीय पर्यटको से 4,000करोड़ रुपए की आय हुई थी। कुछ ट्रेवल वेबासाइट ने भारतीयो के आवश्यक न होने पर तुर्किये और अजरबैजान की यात्रा करने से बचने सुझाव/सलाह दे रही है। तुर्किये का बाहिश्कर/बायकाट तुर्किये ,गोवा मे तुर्किये के पर्यटकों को ठहर न दें,जैसे नारे गूँजने और सोशल मीडिया पर प्रसारित होने लगे। ट्रेवल एजेण्ट लोगों को तुर्किये के स्थान पर ग्रीस जाने की सुझाव दे रहे है इसी तरह उदयपुर की सगमरमर/मार्बल ट्रेड्स का कहना है कि उन्होंने तुर्किये के साथ व्यापार खत्म कर लिया है। भारत ने सुरक्षा चिन्ताओ को उल्लेख देते हवाई अड्डो से तुर्किये की कम्पनी सेलेवी का अपने उसे परिचालने करने से रोक दिया है। निश्चय ही भारत सरकार के उक्त कदमों को देखते हुए कहा जा सकता है कि इनसे तुर्किये, साइप्रस और अजरबैजान पर आवश्यक प्रभाव पड़ेगा और इसका इन्हें खामियाजा भुगतान होगा। इसके बाद दुनिया का कोई भी देश भारत का विरोध और पाकिस्तान की हिमायत/तरफदारी करने से पहले सौ बार विचार अवश्य करेगा।
सम्पर्क-डॉ.बचन सिंह सिकरवार,63ब,गाँधी नगर,आगरा-282003,मोबाइल नम्बर-9411684054

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